मिथिलाक नारीक योगदान,किछु पंक्ति हमर कलम सं।
आधुनिक मिथिला मे नारी क योगदान
मिथिलाक नारी, चमकली सब दिन,
चान-सुरज बनि।
सुरभित केलीह सगरो,निशदिन
अपन मैथिल समाज।
एखनो पकड़ने छथि,
मिथिलाक उत्थानक डोरी,
अपन हाथ में,”मिथिलाक नारी”।
सीता, सुनयना, उर्मिला
भारती, गार्गी या हो मांडवी।
बदलि लेली बरू अपन नाम।
नहि बदलल,मिथिलानीक स्वाभिमान।
एखनो सजेने छथि अपन मिथिलाक,
विविध, विकास सं अंगना-दलान।
मिथिलाक नारी, कोयल बनि
कूकि रहल छथि,चहुंदिस।
नव-नव रूप मे दय रहल छथि
मिथिलाक विकास में , अपन योगदान।
हां,बढ़ि रहल छथि “नव मिथिलाक”
स्वरूपक संग मिथिलाक नारी।
चाहे हो अभिनय, चाहे संगीत,
चाहे हो विज्ञान,चाहे साहित्य।
नीपै छथि एखनो ,सबदिन चिनबार।
चलाबै छथि आब मुदा, ओ वायुयान।
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हां,अपन मिथिलाक नारी।
चमकौलैन सगरो विश्व में,
मिथिलाक चित्रकारी।
चाहे हो मिसेज़ट्रंप,चाहे मिसेज़ओबामा
सबहक पसीन,मिथिला पेंटिंग केर सारी।
मिथिलाक नारी, उठा चुकल छथी
सुंदर मिथिलाक लेल
विकासक “डेग”।
बनत स्वर्णिम अपन मिथिला समाज।
हरदम संग छथि मिथिलाक नारी।
हां, मिथिलाक नारी।। - मीना मिश्रा