मैथिल ब्राह्मणक विवाह सभा सौराठ मे शुरु: मृतप्राय परंपराकेँ जियेबाक खोखला संकल्प

विशेष संपादकीय

सभावास प्रारंभ

saurath sabha 2015मैथिल ब्राह्मणक वैवाहिक संबंध निराकरण लेल कुल ४२ सभा मे सँ एकमात्र प्रमुख सौराठ सभागाछी मे काल्हि ४ जुन सँ सभावासक प्रारंभक सूचना अछि। सभा लगेबाक लेल स्वस्फूर्त तंत्र रहितो आधुनिक काल मे विभिन्न पक्षक व्यवस्थापन सम्हारबाक निमित्त सँ बनल एक आयोजक संस्था ‘ऐतिहासिक सौराठ सभा विकास समिति’क सचिव डा. शेखर चन्द्र मिश्र फेसबुक द्वारा संवाद देलनि अछि जे सौराठ सभा वास सादगीपूर्ण तरीका सँ प्रारंभ भेल, पुन: ११ जुन सभावास होयत, सभैती विद्वान् तथा समाजसेवी मैथिल ब्राह्मण लोकनि मिथिला ब्राह्मण महासभाक अग्रसरता मे एहि विन्दु पर विमर्श करता जे एहि धरोहरक रक्षा कोना होयत। डा. मिश्र द्वारा प्रेषित फोटो अनुसार बामोस्किल किछु महत्त्वपूर्ण सभैती तथा आमंत्रित विद्वान् तथा सज्जन लोकनि सभागाछी मे सतरंजी ओछाय ताहि पर बैसल देखा रहला अछि आ जेना विगतक वर्ष जेकाँ सभा मे विवाह योग्य वरक उपस्थिति शून्य अहु बेर देखायल अछि।

अनुपम वैवाहिक संबंध निराकरण परंपरा: सौराठ सभा

dmm2विदित हो जे ‘ललका धोती, कुर्ता आ पाग’ आदि पहिरि विवाह योग्य वर अपना लेल समुचित जोड़ी पेबाक मनोकामनाक संग सभा मे बैसैत छलाह, हुनका संगे हुनक गुरुजन, श्रेष्ठ अभिभावक आ कर-कुटुम्ब लोकनि सेहो सभा मे अबैत छलाह आ ओहि वरक प्रतिभा देखि लोक अपन धियाक कुटमैती लेल हुनकर प्रति कथा-वार्ता सभा मे करैत छलाह। परिचय-पाती, कुल-खानदान, मूल-पाँजि, वरक योग्यता, वरक पारिवारिक पृष्ठभूमि, जमीन-जथा, नौकरी-कारोबार आ सब तरहें एकटा सक्षम गृहस्थ लेल वांछित विभिन्न विन्दु पर सभावासक दरम्यान चर्चा होइत छल। एकटा वर पर अनेको कथा प्रस्तोता, पंजिकार व अन्य मध्यस्थकर्ता लोकनिक विभिन्न चरण मे वार्ता सँ कथा करबाक निराकरण होइत छल। ओतहि वैवाहिक अधिकार निर्णयक वैज्ञानिक स्वरूप, अर्थात् वर तथा कनियांक पैतृक एवं मातृक पक्ष बीच सीधा रक्त संबंधक जाँच कैल जाइत छल। पिताक तरफ सँ सात पीढी धरि, माताक तरफ सँ पाँच पीढी धरि प्रत्यक्ष रक्त संबंध नहि भेले पर ‘वैवाहिक अधिकार’ हेतु ‘निर्णय’ देल जाइत छल। तदोपरान्त सिद्धान्त लेखन व विवाहक तारीख या तऽ ओही दिन वा दुनू पक्षक सुविधानुसार अन्य दिन लेल निर्णय कैल जाइत छल।

दहेज प्रथाक स्तर सभावास धरि न्यून

dmm11विवाह कोन रूप मे आ वर-कनियांकेँ कि सब उपहार दुनू पक्ष देता ताहिपर सेहो चर्चा होइत छल। यैह चर्चा बाद मे कूचर्चा बनैत क्रमश: कालरूपी दहेज बनिकय आइ मिथिलाक सर्वोच्च जातीय संस्थाकेँ दिवार लगा देलक अछि। आइ मैथिल ब्राह्मणक दुर्दशा दहेजक व्यवस्था आ वैवाहिक आडंबर केँ पूरा करबाक समय प्रत्यक्ष देखल जाइछ। एक वैवाहिक संबंध लेल लाखों रुपयाक खर्च तय मानल जाइछ। अगबे शख आ मौज मे लाखों रुपयाक पूँजी पलायन सँ समग्र मिथिलाक अहित होइत अछि। सादगीपूर्ण वैवाहिक व्यवस्था जे अदौकाल सँ सभावास द्वारा होइत छल, से आइ आधुनिकता आ भौतिकवादी देखाबा मे बर्बाद भऽ चुकल अछि। लेकिन हरेक जाग्रत समाज मे किछु एहेन जीवट लोक होइत अछि जे निरंतर एहि दिशा मे चिन्तन करैत अछि कि कोना नीक परंपराक पुन: शुरुआत हो। ताहि क्रम मे डा. शेखर चन्द्र मिश्र सहित पंचकोसीक अनेको गाम सँ सभावास मे आबि रहला विद्वत् लोकनि एहि लेल चिन्तित देखाइत छथि।

सभागाछी मे अतिक्रमण सभा लगेबाक प्रथाक मूल बाधक

dmm16लेकिन सभा आयोजन लेल जे उत्साह समस्त ग्रामीण मे देखेबाक चाही से नगण्य अछि। एकटा छोट स्तर दुर्गा पूजाक आयोजन लेल पर्यन्त सौराठ गामक एकताक चर्चा होइत अछि, बाबा सोमनाथ मन्दिर सँ लैत अनेको अन्य सार्वजनिक ग्रामीण स्थलक संरक्षण, प्रवर्धन लेल सौराठ गामवासीक प्रतिष्ठा चारूकात चर्चा मे रहैत अछि। गाम मे एक सँ बढिकय एक उच्च-प्रतिष्ठित लोक सब छथि। मुदा एहेन महान धरोहरक संरक्षण लेल एकमात्र शेखर बाबु छोड़ि अन्य कियो-कतहु उत्साह सँ डेग बढबैत नहि देखाइत छथि। किछु लोकक शिकायत छन्हि जे डा. शेखर मिश्र ताहि तरहें सबकेँ प्रेरित नहि कय पबैत छथि, चौतरफा उत्साह यैह कारण नहि बनि पबैत छैक। लेकिन ई खोखला आरोप टा थीक कारण डा. मिश्र संग दहेज मुक्त मिथिला समाजिक संस्था संग सहकार्य करैत यदि सौंसे भारत सँ लोकक जुटान २०११ मे ओतय संभव भेलैक तऽ ओकरा निरंतरता देबय लेल समस्त स्थानीय जनताकेँ भले एक व्यक्ति कोना रोकि सकैत छैक।

एक विलक्षण आ महत्त्वपूर्ण परंपरा अन्तक समीप

dmm1जे भी हो! सौराठ सभा मृत्युक भोग केँ प्राप्त भऽ रहल अछि, ई चिन्ताक विषय थीक। एहि पर ग्रामीणक संग पड़ोसी गाम-समाजक लोक एकजुटता सँ लागिकय सभावास लेल मेलामय वातावरण आ आमंत्रण प्रक्रिया अपनेता तऽ अवश्य उल्लेखणीय प्रगति देखबाक लेल भेटत। ध्यातव्य इहो अछि जे एहि सभाक व्यवस्थापन लेल कहियो बिहार सरकार लाखों रुपयाक कोष आबंटित करैत छल, बसक सुविधा, कोटा दर पर चीनी, रहबाक इन्तजाम, शौचालय, आदि समस्त इन्तजाम बिहार सरकार द्वारा कैल जाइत छल। लेकिन सरकारहु स्थानीय जनताक उत्साह सँ उत्साहित होइत अछि, जाबत स्थानीय लोक मे एहि धरोहर प्रति उत्साह नहि होयत, भले एकरा पुनर्जीवन कोना भेट सकैत अछि।

सभा लगेबा पर नेतृत्वक आवश्यकता

dmm19किछु लोकक इहो आरोप छैक जे सभा लेल दान देल अफरात जमीन पर लोक सब अपन कब्जा जमौने अछि, ओकरा सबकेँ ई डर सता रहलैक अछि जे कहीं सभा फेर लागय लागत आ सरकार एहि दिशा मे ध्यान देमय लागत तऽ ओकर कब्जा नहि रहि पाओत। संभवत: यैह मूल कारण छैक जे अनेरुआ-अनाथ पड़ल जमीन पर कतेको स्थानीय लोक कब्जा जमेबाक कारणे एहि सभा केँ पुन: उत्कर्ष प्राप्त करबा मे मूल बाधक बनैत अछि। किछु लोक अपना केँ अति पिछड़ा आ दलित समाजक मानि सभाक पड़ल जमीन पर घर तक बना लेने अछि, कतेको ग्रामीण सभा मे दान दय देल गेल जमीन पुन: अपना कब्जा मे कय लेने अछि, किछु लोक सभागाछी केँ अपन बपौती संपत्ति मानि मनमर्जी अपना प्रयोग मे आनि रहल अछि।

सभा लगेबाक प्रश्न पर स्थानीय लोकक संग सरकारक उदासीनता

ओतुका सुन्दरता आ अलग-अलग तरहक रख-रखाव लेल यैह अतिक्रमण कएनिहार लोक सब मूल बाधाक कारण बनल स्पष्ट अछि। कतेको बेर सरकारक ध्यानाकर्षण ताहि दिशा मे करेलाक बादो सरकार स्थानीय लोक सँ पंगाबाजी नहि करबाक थेत्थर नीतिक कारण चुप अछि। एतेक तक जे बिहार सरकार द्वारा देल गेल लाखोंक अनुदान राशि केँ सौराठ सभाक बदला अन्यत्र खर्च कय देल गेल, अनुदान बिन प्रयोग केनहिये घुरा देल गेल, लेकिन ई स्थान पुन: विकसित हो ताहि लेल सब मौन अछि। सौंसे मिथिलाक ब्राह्मण एहि लेल एकजुट होइथ तँ निश्चित तौर पर एकर विकास किछुए वर्षक अन्दर संभव होयत आ ई विश्व धरोहर मे अपना केँ सूचीकृत करा सकैत अछि। लेकिन शास्त्र वचनानुसार ब्राह्मण मे कहियो एकता संभव नहि अछि, मैथिल ब्राह्मण तँ ओहुना खण्डी-बुद्धिकेँ मानल जाइत अछि।

मिथिलाक समस्त मैथिल ब्राह्मण मे एकता सँ एकर संरक्षण अछि संभव

अत: एक अति विलक्षण ऐतिहासिक परंपराक अन्त लगभग भऽ गेल अछि आ तेकर दुष्परिणाम ई जे मैथिल ब्राह्मणकेँ आइ घर-कुटमैती, गताते-कुटमैती मे खूब समस्या आबय लागल अछि। प्रवास पर बेसी लोक छितरा गेलाक कारण समुचित वर-कनियां केँ जोड़ी मिलेबाक इन्टरनेट समान बिन-भरोस माध्यम केँ आन किछुओ नहि बचि गेल अछि। जेकर परिणाम अनजातीय विवाह आ अपसंस्कृतिक रूप मे मैथिल ब्राह्मणक बौद्धिक अग्रता केँ नाश कय रहल अछि। वर्णसंकरक उत्पत्ति चरम पर अछि। पौराणिक काल सँ मैथिल ब्राह्मणक योगदान आधुनिक काल मे आबि बस नौकरी-चाकरी तक मे सीमित रहि गेल अछि। मैथिल ब्राह्मणक एहि दुर्दशा मे वैज्ञानिक वैवाहिक परंपरा मे ह्रास एक मूल कारण मानल जाइछ।