समयानुसार परिवर्तन के साथ जे व्यक्ति चलैत अछि वो सुखी रहैत अछि । रीती -रिवाज कि धर्म के परिभाषा तक हर युग के अलग-अलग छय ।
जाहि समय में इ भैसुर भावों वला रिवाज बनलई तखन के आवश्यकता रहय कियाक—–स्त्री के स्थिति दयनीय रहय ।यदि पुरुष कोनो अभद्र, व्यवहार कैलथिन तॢईयो सजा स्त्री के भुगत परय छल । या ओकरा बचाव में बहुत कम आवाज़ उठय छल । ताई सुरक्षा कारणें ई नियम बनलई जे ,छुवाछुत क दियौ ताकि दुनु दूर दूर रहतय आ कोनो असभ्य दुर्घटना स बचतय। ऐहन बहुत किस्सा दादी व गाम के अन्य लोक सुनलऊ । ऐतिहासिक घटना में संदर्भ भेटय छय ।
आव स्त्री अपन गरिमा में वापस आ रहल अछि व पुरुष वर्ग सेहो बहुत साथ द रहल छैथि ।
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खैर हमर भैसुर त बेटी जकॉ मानय छथि आ कोनो छूआछूत नय ।
पुष्पा ठाकुर