(मैथिली मे संचारकर्म लेल उचित सहयोगीक अभाव मे बाध्यतावश अपने सब धरि सोशल मीडिया सँ संकलित पोस्ट सब मार्फत किछु समाद परैस पबैत छी। दुखद स्थिति ई छैक जे मैथिली लेल बड़का-बड़का दावी कयनिहार, दम्भ भरनिहार, किनको एतेक फुर्सत नहि रहैत छन्हि जे कोनो महत्वपूर्ण आयोजन केर सम्बन्ध मे एकटा प्रेस रिलीज जारी कय देथि, किंवा मैसेन्जर मार्फत कियो गोटा किछु समाचार पठा दैथ।)
डा. महेन्द्र नारायण राम द्वारा कयल गेल पोस्ट, मार्च ३१, २०१९ केँ फेसबुक पर (जहिनाक तहिना)
संत शिरोमणि लक्ष्मीनाथ गोसाईं महोत्सव, 2019
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लखनौर, मधुबनी मे आइ संत शिरोमणि लक्ष्मीनाथ गोसाईं महोत्सव केर शुभारंभ कयल गेल! ई दू दिन धरि चलत!
मिथिलाक महान विभूति ई मैथिली साहित्यक एकटा विशिष्ट संत कवि ओ साधक छलाह! हिनक स्थिति काल अठारहम् शतकक अंतिम दशक ओ उन्नैसम शतकक आठम दशकक मध्य (1788-1872) छल जे भारतीय इतिहासक महासंक्रांति काल मानल जाइत अछि! लक्ष्मीनाथ गोसाईं सिद्ध योगी, निष्णात तांत्रिक, अद्वैत वेदांती ओ समाज सेवी रहितहुं अपन वृहत् काव्य-रचनाक माध्यम सँ ज्ञान, भक्ति ओ उपासना मे समन्वय स्थापित कयलनि! दीक्षा-गुरू लम्बनाथ गोस्वामीक आदेशानुसार भक्ति-भाव सँ अभिभूत भs भगवद्-भजन ओ कीर्तनक उद्रेक मे सहस्त्रादिक गीतावलीक रचना कयलनि, जे मिथिलाक जनमानस मे ख्यातिक प्रमुख स्रोत बनि गेल! हिनक मुक्तक गीतावली महाकाव्यक बंधन सँ मुक्त मुदा प्रबंधकत्वक गरिमा सँ युक्त अछि!
लक्ष्मीनाथ गोसाईंक प्राक्तन संसार, काव्य-प्रतिभा, सारस्वत-साधना, जीवन्त कल्पना शक्ति, विलक्षण वस्तु-विधान, सशक्त भाव-भूमि, अनुपम अभिव्यक्ति, समृद्ध भाषा-शैली, सामाजिक लोकाचार, नैतिक दार्शनिक विचार, विविध राग-ताल लयाश्रित गीतावलीक छंद ओ भास आ प्रमुख रसालंकारादिक प्रयोग हिनक काव्य-कौशल, बहुआयामी व्यक्तित्व ओ कृतित्वक निकष थिक! एहि रूपें हिनक काव्यकृति भारतीय साहित्यके लेल महत्वपूर्ण नहि अपितु अनागत साहित्य-स्रष्टाक हेतु चिरस्थायी प्रेरणा-स्रोत बनल रहत!
उद्घाटन सत्रक बाद बाबाजी पर लगाओल चित्र-प्रदर्शनीक हमरा हाथे रीबन काटि शुभारंभ कयल गेल! दोसर सत्र छल बाबाक साहित्य विधा पर व्याख्यान! अध्यक्षता कयलनि श्री कमलकांत झाजी ओ संचालन कयलनि श्री अशोक अविचल! वक्तालोकनि छलाह – साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार सँ पुरस्कृत श्रद्धेय डा. खुशी लाल झा, श्री अभयकान्त ठाकुर, डा.बुचरू पासवान, श्री शशिकान्त झा, श्री मधुकर, श्री रामचन्द्र झा, डा.अमरेन्द्र झाजी, श्री प्रेमजी आ हम!
हिनका पर काज कयनिहार लोकनि मे आइ कुल आठ गोटे कें लक्ष्मीनाथ गोसाईं सम्मान सँ सम्मानित कयल गेलनि! प्रशस्ति-पत्र, प्रतीक चिन्ह केर संग पाग-दोपटा देल गेलनि! एहि केर संग हमरो पाग-दोपटा देल गेल!
लक्ष्मीनाथ गोसाईंक सदृश देबाभगत ओ विदेहीबाबा नामक चमत्कारी साधक संत हमरो खुटौना मे भेल छथि! एहु पर शोध, प्रकाशन ओ महोत्सव मनौनाइ शेष अछि!
आइ लखनौर मे आयोजित एहि विलक्षण समागम मे अपन उपस्थिति पाबि कृत-कृत छी आ आयोजक लोकनिक प्रतियें अपन उद्गार ओ आभार प्रकट करैत गौरवक अनुभूति भsरहल अछि! जय बाबाजी…!!