विशेष सम्पादकीय
सब सँ पहिने १९८७ केर बाढिक बाद ओहने त्रासदीपूर्ण बाढि दोहरेबाक दुखद समाचार प्रति संवेदना व्यक्त कय रहल छी।
बाढि प्रभावित क्षेत्र मे समुचित राहत कार्य तेजी सँ हो, कियो भुखले नहि मरय, माल-मवेशी आ मनुष्य केर जान सुरक्षा लेल आपदा प्रबन्धन कार्य खूब जोर-शोर सँ हो, ई सम्बन्धित राज्य आ राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था सँ दुनू देश नेपाल आ भारत सँ अपील करैत छी।
बाढिक मुख्य कारण छैक नेपाल मे वृहस्पति दिन सँ लगातार वर्षा – आइ ऊबेर भेल बुझाइत अछि। लेकिन फेर साँझ आ राति मे जोरदार वर्षा होयबाक संभावना बनले अछि।
वर्षा केहेन भऽ रहल अछि तेकर विस्तृत समाचार देश-विदेश सभ तैर समाचारपत्र मे प्रकाशित भेल अछि। अमेरिकाक समाचार पत्र न्युयोर्क स्टेट्समैन मे प्रकाशित समाचार एहि लिंक पर पढि सकैत छीः
बाढि पर मानव नियंत्रण असंभव
जखन torrential rain – incessant rain अर्थात् मूसलाधार वर्षा आ निरन्तर वर्षा पहाड़ मे पड़ैत अछि त स्वाभाविके रूप मे सारा पहाड़ी नदी भरिकय – ओर पेट केर आकार धरि भरलाक बाद तेज बहावक संग मैदानी भूभाग दिश बहय लगैत अछि। आर ओ पानिक बहाव आ परिमाण दुनू एतेक बेसी होइत छैक जे ओकरा विद्यमान बाँध वा बैरेज सँ नियंत्रण करब एकदम मोस्किल छैक।
कोसी बराज मे कुल ५६ गो फाटक होइत लगभग ९ लाख क्युसेक पानि बहबाक क्षमता छैक। उपरोक्त कथित मूसलाधार आ निरंतर पड़ल वर्षाक कारण एक नदी सप्तकोशी मात्र केर पानि एतेक बल्की आ ओवरफ्लो भेलैक जे काल्हि अपराह्नकाल कुल ५६ फाटक तक खोलबाक बाध्यता बनि गेलैक। बैरेज केर कंठ धरि पहुँचि गेलाक बाद ३० सँ ३६, फेर ३६ सँ ४०, ४० सँ ५० आ ५० सँ ५६ – सारा फाटक खोलबाक बाध्यता भेलैक।
एम्हर भारत दिश जायवला कोसी, गंडक, बागमती, कमला, बलान, आदि पैघ सँ लैत छोट-छोट अनेकों नदी सेहो बेतहाशा पानि ग्रहण करैत भारतक मिथिलाक्षेत्र दिश बहैत गेल आर नेपाल मे बाँध मे समेटल नहि रहबाक कारण ओ पानि जहिं-तहिं छितरा गेला सँ बहुत घातक बाढि त नहि आयल, मुदा बाढि नेपालहु केर मैदानी भाग मे पूर्व सँ पश्चिम धरि सब तरि आयल।
वैह नदी सब जखन भारतीय क्षेत्र मे प्रवेश करैत अछि आर ओहि पर बनायल गेल बान्ध केर पेटे-पेट आगाँक यात्रा करैत अछि, तखन बाँध टूटि जेबाक घटना घटैत छैक आर ओ बाढि नेपालक बाढिक तुलना मे बेसी संवेदनशील आ घातक बनि जाइत छैक। मात्र कमला-बलान जे भारत दिश संयुक्त रूप मे मधुबनी आ दरभंगा केर विभिन्न हिस्सा होइत बहैत अछि ताहि मे कतेको ठाम बाँध टूटि जेबाक समाचार भेटल अछि।
मीडिया द्वारा गलत रिपोर्टिंग – भ्रम पसारबाक अनैतिक कार्य
विभिन्न भारतीय मीडिया सँ प्रसारित समाचार मुताबिक ‘नेपाल ने पानी छोड़ा’ – ‘कोसी बैरेज से पानी छोड़ने के कारण आई बाढ’ – आदि भ्रमपूर्ण समाचार प्रकाशित होइत देखि बड़ा कष्ट पहुँचैत अछि। नेपाल भारत मित्रता अदौकाल सँ अछि, मुदा एहि तरहक भ्रामक समाचार केर कारण लोकमानस मे एक तरहक घृणा आ विद्वेषभाव पसरैत देखि रहल छी। तरौनी (दरभंगा) सँ संतोष मिश्र भाइ मैसेज केलनि जे “कोसी बैरेज आ बाढिक लेल सरकार सँ लड़य पड़त नहि तऽ देखिते-देखिते मिथिला खत्म भऽ जायत।”
आब संतोष भाइ केर दिमाग मे पर्यन्त नेपालक अथवा भारत सरकार केर नक्कारापन जे नेपालक कोसी बैरेज सँ पानिक नियंत्रण सही सँ नहि कय पाबि रहल अछि ताहि सँ शिकायत जँ छन्हि त ओ सिर्फ मीडिया द्वारा प्रसारित भ्रमपूर्ण समाचार केर कारण मात्र छन्हि। यथार्थतः कोनो सरकार केर नियंत्रण प्राकृतिक वर्षा पर एकदम नहि छैक।
एहि भूभागक भौगोलिक अवस्था मे पहाड़क पानि केँ छितरेबाक व्यवस्था सुचारू ढंग सँ करबाक आवश्यकता छैक। कतेको लोक हाई डैम बनेबाक बात सेहो कहैत अछि। एखन जे छोट-छोट बाँध टूटैत अछि तखन त त्रासदीपूर्ण अवस्था बनि जाइत अछि, काल्हि जखन हाई डैम बनत आर ओहि सँ निर्मित कतेको डैम केर रेखदेख मे कनिकबो लापरवाही एला सँ अवस्था कि होयत? एहिना जँ बेतरतीब पानि पड़ल आ डैम ओवरफ्लो करत तखन अवस्था कि होयत? एहेन किछु सवाल छैक जे दुइ राष्ट्र केँ मित्रतापूर्वक आपस मे बैसिकय तय करब जरूरी छैक।
ओना हमरा हिसाब सँ त्रुटिपूर्ण बाँध परियोजना भारतीय मिथिला क्षेत्र मे पानि केँ अपन बहावक दिशा मे चारू बगल छितराय मे बाधा करैत छैक, से चेक करू। बाँधक भीतर जे स्लिट जमा भऽ जाइत अछि, तेकरा नियमित रूप सँ खाली कय अन्यत्र व्यवस्थापन करू। बाँध केँ एतेक पोरस (छिद्रवला) बनाउ जे पानि कखनहुँ ओवरफ्लो नहि कय भिन्न-भिन्न नहर आ बहावक क्षेत्र मे चारूकात पसैर जाय। एहि तरहक इंजीनियरिंग सहितक बाँध परियोजना केँ लागू करू।
छोट-छोट डैम समतल भूभाग मे सेहो बना सकैत छी जे झीलनुमा हुअय, जाहि मे मत्स्यपालन आ पर्यटन संग जलकृषि आदिक कार्य सामुदायिक स्तर पर कयल जा सकैत अछि। एहि तरहें बाँधक पेटक भीतर सेहो जनजीवन काफी नीक जेकाँ विकासोन्मुख आ लहलहाइत बनायल जा सकैत छैक। कोसी पेट मे रहनिहार मैथिली किसान कवि राम कुमार सिंह केर किछु सुझाव मोन पड़ैत अछि। चेतना समिति पटना एहि वर्ष एहि सब विन्दु पर महत्वपूर्ण कार्य करबाक जिम्मेदारी सेहो स्वीकार कएने छल। आब देखी आगाँ!
अन्त मे, सिर्फ झूठक नोर बहा देला सँ, देखाबा लेल राहत कार्य केर ढिंढोरा पीटि देला सँ मिथिलावासीक नियति मे लिखल बाढि कहियो नहि बिसरेतैक। परमानेन्ट समाधान दिश डेग बढय, हमर यैह प्रार्थना सब सरोकारवला सँ।
हरिः हरः!!