१० फरवरी २०२२, मैथिली जिन्दाबाद!!
मंत्री दोखी कि हम मैथिली भाषाभाषी?
भारत के संविधान में कुल 22 गोट भाषा केँ मान्यता देल गेल छैक। एहि 22 भाषा केँ संविधान के अष्टम अनुसूची में सूचीकृत कयल गेल छैक। सौभाग्य सँ मैथिली सेहो 2003 में 92म संशोधन द्वारा संविधान के अष्टम अनुसूची में जोड़ल गेलैक। मुदा जाहि राजनेता आ राजनीतिक दल केर कृपादृष्टि सँ मैथिली केँ एहि तरहक मान्यता देल गेलैक तिनके पार्टी के नव पुश्त के नेता, शिक्षा राज्यमंत्री डॉ सुभाष सरकार द्वारा दरभंगा सांसद द्वारा संसद में पुछल गेल सवाल के जवाब बड़ा विवादित आ गलत ढंग सँ देल जेबाक चर्चा सोशल मीडिया में वायरल भेल अछि। हालांकि एहि जवाब केँ हम-अहाँ गलत आ विवादित भले बुझी, मुदा मैथिली भाषा ऊपर राज्य के नीति केर यथार्थता (अंदरूनी सच्चाई) यैह रहल अछि जे ओ कहलनि अछि। ओ एहि में अपन कोनो व्यक्तिगत विचार नहि अपितु नीति नियन्ता लोकनिक समुचित सन्दर्भ सहित मैथिली प्रति सरकार के नीति बतेलनि अछि। ई सिर्फ असलियत के भंडाफोड़ कयलनि अछि।
कनेक सब विन्दु पर गौर करू –
संसद गोपाल जी ठाकुर पुछलन्हि जे सीटेट (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) में कुल 20 भाषा मे आयोजित कयल जाइछ तेकर व्योरा की अछि, संगहि विश्वक सबसँ मधुर आ प्राचीन भाषा मैथिली जेकरा संविधान के अष्टम अनुसूची में स्थान हेबाक संग संग केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में सेहो मान्यता देल गेल छैक तेकरा सेहो सीटेट परीक्षा में शामिल करबाक संभावना छैक, जँ हँ त तत्सम्बन्धी व्योरा कि अछि, आ जँ नहि त एकर कारण कि अछि।
एकर लिखित जवाब दैत भारतक शिक्षा राज्यमंत्री डॉ सुभाष सरकार लिखलनि अछि –
“राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 तहत शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करय लेल पैरा 8 के प्रावधान मुताबिक एहि शर्तक अध्यधीन दिशानिर्देश परिचालित कयने अछि जे प्रश्नपत्र द्विभाषी होयत – (i) समुचित सरकार द्वारा तय कयल गेल भाषा में; और (ii) अंग्रेजी भाषा मे।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा दिनांक 01.04.2011 केँ आयोजित एकर पहिल परीक्षा के बाद सँ केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा 20 भाषा अर्थात (i) अंग्रेजी, (ii) हिंदी, (iii) असमिया, (iv) बंगाली, (v) गारो, (vi) गुजराती, (vii) कन्नड़, (viii) खासी, (ix) मलयालम, (x) मणिपुरी, (xi) मराठी, (xii) मिजो, (xiii) नेपाली, (xiv) उड़िया, (xv) पंजाबी, (xvi) संस्कृत, (xvii) तमिल, (xviii) तेलगु, (xix) तिब्बती, आ (xx) उर्दू में आयोजित कयल जाइछ। सीटीईटी के सलाहकार और कार्यान्वयन समिति द्वारा 24.04.2014 केँ आयोजित एकर चारिम बैठक में निर्णय लेल गेल कि मैथिली भाषा कक्षा I-VIII केर लेल शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रयोग नहि कयल जाइछ और ई हिंदी के उप भाषा सेहो छी, ताहि सँ एकरा सीटीईटी परीक्षा लेल भाषा विकल्प के रूप में नहि देल गेल अछि।”
भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूची में शामिल भाषा केर सूची देखू –
इंडो-यूरोपियन (इंडो-इरानियन मूलतः), द्रविड़ियन, ऑस्ट्रोअसियाटिक (मुंडा मूलतः) आ साइनो-तिब्बतन (टिबेटो-बर्मन मूलतः) परिवार केर सैकड़ों भाषा भारत मे बाजल जाइछ जाहि में मात्र 22 गोट भाषा केँ बहुतो पापड़ बेललाक बाद संविधान में स्थान भेटल। इंडो-यूरोपियन के इंडो-इरानियन शाखाक इंडो-आर्यन समूह के भाषा सब – असमिया, बंगाली, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिन्धी आ उर्दू (कुल 15 गोट भाषा) आ द्रविड़ियन भाषा परिवार के कुल 4 भाषा कन्नड़, मलयालम, तमिल आ तेलगु; मणिपुरी (मैतेई), बोडो टिबेटो बर्मन परिवार के, आ संथाली भाषा मुंडा भाषा परिवारक जे अछि, यैह 22 भाषा थिकैक।
आब दुनू बात पर गौर करब, 22 राष्ट्रीय भाषा आ 20 शिक्षा के भाषा। दुनू में अंतर स्पष्ट अछि। गारो, खासी, मिजो, संस्कृत आ अंग्रेजी शिक्षा के भाषा बनल अछि जे राष्ट्रीय भाषा सूची में नहि अछि।
आब ध्यान ई दियौक जे मंत्री जी के देल जवाब में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद केर जे बात कहल गेल अछि आ 2014 के बैठक केर सन्दर्भ दैत मंत्री जी मैथिली केँ कक्षा 1 सँ 8 धरिक शिक्षा के माध्यम नहि हेबाक आ मैथिली प्रति पूर्वाग्रही सोच जे ई हिन्दी के उप भाषा थिक से भंडाफोड़ करब भेल।
पिछला यूपीए सरकार के कार्यकाल के समय मे शिक्षक पात्रता परीक्षा के काज आरम्भ करय सँ लय कय सीटीईटी सलाहकार आ कार्यान्वयन समिति के उपरोक्त बैठक के निर्णय मैथिली केँ हिंदी के उप भाषा मानैत रहल से स्पष्ट कयलक अछि। वास्तव में ई यूपीए सरकार आ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पिछुलका 100 वर्षक विभेदकारी नीति केँ उजागर कयलक अछि। लेकिन मंत्री सरकार स्वयं एहि विभेद केँ समाप्त करबाक बदला वर्तमान एनडीए सरकार द्वारा मैथिली प्रति उपेक्षा बरकरार रखबाक दोषी त छथिये। मैथिली प्राथमिक शिक्षा के माध्यम भाषा बनय ताहि लेल पटना हाई कोर्ट सँ लैत सुप्रीम कोर्ट धरि याचिका कर्त्ता डॉ जयकान्त मिश्र केँ जीत भेटलन्हि, लेकिन तेकर बादो शिक्षा के माध्यम भाषा नहि बनायब राज्य के कुत्सित मनसाय केँ उजागर करैत अछि।
आत्मालोचना हम मैथिलीभाषी सेहो करी जे अपन भाषा लेल हम सब स्वयं कतेक जागरूक आ समर्पित भ सकलहुँ आजादी के 7 दशक बितलाक बादो। कहय लेल बड़का बड़का रणनीतिकार आ कूटनीतिक विचारक जे देशक उच्च ओहदा तक पहुंच रखैत छी, लेकिन अपन भाषा के भविष्य लेल हमरा सभक सजगता कतय धरि पहुँचल एहि पर आत्ममंथन करी। सिर्फ अलंकारिक सम्मान जे संविधान के अष्टम अनुसूची में अछि हमर भाषा, एतबी माला जपबाक अतिरिक्त आर कि उपलब्धि हासिल भेल ताहि पर मनन करी। मंत्री आ सरकार केर निन्दा कि विरोध त करब लेकिन स्वयं अपन भाषा केँ हेय दृष्टि सँ देखब, अपन बाल बच्चा केँ शिक्षा दिएबाक लेल विद्यालय वा बोर्ड सँ कोनो मांग नहि करब, तखन शिक्षक पात्रता परीक्षा में हमरो भाषा मे प्रश्नपत्र के सुविधा उपलब्ध हुए ई सब गोहिया नोर बहेबक कोन काज!
स्पष्ट अछि जे हिंदी पट्टी में मैथिली गांथि देल गेल अछि, मैथिली केँ एकर स्लो पॉइजन एहिना धीरे धीरे मारैत रहत, जँ आबो समस्त भाषाभाषी एहि लेल नहि जागब त एकर मृत्यु तय अछि। राज्य द्वारा मैथिली भाषाक प्रायोजित हत्या में सरकारी बन्दूक केँ गोली चलेबाक वास्ते हम सब स्वयं कन्धा उपलब्ध कराएब बन्द नहि करब त भाषा संग सम्पूर्ण समाज बहुत जल्द विखंडित होइत देखब। अराजकता के तांडव नृत्य मिथिला केँ नाश कय देत। जागू आ अस्मिता केँ बचाउ। भाषा प्रथम बुनियादी आधार थिक से सब केँ बुझय पड़त, जातिवाद के लड़ाई तत्काल बन्द कय भाषिक एकजुटता परम् आवश्यक अछि।
हरि हर!!