हे सिया! बस तोहर कृपा बनल रहय!!

दिवस विशेष सम्पादकीय

दहेज मुक्त मिथिला ९म वार्षिकी पर विशेष
 
जगज्जननी जगदम्बा मिथिला पर कृपा केलनि जे एहि ठाम पृथ्वी माताक कोखि सँ अवतार लय हम समस्त मिथिलावासी सहित मानव जगत केँ आफद-विपत्ति सँ मुक्त करौलनि।
 
दहेज प्रथा आइ जाहि विकरालताक दर्शन करा रहल अछि, कतेको धियाक भ्रूण हत्या समान जघन्य पाप तक करय सँ लोक नहि डेराइत अछि। ओना देखला सँ ई सामान्य बात बुझाइत छैक, लेकिन कन्या भ्रूण हत्या कतेक पैघ जघन्य अपराध छियैक से एना बुझल जा सकैत छैक –
 
*कुमारि ब्राह्मण खुएबाक परम्परा अछि अपन मिथिला मे, लेकिन जन्म सँ पहिनहि जे व्यक्ति, समुदाय, समाज वा क्षेत्रक लोक कन्या भ्रूण हत्या करय – ओकरा कोन नैतिकताक आधार पर कुमारि पूजा करबाक अधिकार रहतैक?
 
*जानकी जी अपन अवतारी नारी हेबाक बात त अनेकों लीला सँ सिद्ध कयलीह, परञ्च राजा जनक द्वारा कयल गेल हलेष्टि यज्ञ सँ प्राप्त ओहो त एकटा बेटिये रहथि। ताहि बेटी पर हम सब जुर्म करैत छी से कतेक उचित?
 
*कन्यादान केँ शास्त्र मे महान दान कहल गेल अछि। ई मोक्षदायिनी दान कहाइत अछि। जाहि माता-पिता केँ कन्यादान करबाक अवसर भेटि गेल ओ बुझू तैर गेल। तखनहुँ ई जघन्य जीव हत्याक पाप लोक अपन सिरे लैत अछि, आर से सिर्फ दहेजक मांग, आडम्बरी खर्चाक भार आ बेटी दोसर घर चलि जायत – किछु एहि तरहक क्षुद्र सोच राखिकय। ई मानवता कोना?
 
ई त मात्र किछुए गोट सवाल राखल, बहुत रास सवाल अछि आर बहुत प्रकारक घमर्थन सेहो अछि। कियो पक्ष, कियो विपक्ष, कियो पैतृक सम्पत्ति मे हिस्सा, कियो शिक्षा-रोजगार सँ बेटी केँ सम्पन्न बनेबाक बात, आदि-इत्यादि कय रंगक बहस-विमर्श एहि विषय पर चलिते रहैत अछि। मुदा सिर्फ स्वेच्छाचारिताक धर्म निभबैत सब सन्तान प्रति एक रंग सोच राखि अपन मर्यादित व्यवहार टा लोक करैत चलय, संसार सच मे सुन्दर बनल रहतैक। दहेज मुक्त मिथिला बनल रहतैक। पापमय संसार मे प्रवेश कय केँ पमरिया बनले सँ केकरो कि भेटि गेलैक अथवा कि भेटि जेतैक?
 
बस जगज्जननी जानकी केँ स्मरण करैत आइ ९म वार्षिकी पर हम सब अपना टा केँ स्वच्छ, निष्पाप, कर्मठ आ समत्व सिनेह सब सन्तान लेल राखि अपन मानव जीवन केँ पार लगायब, एतबे टा संकल्प ली। जानकीक कृपा सब पर बनल रहय।
 
हरिः हरः!!