कोना बनेबय दहेज मुक्त मिथिला

कोना बनत दहेज मुक्त मिथिला
 
दहेज प्रथा खराब छैक। दहेजक लेन-देन अबैध छैक। लेकिन समाजक अगुआ वर्ग एकरा जानि-बुझि अपनेने अछि। अपना केँ जे चलाक आ चतुर बुझैत अछि ओकरा वास्ते दहेज प्रथा बहुत उपयोगी छैक। ओ अहाँ केँ एहेन-एहेन तर्क सब देत जे अहाँ केँ उल्टा बेवकूफ सिद्ध करत आ फेर हँसी उड़बैत चोरा-नुका, जेना-तेना दहेजक व्यवस्थाक अनुकरण करैत अपन काज चलबैत रहत। कथित उच्चवर्गक लोक केर ई अवस्था अछि। हँ, सुच्चा उच्चवर्गक लोक जे बामोस्किल १-२% हेतैक ओ धरि एहि तरहक कुरूप आ अधर्मक उपयोग-प्रयोग सँ अपना केँ स्वतंत्र कएने अछि, माने जे दहेज मुक्त अछि। ९८-९९% लोक लेकिन दहेजक धन केर लोभ मे फँसल, दहेज गानिकय बेटी लेल सुखी-सम्पन्न यानि कि नीक घर-वर करबाक मनोरथ पालनिहार, दहेज समर्थक भेटत।
 
आब आउ मध्यमवर्गक लोक मे। सब सँ बेसी आफद एहि वर्ग पर छैक। एकरा पास अपन कोनो निर्णय नहि। खन पक्ष मे, खन विपक्ष मे, जेना-तेना जीवन आगू बढि जाय ताहि तरहें ढुलमुल निर्णय करैत अछि आर हमेशा उपरोक्त उच्चवर्ग सँ नजदीक रहबाक लोभ केर संवरण नहि कय सकबाक कारण मझधार मे फँसल रहैत अछि। अहु वर्गक पास तर्क अनेक भेटत। पक्ष-विपक्ष दुनू मे। पूर्ण त्यागक भावना रखनिहार ५% लोक भेटि जाय त बहुत भेल। बेटीवला मे सेहो एहिना ५% लोक बिना दहेज गनने बेटीक विवाह करबाक हिम्मत आ सामर्थ्य रखैत देखायत, नहि तऽ बाकी लोक बस बेटीक विदाई लेल दहेज हो या हूक हो या क्रूक हो – कोहुना अपन कर्तव्य कय आगू बढबाक भावना मात्र रखैत देखाइत अछि।
 
आब आउ निम्नवर्ग – यानि आर्थिक रूप सँ कमजोर परिवारक लोक मे दहेज प्रथा बड बेसी खतरनाक स्तर पर त नहि छैक, मुदा जतबे छैक वैह एहि विपन्न वर्ग लेल समस्या दायक छैक। निम्न आय केर परिवारक बेटी मे नहि त शिक्षा बेसी भऽ पबैत छैक, नहिये ओकर सख-मनोरथ आसमान छूबैत देखाइत छैक। बेटी कन्यादान योग्य भेला पर कर-कुटुम्ब केर मार्फत कुटमैती अपनहि समान या अपना सँ कनी ऊपर परिवार मे थोड़-बहुत दहेजक मांग पूर्ति कय केँ काज करबाक भावना बेसी देखल जाइत छैक। एहि वर्गक लोक लेल ओतेक दहेज जुटेनाय मे कर्जा करबाक आ सुदिये मे बिका जेबाक कइएक घटना देखाइत अछि। तथापि, ई वर्ग अपन धर्म, कर्तव्य आ निष्ठा केँ निर्वाह करबाक लेल तत्पर रहैत अपन काज चला लैत अछि।
 
जखन-जखन एहि तीन तरहक वर्गक बीच मे सम्बन्ध बनबाक स्थिति बनैत अछि त बुझू दहेजक तान्डव खुलेआम देखल जाइछ। अनैतिकताक कय तरहक खेल चरम पर देखाइत अछि। चाहे बेटीवला कोनो लोभ मे अपन स्तर सँ ऊँच परिवार मे बेटीक विदाई करबाक लेल दहेजक सहारा लैत बढैत हो या बेटावला – खतरा दुनू परिवार पर तय रहैत अछि। एहि तरहक मिश्रण केर कारण दहेजक कय टा खतरनाक आ वीभत्स परिणाम हमरा लोकनि हत्या, हिंसा, उत्पीड़ण, तलाक, आदिक रूप मे देखैत छी।
 
आब आउ एकटा यथार्थ विन्दु पर मंथन करी –
 
उपरोक्त तीनू तरहक वर्ग आ ताहि तीनू मे मिश्रण केर परिणाम पर उपरोक्त वर्णित स्थिति सँ जखन समाज बखूबी परिचित अछि त फेर ई दहेज प्रथा केँ समाप्त कियैक नहि करैत अछि? सवाल गम्भीर ई छैक।
 
एहि पर हमर चिन्तन कहैत अछि –
 
समाज वास्तव मे दहेज प्रथा केँ तेनाकय स्वीकार कय लेने अछि जे आब ओकरा एहि प्रथा केँ छोड़ि आन कोनो बात ‘समाधान’ योग्य यानि सहज नहि बुझाइत छैक। ओकरा दहेज नहि गनला सँ अथवा गनबेला सँ अपन प्रतिष्ठा धुमिल होइत बुझाइत छैक। बिना दहेजक कुटमैती मे ठकेबाक आशंका मे घेराइत देखैत अछि स्वयं केँ। एक तरहक मृग-मरीचिका मे फँसल देखाइत अछि समाज।
 
यैह कारण छैक जे दहेज प्रथा सँ मुक्ति लेल भले गप बड़का-बड़का अहाँ कतहु आ केकरो सँ लय लिअ, धरि ओकरा कहू जे ‘निगरानी समिति’ बनाउ पंचायत स्तर पर जे दहेज लेनिहार-देनिहार केँ दन्डित करय… त ओ तुरन्त पाछाँ हंटि जायत। दहेजक प्रतिकार लेल कोनो तरहक सामाजिक बन्धन केर कानून कोनो ग्राम-पंचायत मे सब कियो मिलिकय बनाबय जाहि सँ ‘दहेज मुक्त मिथिला’ तुरन्त बनि जायत, ताहि लेल इक्का-दुक्का लोक भले तैयार देखाय… अपना केँ नीक लोक कहनिहार आ बुझनिहार केँ देखब जे अहाँक बजायल मीटिंग मे पर्यन्त नहि आओत। अहाँक प्रयासक खिल्ली उड़ाओत। ई अवस्था स्वयं अहाँक अपनहु परिवारक लोक मे देखि सकैत छी।
 
तखन फेर समाधान?
 
तखन समाधान केवल एतबा जे अहाँ स्वयं केँ दहेज मुक्त करू आ ईश्वर सँ प्रार्थना करू जे अहाँक संकल्प (शपथ) आजीवन निभेबा मे सहाय होइथ। अहाँ कोनो तरहक पाप मे नहि फँसब से बेर-बेर हाथ जोड़िकय इष्ट सँ निवेदन करू। नहि त कोनो गारन्टी नहि जे अहाँ सेहो समाजक स्थिति देखि कखनहुँ फिसलि जाय! एहि तरहें जे संकल्प लेल व्यक्ति, परिवार आ समुदाय सोझाँ भेटय, ताहि मे मात्र कुटमैतीक प्रश्रय दियौक। ई व्यवस्था मात्र बनायत दहेज मुक्त मिथिला।
 
हरिः हरः!!
 
(विज्ञजन कृपया अपन विचार जरूर राखब। हमर तथ्यांक अथवा समाजक यथार्थ स्वरूप मे यदि अहाँक मत भिन्न हो त हम स्वागत करब। सतार्किक निदानक संग अपन विचार जरूर राखू।)