नेपाल-भारत सम्बन्ध अटूट अछि
नेपाल आ भारत केर मीडिया संग-संग ट्विटर आ फेसबुक समान सामाजिक संजाल मे दुनू मित्रराष्ट्रक सम्बन्ध खराब होयबाक आ तरह-तरह केर कयास-कल्पना करैत संवाद सब संचरण भऽ रहल अछि। लेकिन एहि सभक बीच एकटा अन्तिम सत्य स्थापित अछि जे नेपाल आ भारतक सम्बन्ध केवल कूटनीतिक आ राजनीतिक नहि बल्कि जन-जन केर स्तर पर अदौकाल सँ स्थापित अछि, ताहि सँ कोनो चीन फैक्टर वा अन्य असहमति-असहयोगक कारण एहि दुइ देशक सम्बन्ध कहियो नहि टूटि सकैत अछि।
सामाजिक संजाल पर जाहि तरहक बहस चलि रहल अछि ताहि मे मीडिया द्वारा पसारल गेल भ्रम बेसी आ यथार्थता अत्यल्प देखैत छी। नेपाल-भारत केर सम्बन्ध केँ दशकों-दशक सँ बहुत नजदीक सँ देखबाक-बुझबाक अनुभवक आधार पर यैह कहि सकैत छी जे एहि तरहक कपोलकल्पित संवाद आ बात-विचार सँ दुइ मित्रराष्ट्रक राजनीतिक-कुटनीतिक सम्बन्ध पर असर पड़ियो जायत तऽ जन-जन बीच जे सौहार्द्र आ दियादी सम्बन्ध अछि, ओ कहियो भंग नहि होयत। तेँ, दुनू राष्ट्र मे शासनक सत्ताक बागडोर बदलिते राजनीतिक-कुटनीतिक सम्बन्ध सेहो बदलैत देखाइत रहत। धरि जन-जन बीच केर सम्बन्धक आधार पर नेपाल-भारत मित्रता केँ कियो कहियो खन्डित नहि कय सकैत अछि।
आखिर भेल की?
विगत किछु समय सँ नेपाल-भारत केर सम्बन्ध पर काफी रास चर्चा दुनू देश मे चलि रहल अछि। हमरा हिसाब सँ निम्न विन्दुवार ढंग सँ बात बुझल जा सकैत अछिः
१. नेपाल मे एकटा मुद्दा काफी दिन सँ राजनीतिक दल द्वारा उठैत रहल छैक जे नेपाल-भारत सीमा पर किछु क्षेत्र भारत द्वारा मीचल गेल (अतिक्रमण भेल) अछि। दार्चुला जिलाक कालापानी क्षेत्र, सुस्ता सहित कुल ७१ स्थान पर अतिक्रमण केर मुद्दा पर नेपाल भारत सँ शिकायत दर्ज करबैत काफी वर्ष पहिने सँ संयुक्त नापी टोली द्वारा विवाद केँ खत्म करबाक लेल प्रयास कयल जाइत रहल अछि। बहुत रास विवाद समाप्त सेहो कय लेल गेल, तथापि कालापानी आ सुस्ता संग आर किछु स्थान पर एखन धरि विवाद खत्म नहि भऽ सकल अछि। कालापानी मे भारतीय सेना कैम्प निर्माण कय केँ ‘कब्जा’ मे रखने अछि नेपाली भूमि आर संयुक्त नापी टोली केँ सेना द्वारा नापी करय सँ रोकल गेल। आदि।
२. पिछला दिन २०१५ मे भारत आ चीन जखन लिपुलेख दर्रा होइत व्यापारिक रास्ता खोलबाक समझौता कयलक बीजिंग मे, ताहि समय सेहो नेपाल मे एहि द्विपक्षीय समझौता पर आपत्ति जतबैत एकरा त्रिपक्षीय बनेबाक लेल राजनयिक स्तर पर आ सम्बन्धित भारत व चीन सरकार सँ पत्राचार कयल गेल। नेपाल मे मान्यता रहलैक अछि जे नेपालक पश्चिमी सीमा ‘काली’ नदी (महाकाली सँ सेहो परिचित) केर आकलन लिम्पियाधुरा केर मुहान सँ हेबाक चाही नहि कि कृत्रिम काली नदी सँ जेकरा भारत द्वारा कायम करैत किछु क्षेत्र अपन रणनीतिक स्वार्थ लेल हथिया लेल गेल अछि। यैह विवादक जड़ि थिकैक। नेपाल अपन पक्ष मे सुगौली संधि सँ निर्धारित सीमा काली नदी, पुनः १९६० केर आसपास नेपाल-तिब्बत सीमा सँ भारतीय सेनाक वापसीक सन्दर्भ दैत कालापानी सँ वापस नहि जेबाक आ पत्राचार कयलापर राजा महेन्द्र व प्रधानमंत्री कीर्तिनिधि विष्ट केर कार्यकाल मे चीन संग युद्धक स्थिति मे कालापानी क्षेत्र मे भारतीय सेना रखबाक अनुमति आदिक बात कहल जाइत छैक।
३. पैछला वर्ष (नवम्बर २०१९) भारत द्वारा जम्मू, कश्मीर आ लद्दाख क्षेत्रक नव राजनीतिक परिसीमन देखबैत जारी कयल गेल नक्शा प्रकाशित भेला उपरान्त नेपालक मीडिया मे एकटा समाचार एलैक कि भारत द्वारा जारी नव नक्शा मे कालापानी, लिपुलेख क्षेत्र केँ भारतक हिस्सा बना देल गेल अछि। एहि पर सड़क प्रदर्शन आ विरोध संग भारत विरोधी भावनाक लहरि उठलैक। एहि पर नेपाल सरकार संज्ञान लैत भारतक नव नक्शाक विरोध करैत पुनः पत्राचार करैत कालापानी क्षेत्रक सीमा विवाद लेल शीघ्र वार्ता करबाक अनुरोध कयल गेलैक भारत सँ, लेकिन नेपालक कथनानुसार एखन धरि भारत एहि पत्रक उत्तर आ वार्ताक सहमति नहि देलकैक अछि। उल्टा ८ मई २०२० केँ भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा तकरीबन ६० किलोमीटर केर सड़क-खण्ड जे धार्चुला-लिपुलेख होइत तिब्बतक सीमा केँ जोड़ैत मानसरोवर रूट सँ जोड़ैत छैक तेकर उद्घाटन कयल गेलैक। पुनः ई समाचार प्रकाश मे अबिते नेपाल मे फेर सँ भारत द्वारा एकतर्फी रस्ता बनेबाक विरोध मे प्रदर्शन आ विरोध दर्ज करबैत भारतीय राजदूत केँ नेपालक विदेश मंत्रालय मे बजाकय डिप्लोमैटिक नोट तक हस्तान्तरण करैत विरोध दर्ज करबैत शीघ्र वार्ता सँ समाधान लेल अनुरोध कयल गेलैक। एकर जवाब मे भारतीय पक्ष द्वारा कहल गेलैक जे उक्त सड़क पूर्णरूप सँ भारतीय क्षेत्र मे बनायल गेलैक अछि जे हमेशा सँ भारतहि केर रहलैक आर कैलाश-मानसरोवर जायवला बहुत प्राचीन रूट पर ई निर्माण कार्य कयल गेलैक अछि। नेपाल संग सीमा विवाद सुलझेबाक लेल तकनीकी समिति पहिनहि सँ गठित छैक आर वार्ता लेल कोरोना महामारीक समुचित व्यवस्थापन पछाति समय देल जेतैक सेहो बात भारतीय विदेश मंत्रालय केर तरफ सँ विज्ञप्ति मार्फत जानकारी देल गेलैक। यैह जानकारी नेपाल मे नवनियुक्त राजदूत विनय क्वात्रा द्वारा नेपाल विदेश मंत्री केँ उपलब्ध करायल गेलैक।
४. भारत द्वारा वार्ता प्रति गम्भीर नहि रहबाक स्थिति मे नेपालक राजनीतिक दल सभ केर तरफ सँ सरकार पर दबाव बनबैत नेपालक नक्शा मे सेहो दावीक सम्पूर्ण क्षेत्र केँ समेटबाक दबाव बनायल गेलैक। एहि पर वर्तमान नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी सरकारक मुखिया प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद ओली द्वारा नक्शा जारी करयवला विभाग केँ निर्देशन दैत आखिरकार २० मई २०२० केँ नव नक्शा जारी कय देल गेलैक जाहि मे लिम्पियाधुरा, लिपुलेख आ कालापानी केँ नेपालक हिस्सा देखायल गेलैक। तर्क वैह जे सुगौली सन्धि सँ काली नदीक पूरब नेपाल थिकैक, आर काली नदी लिम्पियाधुरा सँ निकलैत छैक, ताहि आधार पर नया नक्शा मे करीब ३७० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र केँ नेपाल मे जोड़िकय नक्शा सुधार करैत नेपालक कुल क्षेत्रफल केँ सेहो बढाकय जारी कय देल गेलैक। संग-संग एहि नव नक्शा केँ नेपालक राष्ट्रीय निशान मे समावेश करबाक लेल संविधान संशोधन प्रस्ताव सेहो नेपालक सदन मे दर्ता करा देल गेलैक। एहि पर भारतक तरफ सँ नेपाल द्वारा मनमानीपूर्वक नक्शा मे भारतक भूमि जोड़बाक आरोप लगबैत एहि तरहक क्रियाकलाप केँ स्वीकृति नहि देबाक बयान जारी भेलैक। होइत-होइत, विभिन्न तरहक राजनीतिक बयानबाजी आ पैंतराबाजी करैत आखिरकार आइ १३ जून २०२० केँ नेपालक संविधान केर दोसर संशोधन २०७७ नामक विधेयक मार्फत नया नक्शा केँ राष्ट्रीय निशानी (इम्ब्लेम) मे जोड़बाक स्वीकृति सदन मे उपस्थित कुल २५८ सदस्य मे सर्वसम्मति सँ पास कय देल गेलैक। एक सांसद सरिता गिरि द्वारा दर्ता एक संशोधन केँ सभापति अग्नि सापकोटा द्वारा अस्वीकार कय देलाक बाद ओ विरोध जतबैत सदन सँ बाहर चलि गेलीह, हुनका हिसाब सँ नेपाल द्वारा जारी नव-नक्शा मे बढायल गेल क्षेत्र केर कोनो साक्ष्य नहि रहबाक कारण पूर्वहि सँ रहल नक्शा केँ यथावत रखबाक संशोधन प्रस्ताव राखल गेल छलैक।
५. नेपाल केर संविधान संशोधन पर भारतक प्रतिक्रिया मे भारतीय विदेश मंत्रालयक प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव द्वारा कहल गेलैक अछि जे – “We have noted that the House of Representatives of Nepal has passed a constitution amendment bill for changing the map of Nepal to include parts of Indian territory. We have already made our position clear on this matter. This artificial enlargement of claims is not based on historical fact or evidence and is not tenable. It is also violative of our current understanding to hold talks on outstanding boundary issues.” – नेपालक प्रतिनिधिसभा द्वारा संविधान संशोधन बिल पास कयल गेल अछि जाहि मे भारतीय भूभाग केँ नेपाल मे समेटल गेल नक्शा सँ पूर्वक नक्शा केँ बदलल गेल अछि। एहि सन्दर्भ मे पहिनहि स्थिति स्पष्ट कय देल गेल अछि। एहि तरहक बनावटी बढोत्तरीक मांग जे कोनो ऐतिहासिक तथ्य अथवा प्रमाण पर आधारित नहि अछि से मान्य नहि होयत। एहि सँ हमरा लोकनिक सहमति जे शेष रहल सीमा मुद्दा पर वार्ता जारी राखब एकरो भंग कयल गेल अछि। – भारतीय सेना प्रमुख एक बयान मे कहला जे भारत आ नेपाल केर जनताक बीच बहुत गहींर सम्बन्ध छैक, तेकरा आरो बेसी मजगूती देबाक लेल भारत निरन्तर कार्य करैत रहत।
निष्कर्षतः राजनीति अपन करवट फेरैत रहत। दुइ देशक राजनयिक लोकनि अपना ढंग सँ समाधानक रस्ता सब खोजैत रहता। लेकिन जाहि तरहक भूगोल आ अर्थव्यवस्था नेपालक अछि ताहि मे भारत-नेपाल केर मित्रता कदापि खन्डित होयब सोचनाय सेहो संभव नहि अछि। यैह कारण छैक जे दुनू राष्ट्रक आपसी सम्बन्ध सब दिन बनल रहबाक चाही।
हरिः हरः!!