मैथिलीक महत्व हृदय सँ मनन करबाक आवश्यकता – सन्दर्भ नव राष्ट्रीय शिक्षा नीति मे भाषा

विशेष सम्पादकीय

भारत मे नव राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कयल जेबाक आवश्यकता अनुभव करैत ओहि ठामक विज्ञ-विशेषज्ञ एहि लेल नया नीति केर सिफारिश कयलनि अछि। एहि मे भाषा सम्बन्धी नव नीति सेहो आनल गेल अछि। त्रिभाषा शिक्षा नीति मे हिन्दी सहित भारतक विभिन्न शास्त्रीय भाषा मे अध्ययनक सिफारिश कयल जेबाक संग-संग भारतक मौलिक शिक्षा पद्धति आ २१म शताब्दीक मांग अनुरूप छात्र लोकनि केँ दक्ष बनेबाक लक्ष्य संधान कयल जेबाक बात कहल जाइछ। परञ्च भाषा मे हिन्दी केँ अवलम्बन कयल जेबाक विन्दु पर कतेको ठाम हो-हल्ला उठल आर देखादेखी मैथिली भाषाभाषी तथाकथिक चिन्तक लोकनि सेहो फेसबुक आदि मे अपन भाषा लेल चिन्ता जाहिर करैत देखायल लगलाह। लेकिन समग्र मे चर्चा करी त ई नव शिक्षा नीति पूर्ण आवश्यक आ अनिवार्य लागू होयबा योग्य बुझाइत अछि। आउ देखी समग्र समाचार – कि थिकैक ई नव शिक्षा नीति, कि सब बदलाव केर बात आ केहेन लक्ष्य लेल गेल छैक।

त्रिभाषिक शिक्षा पद्धति मे प्रथम भाषा ‘मातृभाषा’ केँ मानल गेल अछि जाहि मे प्राथमिक शिक्षा देनाय अनिवार्य कयल गेल अछि। ई बिहार सरकार केर नीति अन्तर्गत तय करबाक बात भेल जे ओ ‘हिन्दी’ टा केँ प्राथमिक शिक्षाक पहिल भाषा मानिकय दोसर चरण मे दोसर भाषा अंग्रेजी केँ पढबैत अछि तथा बिहारक विभिन्न मातृभाषा मे पढबाक अवसर मात्र माध्यमिक स्तरक तेसर चरण मे वैकल्पिक विषय केर रूप मे शिक्षा प्राप्त करबाक व्यवस्थापन करैत अछि। लेकिन त्रिभाषिक शिक्षा सूत्र मुताबिक हर भाषाभाषी लेल ओकर मातृभाषा मे शिक्षा देबाक बातक सिफारिश कयल जेबाक बात प्रस्तुत राष्ट्रीय शिक्षा नीति मे देबाक बात स्पष्ट अछि।

हालहि ३१ मई २०१९ केँ डा. कस्तुरीरंगन केर अध्यक्षता मे गठित शिक्षा नीति निर्माण समिति द्वारा भारतीय मानव संसाधन केन्द्रीय एवं राज्य मंत्री द्वय क्रमशः रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ व संजय शमराव धोतरे केँ नयी दिल्ली मे राष्ट्रीय शिक्षा नीति सौंपल गेलनि अछि। एहि अवसर पर उच्चतर शिक्षा विभागक सचिव आर सुब्रह्मणियम तथा विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता विभागक सचिव रीना राय केर उपस्थिति सेहो छल।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति केर उद्देश्य

  • छात्र केँ आवश्यक दक्षता आ ज्ञान सँ लैश केनाय
  • विज्ञान, तकनीकी, शैक्षित एवं उद्योग क्षेत्र मे ह्रास पाबि रहल जनशक्ति केँ हंटेनाय
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, २०१९ केर प्रारूप एहि बुनियादी स्तम्भ पर आधारित अछि – Access – पहुँच, Equity – समानता, Quality – गुणवत्ता, Affordability – सामर्थ्य and Accountability – जबाबदेहिता।

पृष्ठभूमिक कार्य 

एकरा लेल मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा एक गोट अभूतपूर्व मानव-सहयोगी, बहु-हितधारक, बहु-आयामी, निम्नतम् सँ उच्चतम् वर्गक लोक-केन्द्रित, समावेशी, भागीदारी परामर्श प्रक्रिया शुरू केलक।

व्यापक परामर्श विभिन्न स्तरक लोक आ हर नागरिक केँ एहि विशाल अभ्यास मे मौका दैत ऑनलाइन, विशेषज्ञ और विषयगत, जमीनी स्तरक गाँव सँ लैत प्रखंड, शहरी स्थानीय निकाय, जिला, राज्य, क्षेत्रगत तथा राष्ट्रीय स्तरक लोक केँ एहि मे संलग्न होयबाक अवसर प्रदान कयल गेल।

हितधारक केर एक विस्तृत फलक मे कतेको लोकनि आर गहींर-गम्भीर विचार-विमर्श कएलनि। तेकर बाद, पूर्व कैबिनेट सचिव, स्वर्गीय टीएसआर सुब्रमण्यन केर अध्यक्षता मे एक ‘नव शिक्षा नीति केर विकास लेल समिति’ केर गठन कयल गेल, जे मई, २०१६ मे अपन रिपोर्ट प्रस्तुत केलनि। एहि रिपोर्ट केर आधार पर, मंत्रालय द्वारा एकरा लेल ‘ड्राफ्ट नेशनल एजुकेशन पॉलिसी, २०१६ लेल किछु अन्तर्वस्तु’ तैयार केलक।

परिवर्तन

१. समिति द्वारा शिक्षा मंत्रालय (MoE) केर रूप मे MHRD केर नाम बदलबाक लेल प्रस्ताव देल गेलैक अछि।

२. स्कूली शिक्षा में, स्कूली शिक्षा केर अभिन्न अंग केर रूप मे अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ECCE) केर संग पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना केर एक पैघ पुनर्गठन प्रस्तावित अछि।

३. समिति ३ सँ १८ वर्ष केर बच्चा केँ कवर करबाक लेल शिक्षा केर अधिकार अधिनियम २००९ केर विस्तार लेल सेहो सिफारिश करैत अछि। बच्चा केर संज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक विकास केर चरणक आधार पर ५ + ३ + ३ + ४ + पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना: संस्थापक चरण (आयु ३-८ वर्ष): पूर्व-प्राथमिक प्लस ३ ग्रेड १-२ केर ३ साल; प्रारंभिक चरण (८-११ वर्ष): ग्रेड ३-५; मध्य चरण (११-१४ वर्ष): ग्रेड ६-८; आर माध्यमिक चरण (१४-१८ वर्ष): ग्रेड ९-१२। स्कूल केँ फेर सँ स्कूल परिसर मे व्यवस्थित कयल जायत।

४. ई स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम मे सामग्री भार केँ कम करबाक प्रयास सेहो करैत अछि।

५. पाठ्यचर्या, सह-पाठयक्रम या पाठ्येतर क्षेत्रक संदर्भ मे सीखबाक क्षेत्र मे कोनो कठिन अलगाव नहि होयत आर कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा, आदि सहित सब विषय पाठयक्रम होयत।

६. ई सक्रिय शिक्षाशास्त्र केँ बढ़ावा दैत अछि जे आन्तरिक (कोर) क्षमताक विकास पर ध्यान केंद्रित करत; आर एहि तरहें २१म सदीक कौशल सहित जीवन कौशल पर सेहो ध्यान केन्द्रित करत।

७. समिति उप-मानक शिक्षक शिक्षा संस्थान सब केँ बंद कय सब शिक्षक केँ तैयारी / शिक्षा कार्यक्रम केर पैघ बहुविषयक विश्वविद्यालय / कॉलेज मे स्थानांतरित कयकेँ शिक्षक शिक्षा मे व्यापक परिवर्तन केर प्रस्ताव करैत अछि।

८. ४-वर्षीय एकीकृत चरण-विशिष्ट बी.एड. कार्यक्रम अंततः शिक्षक लोकनि लेल न्यूनतम डिग्री योग्यता होयत।

९. उच्च शिक्षा मे, तीन प्रकारक उच्च शिक्षा संस्थानक संग उच्च शिक्षा संस्थान सभक पुनर्गठन प्रस्तावित अछि –

टाइप १: विश्व स्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्ता वाला शिक्षण पर केंद्रित

टाइप २: अनुसंधान मे महत्वपूर्ण योगदान केर संग विषय सब मे उच्च गुणवत्ता वाला शिक्षण पर ध्यान केंद्रित;

टाइप ३: स्नातक शिक्षा पर केंद्रित उच्च गुणवत्ता वाला शिक्षण। ई दुइ मिशन द्वारा संचालित कयल जायत – मिशन नालंदा और मिशन तक्षशिला।

१०. ३ या ४ सालक अवधि केर स्नातक कार्यक्रम (जेना बीएससी, बीए, बीकॉम, बीवीओसी) केर पुन: संरचना होयत आर एहि मे कतेको निकास व प्रवेश विकल्प होयत। 

११. एक नया शीर्ष निकाय राष्ट्रीय शिक्षा आयोग सब शैक्षणिक पहल और कार्यक्रम संबंधी हस्तक्षेप केँ एक समग्र और एकीकृत कार्यान्वयन केँ सक्षम करय और केंद्र एवं राज्यक बीच प्रयासक समन्वय हेतु प्रस्तावित अछि।

१२. नेशनल रिसर्च फाउंडेशन, एक उच्च शिक्षा केर लेल एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति बनाबय आर अनुसंधान क्षमता केर निर्माणक लेल एकटा शीर्ष निकाय केर प्रस्ताव अछि।

१३. स्वतंत्र निकाय द्वारा अलग कयल जेबाक और संचालित करबाक लेल मानक सेटिंग, फंडिंग, प्रत्यायन और विनियमन केर चारि कार्य: व्यावसायिक शिक्षा सहित सब उच्च शिक्षाक लेल एकमात्र नियामक केर रूप मे राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक प्राधिकरण।

१४. एनएएसी केँ पुनर्जीवित करबाक लेल मान्यता प्राप्त इको-सिस्टम केर निर्माण।

१५. व्यावसायिक शिक्षा केर प्रत्येक क्षेत्रक लेल व्यावसायिक मानक सेटिंग निकाय और उच्च शिक्षा अनुदान आयोग (HEGC) मे बदलबाक लेल UGC।

१६. निजी और सार्वजनिक संस्थान केँ समान रूप सँ व्यवहार कयल जायत आर शिक्षा ‘लाभ के लेल नहि’ गतिविधि रहत।

१७. उच्च शिक्षा केर अंतर्राष्ट्रीयकरण केँ बढ़ावा देबाक लेल कतेको नव नीतिगत पहल, गुणवत्ताक खुला और दूरस्थ शिक्षा केँ मजबूत करब, शिक्षा केर सब स्तर पर प्रौद्योगिकी एकीकरण, वयस्क और आजीवन सीखबाक तथा कम प्रतिनिधित्व वाला समूहक भागीदारी केँ बढ़ायब एवं लिंग, सामाजिक श्रेणी आदि केँ समाप्त करबाक पहल। शिक्षा परिणाम मे क्षेत्रीय अंतराल केर सेहो सिफारिश कयल गेल छल।

१८. भारतीय और शास्त्रीय भाषा केँ बढ़ावा देनाय और पाली, फारसी और प्राकृत केर लेल तीन नव राष्ट्रीय संस्थान स्थापित केनाय।

१९. भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान (IITI) केर सिफारिश कयल गेल अछि।

‘अनुशंसित पथ सुधार’ छात्र, शिक्षक व शैक्षिक संस्थान केँ सही दक्षता और क्षमता सँ लैस करबाक एक प्रतिमान बदलाव आनत और एकटा जीवंत नव भारत केर लेल एक सक्षम और सुदृढ़ शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र केर निर्माण करत।

(समाचारः साभार इंडिया टुडे)

चेन्ज डट ओआरजी पर मैथिली लेल पेटिशन

कय गोट मित्र एखन धरि मैसेन्जर मार्फत आ अपन पोस्ट्स द्वारा चेन्ज डट ओआरजी पर मानव संसाधन विकास मंत्रायल द्वारा ड्राफ्ट (खाका) मात्र प्रस्तुत कयल गेल नव राष्ट्रीय शिक्षा नीति मे त्रि-भाषा पठन-पाठनक प्रारूप केर विरोध मे अहिन्दीभाषी राज्य द्वारा विरोध करबाक हो-हल्लाक बाद मिथिलाक नकलची अभियानी लोकनि सेहो एकर विरोध आ मैथिली प्रति झूठे नोर बहेबाक आदति मे फँसल देखेलाह अछि।
 
हमरा प्राप्त भेल मैसेज मे “भारत सरकारक उदासीनता आ चकरचालि प्रति घोर भर्त्सना आ विरोध होयब आवश्यक” – एहि शीर्षक सँ चेन्ज डट ओआरजी पर अपन हस्ताक्षर देबाक अनुरोध जनकपुर सँ उगना शंकर जी द्वारा पठायल जेबाक बाद किछु लिखबाक प्रेरणा भेटल अछि। लेकिन लिखब तखनहि जखन स्वयं हम जानकार होयब जे आखिर ई त्रि-भाषा शिक्षा नीति कि थिकैक।
 
एहि चर्चा केँ उठेनिहार मैथिली भाषा-साहित्य केँ अपन सेवा देनिहार आदरणीय स्रष्टा श्री दिलीप कुमार झा सहित आरो विज्ञ-विशेषज्ञ लोकनि सँ अनुरोध करैत जानय चाहब जे –
 
१. कि अपने लोकनि मोदी सरकार-२ केर मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत ड्राफ्ट पौलिसी केँ पूरा पढलहुँ?
 
२. त्रि-भाषा शिक्षा नीति केर कि औचित्य छैक, एहि लेल न्यायोचित कि सब परिकल्पना आ अवधारणा भारत सरकार द्वारा राखल गेल अछि से बुझलियैक?
 
३. जँ उपरोक्त दुनू प्रश्नक उत्तर हँ मे हो, तखन अपने स-विस्तार अपन तर्क दी जे मैथिली भाषाभाषी द्वारा केहेन विरोध आ कोन स्थिति मे चेन्ज डट ओआरजी मार्फत ई मुद्दा उठायल गेल अछि?
 
४. उपलब्ध राज्य शिक्षा नीति वा केन्द्रीय शिक्षा नीति मे मैथिली केँ कि सब अधिकार प्राप्त अछि? कि तेकर उपयोगिता केँ मैथिलीभाषाभाषी अपना सकल छथि?
 
५. सब गेल गोइठी बिछय ताहि सँ लुल्ही बनिकय हमहुँ सब चली गोइठी बिछय… ई रवैया सँ हम सब कहिया धरि मुक्त होयब? यानि कोनो बात केँ बिना पढने आ बिना बुझने सिर्फ हो-हल्ला जे कौआ कान लय केँ उड़ि गेल त चलू कौआ केँ खेहारी… ई खरखाँही लूटिकय अपन नाम चमकेबाक आ फल्लाँ मुद्दा पर हमहीं चेन्ज करबाक अभियान आरम्भ केलहुँ ताहि हड़बड़ी मे एतेक धरफरी देखेबाक कोन जरूरत?
 
हम आग्रह करैत छी विज्ञजन सब सँ जे एहि समस्त एपिसोड व अन्य-अन्य एपिसोच पर पहिने गहिंराई सँ अध्ययन करू। फेर जरूरत मुताबिक, स्थिति-परिस्थिति अनुकूल बात-विचार केँ आगू बढाउ। सिर्फ हो-हल्ला आ फेसबुक पर मुद्दा उठेबाक होड़ मे फँसिकय कोनो उपलब्धि जँ कहियो हासिल भऽ सकल हो त उदाहरण देल जाउ।
 
हरिः हरः!!