— कृति नारायण झा।
मिथिलाक लोकप्रिय गीत “पान एलैये मखान एलैये धिया के बियाह के समान एलैये” एहि गीत में एकटा पंक्ति अछि जे “भार एलैये, कुम्हार एलैये, गहना गुङिया बनबै लेऽ सोनार एलैये” अर्थात भार आ भरिया केर सम्बन्ध मिथिलाक मांगलिक काज सँ जोङल जा सकैत अछि। भरिया केर शाब्दिक अर्थ होइत अछि जे भार अर्थात सामान लऽ जाइथ। पहिले केर जमाना मे जखन यातायात केर साधनक अभाव रहैत छलैक तऽ लोक दस – पन्द्रह किलोमीटर धरि पएरे चलि जाइत छल, ई हम सभ अपन आँखि सँ देखने छी जे हमरा गामक बरैई लोकनि पानक पात लऽ कऽ मधुबनी धरि पन्द्रह किलोमीटर भोरे चारि बजे जाइत छलाह आ संध्या काल धरि ओहिठाम सँ पानक पात बेचि कऽ आबि जाइत छलाह। ओहि समय मे लोक अपन सम्बन्धी केर ओहिठाम कोनो शुभ काज में यथा मुंडन, उपनयन, बियाह, द्विरागमन, पंचमी, मधुश्रावणी इत्यादि में सामान लऽ कऽ भरिया के पठवैत छलाह। मिथिला में भार आ भरिया केर प्रथा आदि काल सँ आबि रहल छल जे आब प्रायः पूर्ण रूपसँ समाप्त भ चुकल अछि। हमरा मोन अछि जे अपना ओहिठाम भरिया केर बड्ड सम्मान कयल जाइत छलैक। ओना सम्मान त मिथिला केर खूने में रमल आ बसल अछि तथापि बौआ केर सासुर सँ भरिया अएलाह अछि अथवा बुच्ची कए सासुर सँ भार लऽ क भरिया एलखिन्हें एकर एकटा अलग सम्मान होइत छलैक। भरिया के खुएवाक लेल सचार लगाओल जाइत छल कारण जे भरिया अपन गाम जा कऽ भोजन केर भरि पेट बङाई करैत छलाह। आब समयाभावक कारणे अथवा अन्य साधन के उपलब्ध होयवाक कारणे संगहि गाम में लोक केर अभाव सेहो एकटा एकर कारण भ सकैत अछि। हमर गाम बला भाई एकर पाछू एकटा अप्पन तर्क जोङि क कहलाह जे आब लोक पहिने केर अपेक्षा बेटी के सामान बेसी दैत छैक से भार पर पठौनाइ संभव नहिं छैक तेँ भरियाक आवश्यकता नहिं होइत छैक। मुदा हमरा ई तर्क बहुत युक्ति संगत नहिं लागल। एकटा ग्रामीण केर तर्क छलैन्ह जे आब अपना ओहि ठाम द्विरागमनक प्रथा लगभग समाप्त जकाँ भ गेल अछि तेँ भारक व्यवहार समाप्त भ गेल। पहिले उपनयन मे बरुआ, बरुआक माय बाप जे उपनयन में कपङा पहिरथिन से मामा गाम सँ अबैत छलैक, कपङाक संग दही, चूङा, खाजा, लड्डू आ केराक भार बरुआक मामा गाम सँ अबैत छलैक। मुदा आजुक जमाना मे सभ सामान चारिपहिया पर आबि जाइत छैक। वास्तव में आइ काल्हि केर भार लोकक लेल भार भऽ गेल अछि कारण आइ काल्हि के दुनिया तीव्र भऽ गेल छैक आ लोक नहिं भेटैत छैक, कारण समय ककरो लग नहिं छैक। आब तऽ ई स्थिति छैक जे नवतुरिया लोकनि किछु दिनुका बाद एकरा एकटा कथा के रूप में सुनताह। जय मिथिला आ जय मैथिली 🙏 🙏 🙏