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नीतीश कुमार केर स्वच्छ-ईमानदार आ सुशासन-विकासक छवि मे जुड़ल एकटा आर तारा

नेता ओ जे निर्णय जनहित मे करयः बिहार लेल वरदान भेला “नीतीश कुमार”

 
बिहार केर तकदीर बदलनिहार नेता “नीतीश कुमार” अपन दूरदृष्टि सँ भरल कतेको निर्णय लेल युगों-युगों तक स्मरण कयल जेताह।
 
शराबबन्दी – दहेजबन्दी – सुशासन – विकास – स्वच्छ आ ईमानदारिता सँ नेतृत्व प्रदान करबाक अकाट्य उदाहरण – कइएक सकारात्मक पक्ष सम्माननीय मुख्यमंत्री बिहार – नीतीश कुमार मे देखल जाइछ।
 
बीतल मंगल दिन हुनकहि अध्यक्षता मे सम्पन्न कैबिनेट बैसार मे आर एक महत्वपूर्ण निर्णय सामाजिक सुरक्षा कानून अन्तर्गत कयल गेल अछि। बुजुर्ग अभिभावक संग सन्तान द्वारा अनदेखी – अवहेलना आ तिरस्कार केँ आनल गेल कठोर कानूनक दायरा मे आर एकर सन्देश पूरे विश्व मे एक बेर फेर नीतीश कुमार केर सुझबुझ आ सुन्दर-सहज मानवता-सहयोगी निर्णय लेल जानल-मानल नेताक रूप मे स्थापित केलक अछि।
 
समाज सुधार केर कइएक सुधारात्मक कदम लेल नीतीश कुमार केर नाम चौजुगी लेल जायत, एहि मे कोनो सन्देह नहि। चाहे ओ महिला शिक्षा आ सहभागिता केँ बढेबाक लेल लायल गेल योजना हो, चाहे अपराध आ जंगलराज केँ समाप्त करय लेल आनल गेल ‘सैप सुरक्षाकर्मी’ केर व्यवस्था हो, चाहे ओ मुख्यमंत्री द्वारा निरन्तर चलबयवला जनता दरबार हो, चाहे हाल मे पब्लिक ओपिनियन लेल चलायल जा रहल ‘संवाद’ हो – हरेक समय अपन सुन्दर सुझबुझ भरल सुशासन लेल मशहूर नाम छथि नीतीश कुमार।
 
आलोचक ईहो कहैत छथि जे नियम लगेनाय आ निभेनाय मे फरक छन्हि – लेकिन हमरा हिसाबे ई फरक स्वाभाविके रहत। कानून जँ अक्षरशः पालन होइतय त एहि मानव सभ्यता सँ अपराध, हिन्सा, विरोध, झड़प, झगड़ा, विवाद आ कोनो कमी-कमजोरी, कुप्रथा, कूरीति आदिक अन्त कहिया न भऽ गेल रहितय! लेकिन मानव समाजक ई स्वाभाविक रीत छैक जे ओ सोचैत एक अछि, करैत एक अछि, कइएक मिथ्याचार, आडंबर, लोभ, लालच, पापाचार सँ भरल एहि मानव समुदाय बीच कानून बनेनाय आ कानून तोड़नाय जेना निरन्तर चलयवला नियति बनि अछि। आध्यात्मिक पक्ष सँ सेहो रावण, कंस, हिरण्यकशिपु, शिशुपाल, आदि अनेकों विरोधी-विद्रोही आयल एहि धराधाम मे – लेकिन अन्ततः जीत केवल सत्य केर भेल। सत्यमेव जयते!!
 
शराबबन्दी भेल, शराब तैयो लोक पिबैत अछि। लेकिन के पिबैत अछि? जेकरा पास फालतू के पैसा छैक, १ के ३ खर्च कय केँ शराब कीनत आ चोरा-नुकाकय पियत। शराब पीबिकय सरेआम रोड पर कानून केर डर सँ कियो नहि आबि सकैत अछि। करोड़ों देहारी कमायवला मजदूर केर जीवन मे त मानू एहि शराबबन्दी सँ एकटा नया क्रान्ति आबि गेल अछि। करोड़ों परिवार सुकुन मे अछि। महिला हिन्सा, यौन अपराध, चोरी-लूटपाट आ सार्वजनिक स्थल पर झगड़ा-झंझटि कम भऽ गेल। लोक आब सुरक्षित महसूस करैत स्वतंत्र भऽ विचरण करैत अछि।
 
दहेजबन्दी भेल, लेकिन दहेज लेनदेन कयनिहार चोरा-नुकाकय सब लेनदेन करिते अछि। कियैक नहि करत? ओहेन ल’-द’ केँ बेटा-बेटी केँ विवाह करय मे विश्वास रखनिहार चोरा-नुकाकय किछु कय सकैत अछि। दहेज प्रथा सँ कुप्रथा बनय मे आखिर लोभ-लालच दुनू पक्ष मे बढलाक बादे त भेलैक! नहि त मांगिकय लेनिहार परिवार मे नीक लोक अपन बेटीक विवाहे कियैक करितय! जे स्वच्छ स्वयं रहत, वैह दोसर स्वच्छ केरे संग ताकत। लेकिन जे अपने एहि लोभ मे मोटगर-डटगर टका लय केँ केकरो बेटा केँ अपन बेटीक विवाह लेल कीनय मे विश्वास करैत अछि, ओकरा तरघुस्की करय सँ के रोकतय आ कियैक रोकतय! कानूनो कहैत छैक जे स्वेच्छा सँ लेन-देन करब दहेज नहि भेलैक, बल्कि वैवाहिक उपहार भेलैक। एहि मे नीतीश कुमार कि करता, ओ कानून बना देलनि, उपचार स्वयं लोक ताकय।
 
आब देखू ई ‘नवका कानून’ माता-पिताक सेवा नहि केला पर होयत जेल –
 
बेटा-बेटी द्वारा वृद्ध माता-पिता केर सेवा नहि करबाक संबंधी मामिला सोझाँ एला पर बिहारक नीतीश सरकार बड पैघ फैसला केलक अछि। सामाजिक सुरक्षा कानून तहत आब बुजुर्ग केर सेवा नहि करयवला बेटा-बेटी जेल तक जा सकैत अछि। एहि सँ संबंधी शिकायत भेल तऽ कार्रवाई होयत, आरोपी केँ जमानत तक नहि भेटत। एखन धरि बुजुर्ग केर सेवा केँ अनिवार्य बनायल गेल छल, लेकिन एना नहि करनिहार विरुद्ध कोनो कड़ा कानूनी कार्रवाईक प्रावधान नहि रहय।
 
ई फैसला मंगल दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केर अध्यक्षता मे संपन्न राज्य कैबिनेट केर बैठक मे लेल गेल। बैठक मे माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक लोकनिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम मे संशोधन कयल गेल। एकरा तहत राज्य मे वृद्ध माता-पिताक अनादरक मामिला मे सुनवाई केर व्यवस्था मे बदलाव कयल गेल। आब एहेन मामिला मे अपील केर सुनवाई लेल गठित अधिकरण केर अध्यक्ष जिलाक डीएम हेता। पहिले जिला परिवार न्यायालय केर प्रधान न्यायाधीश एकर अध्यक्ष होइत छलाह। राज्य सरकार ई कार्रवाई बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार केर सिफारिश पर केलक। प्राधिकार द्वारा सितंबर २०१८ मे राज्य सरकार केँ ई सुझाव देल गेल छल।
 
बुजुर्ग केँ संपत्ति सँ नहि कय सकत बेदखल
 
नव प्रावधान केर अनुसार वृद्ध माता-पिता केर अपमान केलापर ५००० टका आर्थिक दंड या तीन महीना कैद या दुनू सजाय एक साथ भऽ सकैत छैक। अगर संतान द्वारा संपत्ति अपना नाम करेलाक बाद माता-पिता केँ घर सँ निकालि देल गेल अछि तऽ एसडीओ एकर निबंधन केँ निरस्त करता।
 
नीतीश कुमार केर एहि तरहक निर्णय सँ एक बेर फेर हुनकर स्वच्छ आ ईमानदार छवि हुनका राजनीति सँ बहुत ऊपर जनकल्याण व जनहित लेल जननेताक रूप मे स्थापित केलक अछि।
 

हरिः हरः!!

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