दिल्ली मे दोसर बेर मैथिली लिटरेचर फेस्टीवल काल्हि सँ आरम्भ भेल

दिल्ली मे दोसर बेर मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल
 
जानकीजीक कृपा सँ चारूकात परमानन्द बरैस रहल अछि
 
मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, होता वही है जो मंजूरे खुदा होता है – एहि कहाबत केँ पूर्णता पबैत देखि सकैत छी
 
मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर भव्य शुरुआत भेल अछि। स्वयं जानकीजीक कमान्ड मे सब किछु आयोजित होइत देखलहुँ। बिपरीत परिस्थिति मे जेना-तेना अपन प्रतिबद्धताक रक्षा लेल मैथिली लेखक संघ आ आम मैथिल समाज एकजुटता देखा रहला अछि। चूँकि मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर आयोजन मे कोनो तरहक सरकारी कोष पर निर्भरता राखब जरूरी नहि छैक, परञ्च पिछला २०१८ सँ मैथिली भोजपुरी अकादमी द्वारा एहि मे आर्थिक सहयोग करैत सह-आयोजकक भूमिका निर्वाह कयल जेबाक कारण एहि वर्ष २०१९ मे सेहो मुख्य आयोजक एहि भरोसे रहल जे आर्थिक सहयोग लेल अकादमी अपन भूमिका निर्वाह करबे करत जे अन्तिम समय मे आबि कतिपय कारण सँ नहि भऽ सकल छैक एखन धरि।
 
आइ दोसर दिनक कार्यक्रम पुनः ससमय आरम्भ होयत। १० बजे सँ सोशल मीडिया आ मैथिली नामक सत्र मे हमहुँ विमर्शीक तौर पर सहभागिता देब। तहिना भाषा आ साहित्यक कइएक महत्वपूर्ण विधा पर एक सँ बढिकय एक विद्वान वक्ता लोकनि अपन मत सत्रवार चर्चा मे देथिन। संध्याकाल झमटगर कवि सम्मेलन होयत। आब आइ आ काल्हिक आयोजन बाकी अछि जे काल्हिये जेकाँ सुनियंत्रित ढंग सँ सम्पन्न होयत। जे दर्शक-श्रोता उपस्थित रहैत छथि ओ सब परमानन्द मे डूबल रहैत छथि। जिनका जे चाही से एहि फेस्टिवल मे भेटैत छन्हि। एहि बेर ताम-झाम अर्थात् मेला आ मनोरंजनक विकल्प सिमटल रहबाक कारणे बहुत लोक केँ आनन्द नहि आबनि, मुदा तैयो सभागारक बाहरी गैलरी मे सभक मिलान होइत देखल जा रहल अछि।
 
दिल्ली मे कइएको संस्था छैक जे मैथिली भाषा आ मिथिला संस्कृतिक संग मैथिल लोकसमाज, लोकपरम्परा, लोक सँ जुड़ल विभिन्न पक्ष पर आधारित अनेकों तरहक सामूहिक आ संगठित काज सब करैत रहैत अछि। एतय शिक्षा क्षेत्र यथा दिल्ली विश्वविद्यालय आ जेएनयू जेहेन उच्च प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान मे कार्यरत कइएक प्राचार्य-प्राध्यापक लोकनि सेहो छथि जिनका नजदीक सँ देखबाक आ सुनबाक अवसर एहि तरहक आयोजन मे देखि पबैत छी। मुदा मैथिली लेखक संघ केर अपन संगठनक कोनो स्वरूप एहि दिल्ली मे नहि रहि जेबाक मुख्य कमजोरीक कारण एकमात्र महासचिव केर प्रवासक्षेत्र दिल्ली मे किछेक कर्मयोगी आ समर्पित संगी-सहयोगीक बल सँ ई आयोजन करबाक अदम्य साहस आखिरकार दिल्ली वला रंग मे एकरा नहि रांगि पबैत छथि।
 
यदि दिल्लीक प्रत्येक संघ-संस्था केँ मुख्य आयोजक ‘मैथिली लेखक संघ’ केर सदस्यता आ जिम्मेदारी देल जेतनि तँ संभवतः कार्यक्रमक प्रखरता आ व्यवस्थापन मे आर विलक्षणता देखायत। ओना बकौल महासचिव विनोद कुमार झा ऊर्फ सरकार, दिल्लीक लोक केँ बेर-बेर विनती कयलाक बादहु ओ लोकनि उचित जबाब तक समय पर नहि दैत छथि, जे काफी निराशा बढबयवला होइत अछि आर एहि कारणे आयोजन लेल निर्भरता एकटा राजकीय संस्था (अकादमी) आदि पर बनल रहैत अछि। निर्भरता बनल रहैत छैक गोटेक सक्षम-समृद्ध आ सौहार्द्र देखौनिहार व्यक्ति आ संस्था पर – जे ई लोकनि अवश्ये अपन कर्तव्य निभेता। तथापि समन्वय लेल दिल्ली मे तुरन्त सब किछु संभव नहि छैक।
 
ओनाहू ई राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र थिकैक, एतय सँ देशक राजनीति संचालित होइत छैक, ताहि मे मैथिल जनसमुदाय केर अधिकांश लोक भले मजदूरी आ श्रमिक वर्गक अछि मुदा जे कनेक सबल-सामर्थ्यवान अछि ओ सब अपनहि फुचफुच्ची मे आकंठ डूबल रहैछ। ओकरा ११८ बेर अनुरोध करबय, नाम लेबय, पाछाँ पड़बय, कि-कि करबय, पैरवी लगबेबय, ओकर स्वार्थ आ हित केर पोषण करबय…. तखन जाय केँ कहीं ओकर मोन डोलि जाय आ अहाँक संग काज करय मे आगाँ आबि जाय… नहि तँ देवता जेकाँ १०८ बेर नाम लय अहाँ जप करिते रहि जायब, फलीभूत कहियो नहि होयत, हमर अनुभव यैह रहल अछि। एतय बेसी लोक अपना लेल आयल अछि, मैथिली-मिथिलाक हित लेल फुर्सत कम छैक लोकक पास।
 
समग्र मे, मैथिलीक काज स्वयं पराम्बा जानकीजीक काज सदृश देखल अछि। अपन किछु वर्षक सक्रिय अभियानक क्रम मे ई अनुभव कयल अछि जे अहाँ पूर्ण समर्पण आ मनोयोग सँ काज करू, बाकी सबटा जानकीजी अपने करथिन…. यैह एतहु सच भऽ रहल अछि। सब किछु हेतैक, बढियां सँ हेतैक। आउ, भेटी आइ अपन सत्र आ आनहु सत्रकाल मे। बहुत किछु सुनबाक, बुझबाक आ गुनबाक अवसर भेटि रहल अछि। अपन मैथिली आ मिथिला एहिना सब दिन नव-नव ऊँचाई प्राप्त करय, हमर एहि सँ बेसी कोनो कामना नहि। जय मिथिला – जय जानकी!
 
मैथिली जिन्दाबाद!!
 
हरिः हरः!!