विशेष सम्पादकीय
काल्हि ५ अप्रैल २०२० भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केर विशेष अपील पर राति ९ बजे ९ मिनट लेल दीप जरेबाक एकटा जनप्रिय संवाद अनुसार नहि केवल भारत मे बल्कि समूचा विश्वक अनेकहुँ राष्ट्र मे दीप जराकय अन्हार (एखुनका अनिश्चितता आ भयावहताक त्रास) सँ प्रकाश (आत्मरक्षार्थ एक नव आशा) दिश जन-जन केँ बढैत रहबाक कार्य भेल। निराशा सँ आशा केर एक नव किरण चारूकात पसरल। ओहुना, सनातन धर्म केर परम्परा मे देखल जाय त कोनो शुभ कार्य केर आरम्भ करबाक लेल सर्वप्रथम दीप जरेबाक विधान कयल गेल अछि। “ॐ दीं दीपनाथाय नमः” – एहि मंत्र सँ दीप जरबैत सर्वोच्च परमात्मशक्ति केँ ताहि प्रकाश मे आवाहन कयल जाइत अछि। हमरा लोकनि सेहो कोनो पूजा (सत्यनारायण भगवान पूजा) करी, दिवारी मे दीप जरबैत कार्यारम्भ करैत आयल छी मिथिला मे। सांध्यदीप – सूर्यास्तक समय दीप जरेबाक बहुत रास मानवहितक बात कहल गेल अछि।
दीपो ज्योतिः परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं सांध्यदीप! नमोऽस्तु ते॥
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखसम्पदम्।
शत्रुबुद्धिविनाशं च दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते॥
वर्तमान कोरोना वायरस केर त्रास ओना त बेसी ओहेन देश आ स्थान मे देखल गेल अछि जतय लोक सर्वभक्षी बेसी अछि, आहार-विहार मे जेकर अवस्था घोर निन्दनीय (यथा गोमांस भक्षण) रहलैक अछि सनातन धर्मक विचार सँ… परञ्च संक्रमण जाहि खतरनाक स्तर पर पसैर रहल छैक, जाहि तरहें एकर सटीक वैक्सीन आदि नहि बनल छैक, विज्ञान हाथ ठाढ कय देने छैक… एहेन अंधकार सँ निकालबाक लेल प्रकाशक दिशा मे गमन हेतु एक राष्ट्राध्यक्ष जेकर आजुक समय ‘विश्वनेता’ केर प्रतिमानरूप सेहो स्थापित भऽ गेलैक अछि, ताहि नरेन्द्र मोदी जीक आह्वान केँ सब कियो काफी सकारात्मक रूप मे स्वीकार कयलक। लेकिन विरोधी स्वर सेहो मुखर भेल अछि, कियो अंधविश्वास, कियो मूल बात सँ लोकक दिमाग भटकेबाक, त कियो किछु – कियो किछु कहिकय आलोचना मे सेहो लागल अछि।
कुतर्क केर परिभाषा कि भऽ सकैत छैक? कोनो विचार अथवा कार्ययोजना प्रति विपक्ष मे देल गेल तर्क? नहि-नहि! विपक्ष मे देल गेल बात या विचार केँ कुतर्क कहनाय ज्यादती आ अनुचित हेतैक। कुतर्क भेल जे विपक्ष मे ठाढ भऽ विरोध करबाक बेतुका तर्क – वाहियात आ गैर-जरूरी शंका या सवाल। सेहो केवल विरोध प्रकट करबा धरि सीमित नहि, बल्कि विचार या योजना देनिहार प्रति कुवचन, क्रोध सँ भरि ओकर चरित्र चित्रण, ओकरा प्रति कइएक बात जे एहि समय कतहु सँ आवश्यक तक नहि छैक। शायद एकरे सब केँ कुतर्कक परिभाषा अन्तर्गत राखल जा सकैत छैक। विज्ञजन जँ पढथि त ओ हमर समझ केँ सुधारि सकैत छथि, अपन सुझावपूर्ण सलाह दय केँ।
एखन मानव सभ्यता पर एकटा विषाणु (वायरस) सँ कतेक पैघ त्रासदीपूर्ण अवस्था बनि गेल छैक से केकरो सँ छुपल नहि अछि। सब कियो जनैत छी जे जीवन सब जीव केँ बहुत प्रिय होइत छैक, ताहि मे विवेक आ ज्ञान केर धनी जीव यानि मानव समुदाय जेकरा पास बहुत किछु विकसित अवस्था मे उपलब्ध छैक – स्वास्थ्य रक्षा सँ लैत जीवनोपयोगी हर बात-विचार आ सुविधा विकसित कएने अछि, ज्ञान-विज्ञान सँ चमत्कारिक उपभोग्य वस्तु (संसाधन) केर कोनो कमी नहि… लेकिन कोरोना वायरस – कोविड १९ सँ लड़बाक लेल सिर्फ आ सिर्फ मनुष्यक अपनहि रोग-प्रतिरोधी क्षमता केर सहारा छैक। संग-संग संक्रमित तंत्र यथा स्वसन प्रक्रिया या पाचन सँ लैत रक्त-संचार एवं शरीर केँ ठाढ राखयवला विभिन्न तंत्र केँ औषधीय उपचार सँ लैत लाइफ सपोर्ट सिस्टम जेना वेन्टीलेटर सँ कृत्रिम साँस व्यवस्था, आक्सीजन आपूर्ति व्यवस्था, आदिक सहारा सँ बीमार लोक लड़ि सकैत अछि।
दोसर दिश जे स्वस्थ अछि ओकरा लेल चुनौती छैक जे ओ केना अपना केँ संक्रमित होइ सँ बचा सकत, ताहि लेल सेहो स्पष्ट दिशानिर्देश देल गेल छैक जे अहाँ अन्य संक्रमित लोक सँ अपना केँ बचाउ। संक्रमण शारीरिक स्पर्श सँ हाथक रस्ते, या फेर स्वाँसक द्वारा नासिका सँ, अथवा वायरस सहितक कोनो तरहक आहार आदि मुंहक रस्ते सेहो, शरीरक जे कोनो भाग सँ कोरोना वायरस भीतर प्रवेश कय सकय, ताहि सब केँ बचेबाक जरूरति अछि। फेस-मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई गाउन, आँखिक सुरक्षा लेल चश्मा, हैन्ड ग्लोव्स, शू कवर – कतेको रास विशेष पहिरन आ सुरक्षात्मक विषाणुमारक लेपन आदिक उपाय बेर-बेर स्वास्थ्यकर्मी एवं राज्य निकाय द्वारा जन-जन केँ चेतना मे देल जा रहल छैक। स्वयं केँ संक्रमित सँ बचाउ, तथा स्वयं केर संक्रमण अछि त अपना केँ अकेला करैत दोसर केँ जान केर सुरक्षा लेल सहयोग करू। आदि।
अमेरिका बहुत विकसित राष्ट्र मानल जाइत अछि। ओकरा पास मेडिकल सँ लैत अन्य वैज्ञानिक उपकरण आदिक भरपूर इन्तजाम छैक। खजाना मे माल सेहो टाइट छैक। लेकिन कोरोना वायरस केर संक्रमण सँ जाहि तरहें समय पर सोशल डिस्टैन्सिंग (एक-दोसर सँ दूरी बनेबाक उपाय) करबाक चाही ताहि सँ चूकल। इटली मे कोरोनाक रोगी केँ गला लगाकय अपन उदारता देखायल गेल छल, ओतहु समय सँ निर्दिष्ट उपाय नहि भेल। स्पेन, इरान, जापान, बेलायत आदि अनेकों देश – दुनियाक लगभग सब देश एहि कोरोना वायरस संक्रमण सँ बेहाल अछि। कतहु बड बेसी, कतहु कम! लेकिन मानव सभ्यता पर अनियंत्रित मृत्युक खतरा मंडरा रहल अछि। सब कियो भीतरे-भीतर एकटा अन्जान भय केर त्रास मे डूबि गेल अछि – “हमर कि होयत? कोरोना हमरा केना धरत? हम कोना बचब?” – एहि भय केर कारण अवस्था आरो भयावह नहि भऽ जाय ताहि लेल हरेक राष्ट्र द्वारा ‘लकडाउन’ नामक एकटा विशेष उपाय निर्दिष्ट भेल अछि। बस, अपना केँ सीमित करू, घर भीतर बन्द भऽ जाउ, बाहर नहि जाउ, संक्रमण होयबाक कोनो भी आशंका सँ बचाउ। यैह टा उपाय।
दुर्गा सप्तशतीक एगारहम अध्याय मे श्लोक ४१ सँ ५५ धरि भगवतीक कथन पर ध्यान देब त नजरि पड़त जे हिन्दू शास्त्र-पुराण कतेक सटीक भविष्यवाणी कएने अछि। भगवती अपन अनेकों बेर अवतार लेबाक (प्रकट होयबाक) कथन कएने छथि। एक-एक श्लोक केँ मनन करब त ज्ञात होइछ जे असुर शक्ति अनेकों रूप मे अबैत रहत, आर तहिना सुर लोकनिक रक्षार्थ देवी विशेष रूप मे आबिकय रक्षा करैत रहती। एहि श्लोक पर विशेष ध्यान देल जाय –
यदाऽरुणाख्यस्तैलोक्ये महाबाधां करिष्यति।
तदाहं भ्रामरं रूपं कृत्वासंख्येयषट्पदम्।
त्रैलोकस्य हितार्थाय वधिष्यामि महासुरम्।
भ्रामरीति च मांल्लोका-स्तदा स्तोष्यन्ति सर्वतः।
इत्थँय्यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति।
तदा तदाऽवतीर्य्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम्॥दु.स.श. अ. ११ श्लोक ५२-५५॥
भगवती एहि सँ पूर्वहु केर श्लोक मे स्वयं कोना विन्ध्यवासिनी, भीमादेवी, आदि अनेक रूप मे आबि विभिन्न असुर केर संहार करती सेहो वचन देने छथि। आर उक्त श्लोक मे स्पष्ट कहने छथि जे “फेरि जखन अरुण नामा दैत्य तीनूलोकमे महाबाधा नाम महा उपद्रव करत, तखन हम भ्रामरी रूप जाहिमे असंख्येय भ्रमर रहत, से स्वरूप धारण कय तीनू लोकक हितार्थ महादैत्य केँ वध करब (भ्रामरी अवतार सैह महामारी थिकीह)। ताहि कालमे मनुष्य सवहि हमरा भ्रामरी नामसौं सर्वत्र स्तर करताह। एवम्प्रकार जखन-जखन अँहाँ सबहिकाँ दानवकृत पीडा होयत, ताहि-ताहि समय हम अवतार लय, शत्रु सबहिकाँ नाश करव।” (श्रीलालदासकृत सप्तशत्यनुवाद सँ उद्धृत पाँति)
कम सँ कम सनातन धर्म द्वारा चर्चित एहि तरहक ज्ञात इतिहास केँ देखैत-बुझैत समस्त मानव समुदाय लेल एखन दैविक आवाहन आ सुमिरन-मनन मे कल्याण अछि। बेतुका आ अनावश्यक कुतर्क मे पड़ला सँ केकरहु हित नहि अछि। एखन हित आ कल्याण लेल अपन-अपन चिन्तन प्रक्रिया केँ सब कियो एक्टिवेट (सक्रिय) करी, यैह विशेष भाव सहित ई लेख समर्पित कयल अछि।
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तु ते॥११-११॥
माँ, जगज्जनी केवल कल्याण करती!
हरिः हरः!!