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विद्यापतिक डीह पर जीर्णोद्धार कार्य लेल शाश्वत मिथिलाक अगुवाई मे कार्यारम्भ, विकास सुनिश्चित

त कि एहि बेर खत्म होयत रिक्त-चिन्ताक दौड़ – सन्दर्भ विद्यापतिक डीह विस्फी मे जीर्णोद्धार कार्य
 

प्रत्येक वर्ष विद्यापति महोत्सव, स्थानीय नेता भरत भूषण संबोधित करैत, मंच पर बैसल हरिभूषण ठाकुर ‘बचौल’ एक प्रखर आ जिम्मेवार नेता

विद्यापतिक डीह पर जीर्णोद्धार लेल चिन्ताक क्रम आइ कतेको दशक सँ निरन्तरता मे अछि, कतेको योजना बनैत अछि, किछु योजना जमीन पर उतैरतो अछि – लेकिन चिन्ता केहेन जे खत्म हेबाक नाम नहि लय रहल अछि। विद्यापतिक नाम पर देश-विदेश मे लाखों-करोड़ों खर्च कय केँ समारोह आ उत्सव मनौनिहार सैकड़ों आयोजक होइथ, कि विद्यापतिक डीह विस्फी गामक निवासी, आ कि बिहार राज्य सरकार कि दिल्लीक सत्ता संचालक केन्द्र सरकार, कि स्थानीय जनप्रतिनिधि कियैक नहि होइथ – सभक जुबान पर ‘विद्यापतिक डीह केर जीर्णोद्धार’ लेल कय गोट योजना कंठास्थ उच्चरित होइत देखाइछ, परञ्च धरातलीय सच एहेन जे लाज सँ सिर झुकि जायत। विद्यापतिक डीह आ लगभग सवा बिघा जमीन आइ अतिक्रमित, उपेक्षित आ लावारिस परती जेकाँ पड़ल अछि। सौराठ गाम मे विद्यापतिक अपन कुलक लोक सेहो भेटैत छथि, हुनकर ई दावी जे हमरा लोकनि ओहि कुल-मूल-पाँजिक थिकहुँ से सुनय लेल भेटैत अछि; परञ्च डीह लेल चिन्ता आ चतुराई कतय हेरा गेल से महादेवक परमभक्त महाकवि विद्यापति आ विद्यापतिक परमसेवक उगना जेहेन महान भक्तिपूर्ण आस्था पर्यन्त कोनो चमत्कार करैत नहि देखाइत अछि।

 
विद्यापतिक महत्व आ प्रासंगिकता सर्वविदित
 

बेनीपट्टी अनुमंडलाधिकारी संग स्थानीय कार्यकर्ता-पदाधिकारी लोकनि कार्ययोजनाक निष्पादन लेल बैसार मे सहभागी, सरकारी योजना केँ ईमानदारी सँ लागू करयवला मजबूत आ प्रतिबद्ध कार्यकर्ताक अभाव

आइ विद्यापति छथि जे विश्वक एकटा प्राचीन आ मधुर भाषा मैथिलीक अस्तित्व विश्वव्यापी अछि। एक एहेन महाकवि जिनकर देल क्रान्तिकारी नारा ‘देसिल वयना सबजन मिट्ठा’ सेहो विश्व भरि मे शिक्षा पद्धतिक आधार वैज्ञानिक शोध सँ पर्यन्त सिद्ध भेल अछि। मातृभाषा केर माध्यम सँ शिक्षा भारत सहित कय गोट देशक संविधान मे ‘मौलिक अधिकार’ बनि गेल अछि; लेकिन स्वयं विद्यापतिक भाषा मैथिली केँ विद्यापतिक अपनहि राज्य आ अपनहि डीह पर विपन्नताक पराकाष्ठा अवर्णनीय अछि। आइ धरि मैथिली केँ नहिये दोसर राजकाजक भाषाक रूप मे मान्यता बिहार मे भेटि सकल य, नहिये हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट धरि केस जीतलाक बादहु मैथिली माध्यम सँ प्राथमिक शिक्षाक व्यवस्था कयल जा सकल य। सामान्यवर्गक संग पिछड़ल समुदाय मे अन्य भाषाक माध्यम सँ शिक्षा व्यवस्था आइयो ओतबे हतोत्साह करैत अछि जतेक स्वतंत्रता पूर्व करैत रहल। आइ त आरो बेसी लोक एहि ठाम सँ श्रमिक रूप मे अन्य विकासशील ओ विकसित राज्य दिश संगठित रूप मे आपूर्ति कयल जाइत छथि, शतप्रतिशत साक्षरताक सूत्र देनिहार विद्यापतिक भूमि मे ई दरिद्रता आइयो परिलक्षित होइत अछि। एकटा चिन्तक वर्गक लोक केँ चिन्तन करैत आँखि डबडबा जायत अछि विद्यापतिक मूल डीह, मूल भाषा, मूल संस्कृति, मूल राज्य आ मूल देश मे हुनक मौलिक अवस्थाक दयनीयता देखि। सारा संसार मे जतय-जतय एहेन महापुरुष भेलाह हुनका स्मृति करैत एक सँ एक कृत्ति निर्माण भेल, परञ्च विद्यापतिक नाम पर १३१ फीट केर मूर्ति निर्माणक संकल्प सेहो एखन धरि हवाहवाई टा अभरबाक कष्ट ई लेख लिखितो समय अनुभव कय रहल छी। हाल २०१८ केर जिला प्रशासनक निर्णय सँ उच्चैठ भगवतीस्थान आ विद्यापतिक डीह (विस्फी) केँ पर्यटन केन्द्रक रूप मे विकसित करबाक योजना सँ नव आशा जागल अछि। विशेष रूप सँ जखन एतय जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन उपनाम सँ अलंकृत वर्तमान जिलाधीश शीर्षत कपिल अशोक केर भूमिका देखल जाइत अछि, मधुबनी जिला केँ भारतदेश मे फेर सँ कय गोट नव उपलब्धि, पद्मश्री, आदि प्राप्त करैत देखि रहल छी। उच्चैठ खूब चमैक रहल अछि, निस्सन्देह। राजकीय समारोह वाचस्पतिक गाम ठाढी धरि पहुँचि गेल। सौराठ सभागाछी मे मिथिला चित्रकला संस्थान आ ललितकला संग्रहालयक शिलान्यास आ भवन निर्माण कार्य आरम्भ भऽ गेल। विस्फी मे सेहो बहुत रास प्रगति राज्य स्तर पर आबि गेल अछि। राज्य एकरा पर्यटन केन्द्रक रूप मे विकसित करबाक लेल सहमति जता चुकल अछि। विद्यापति डीहक व्यवस्थाक संदर्भ मे कमिटीक गठन, विद्यापति समारोह केर राजकीय आयोजन, विद्यापति स्मारक केर जीर्णाेद्धार एवं सुशोभीकरण, विद्यापति पोखरिक विकास एवं सौदर्यीकरण तथा राष्ट्रीय पटल पर विद्यापति डीह केँ पर्यटन केर दृष्टिकोण सँ विकास एवं अन्यान्य विषय पर जिला प्रशासनक संग स्थानीय जनप्रतिनिधि लोकनिक संग विभिन्न संस्था आदिक प्रतिनिधि लोकनि सहकार्य कय रहला अछि। ई इतर बात भेल जे किनकर मानसिकता कतेक ईमानदार अछि आर के कतेक समर्पित भाव सँ ईमानदारिताक संग ई योजना केँ जमीन पर उतारि रहला अछि। एहि मामिला मे उदासी एखनहुँ ओतबे अछि कारण नैतिक भ्रष्टाचार हमरा लोकनिक मैथिल समाज केँ कैन्सर जेकाँ रोगग्रस्त कय देलक अछि, सब सिर्फ अपन आर्थिक, सामाजिक आ राजनीतिक कद बढेबाक दिशा मे बेसी सक्रिय अछि नहि कि राज्य केर योजना केँ ईमानदारी सँ लागू करय मे। 

 
मिथिलाक विकासक सूर्य पश्चिम सँ उदय होयत
 

अन्तर्राष्ट्रीय मिथिला महोत्सव – २०१९ केर विहंगम दृश्य – सचमुच मिथिलाक विकासक सूर्य पश्चिम सँ उदय होयबाक जीवन्त प्रमाण

चिन्ताक क्रम ‘अन्तर्राष्ट्रीय मिथिला महोत्सव २०१९’ केर समापनोपरान्त विकास योजना केँ ठोस रूपान्तरण देबाक संकल्प मे सेहो निरन्तरता मे आबि जाइत अछि। कियो गोटा बड नीक कहलखिन जे मिथिलाक उत्थान लेल एकटा सूरज पश्चिम सँ उदय भेल अछि, अर्थात् आर्थिक प्रगति हेतु उद्यमशीलता केँ बढावा भेटय आ मिथिलाक समग्र विकास होइक एहि वास्ते भारतक विकसित राज्य गुजरात केर अहमदाबाद मे चिन्तन आरम्भ करबाक आयोजन ‘उद्यमी शिखर सम्मेलन’ जाहि सँ बहुत उम्मीद जागल अछि ताहि पर हुनक इशारा छलन्हि। आर, से सच भेल अभरैत अछि जखन ‘अन्तर्राष्ट्रीय मिथिला महोत्सव – २०१९’ केर आयोजक आ खास केँ क्रान्तिकारी आयोजनक परिकल्पनाकार राजकिशोर झा एहि दिशा मे चिन्तन केँ आगाँ बढौलनि अछि। आर, एहि लेल आयोजन मे अपन महत्वपूर्ण उपस्थिति सँ वैचारिक वलिष्ठता ओ योजना क्रियान्वयन केर माहिर दर्जनों मजबूत स्तम्भ केँ ओ ‘ग्लोबल मैथिल’ केर ग्रुप मे जोड़ि सेहो लेलनि अछि, विषय प्रवेश करेलाक बाद हुनक सक्षम मस्तिष्क आब दिन-राति एहि चिन्ता ओ चिन्तन केँ मूर्तरूप देबाक लेल आतुर अछि। मिथिलाक धीरूभाई अम्बानी ‘अजय झा’ होइथ आ कि मैथिल संघ-संस्थाक पुरोधा लोकनि मे अखिल भारतीय मिथिला संघ केर अध्यक्ष एवं कर्मठ व्यक्तित्वक धनी – विकास लेल प्रतिबद्ध योद्धा विजयचन्द्र झा आ मैथिली-मिथिलाक सर्वथा सर्वरूपेण सम्पन्न आ सर्वोच्च संस्था चेतना समितिक अध्यक्ष विवेकानन्द झा – उच्च न्यायालयक न्यायाधीश एवं विषय-विमर्श केर सर्वश्रेष्ठ समीक्षक-उद्घोषक धरणीधर झा कि नेपाल दिश सँ पूर्व उद्योग मन्त्री अनिल झा कि सचिव स्तरीय व्यक्तित्व कौशल किशोर झा कि प्रदेश २ केर मन्त्री डिम्पल झा – भारत ओ नेपालक लगभग सम्पूर्ण संघ-संस्था आ मैथिली-मिथिला अभियन्ता मे जानल-मानल लोक सहित नवतुरिया मे प्रोफशनलिज्म केर धर्म केँ आत्मसात कयल अनेकों शाश्वत मिथिलाक कार्यकर्ता व माँ जानकी सेवा समितिक सैकड़ों पुरान-नव कार्यकर्ता – सब केँ ओ जोड़िकय एहि विद्यापतिक डीह केर जीर्णोद्धार लेल डेग बढा चुकल छथि। आर एहि बेर चिक्का फँगबे टा करत, ताहि मे कोनो दुइ मत नहि।

 
कि स्थिति अछि – कि सब करबाक अछि
 
विद्यापतिक डीह पर हुनक जमीन-जायदात पर ग्रामीण लोकनि अनेक बहन्ना मे अनेकों प्रकारक निजी उपयोगिता संग-संग दुरुपयोगक अवस्था केँ नियति मानि रहल छथि। सरकारक प्रयास होइ आ कि ग्रामीण युवाक प्रयास – सब ओहि ठाम शिथिल पड़ि जाइत अछि। गप्प देबाक अलावे कोनो योजना स्थानीय जनमानसक कठोर प्रतिबद्धताक अभाव मे टाँय-टाँय-फिस्स होइत रहबाक एकटा लम्बा गाथा भेटैत अछि। एहि क्रम मे हम प्रयास करैत छी जे लेख केँ एहेन-एहेन जानकारी सँ जोड़ी जे चिन्तक सँ लैत जन-जन केँ ई बुझय मे मदति करत आ आगाँक रणनीति बनाबय मे सहयोग। सब सँ पहिने सौभाग्य मिथिला पर चलाओल गेल एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम ‘घसल अठन्नी’ केर ई अंक देखूः https://www.youtube.com/watch?v=ouG0u8PN4v4 – एहि सँ विद्यापतिक डीहक वर्तमान अवस्था २०१४ ई. केर फिल्मांकनक आधार पर देखाइत अछि। एहि मे वर्णित बात व्यथित करैत अछि। विद्यापतिक डीह पर सरकारक मदति सँ एकटा छोट-छिन मकान आ बाउन्ड्री वाल बनाओल गेल देखाइत अछि। एकटा कामचलाउ गेट जाहि पर विद्यापतिक जन्मस्थान विस्फी लिखल देखाइत अछि। तेकर अलावे एहि गामक लोक सब संग भिन्न-भिन्न प्रश्न करैत संचारकर्मी ई स्पष्ट करबाक प्रयास कयलनि अछि जे एतुका पर्यटकीय महत्व केँ आगू बढबय मे कोन मानसिकता, केहेन शक्ति किंवा प्रवृत्ति बाधक अछि। विद्यापतिक पोखरि मे लोक सब अपन घरक लैट्रीन (शौचालय) केर पाइप कोना खसौने अछि एकटा हाउज खुनबाक पैसा बचेबाक लोभ मे, सेहो देखब त विस्मित होयब, आवेशित सेहो भऽ सकैत छी। विद्यापतिक डीह पर मुर्दघट्टी (श्मसानघाट) एहि लेल बनाओल गेल अछि जे बाकी इलाका ओहि ऊँचाई सँ कम आ बाढिक पानि लागल क्षेत्र बनल रहैत अछि, अतः विद्यापतिक डीह पर मुर्दा जरेनाय लोकक नियति बनि गेल य। भाषा प्रति एहि क्षेत्रक लोक मे कतेक जुड़ाव अछि से एकटा विद्यालयक हेडमास्टर संग लेल गेल बाइट स्पष्ट करैत अछि। एकटा कविजी स्वर्गहु सँ सुन्दर विस्फी गाम केँ मानैत छथि खोखला ताली लूटबाक लेल। आत्ममुग्धता ओनाहू मैथिल समुदायक एकटा विशेषता थिक, नीक कि बेजाय ताहि पर पाठक स्वयं समीक्षा करी।
एहि लेख केर माध्यम सँ कार्य करबाक सूची मे निम्न बात पड़ैत अछि – १. कोनो नव योजनाक विकास सँ पहिने एक स्थलगत सर्वेक्षण, २. जिला प्रशासन आ अनुमंडल एवं अन्य सम्बन्धित पदाधिकारी संग भेंटवार्ता आ कार्यप्रगतिक समीक्षा, ३. स्थानीय संस्था आ रखरखाव-संरक्षण आदि लेल जिम्मेवार गठित समूह संग भेंटवार्ता आ कार्यप्रगति आ कार्यशैलीक समीक्षा, ४. शाश्वत मिथिला समान अग्रणी नेतृत्वकारी संस्था किंवा ‘ग्लोबल मैथिल’ केर नेतृत्वक स्थानीय प्रतिनिधि समूहक गठन, ५. जीर्णोद्धार लेल योजनाक विकास आ कोष-निर्माणक संग परियोजना केर निराकरण आ तदनुसार क्रियान्वयन। ई पाँच डेग चलैत कार्य केँ बढाओल गेला सँ सफलता सुनिश्चित अछि। पूर्वक दोष आ कमजोरी आदिक अध्ययन करैत कोनो कार्ययोजना विकास करब आ प्राइवेट मैनेजमेन्ट केर तर्ज पर आगू बढले सँ कुशल परिणाम सोझाँ आओत। एक व्यक्तिगत सुझाव ईहो राखय चाहब जे समग्र विकास हेतु मिथिला कोष निर्माण करैत एतय प्राइवेट प्रोपर्टी मे कोनो रोजगारमूलक काज आरम्भ करैत धीरे-धीरे मिथिला कोओपरेटिव सोसाइटी आदि केँ स्थापित कय स्थानीय लोकक मोन जीतैत दूरगामी विकास योजना सेहो प्रभावी होयत। वगैर रोजगार आ आय वृद्धिक स्कोप देखने एतुका लोक सँ बहुत अपेक्षा करब असहज प्रतीत होइत अछि। मूल रूप सँ ई लेख एतय अन्त करैत छी, धरि पाठक केँ तत्क्षण किछु आरो जानकारी द्रुत निर्णय मे सहयोग करय ताहि लेल कनेक वृहत् जानकारी सेहो जोड़ि रहल छी। इच्छा हो तऽ ओहो सब जरूर पढि लेब। अस्तु!
 

एकटा आर्टिकल भेटैत अछि टेलीग्राफ मेः

 
Poet statue for Mithila tourism
 
By JITENDRA KUMAR SHRIVASTAVA IN MADHUBANI
Published 31.07.14
Vidyapati’s bust at Bisfi in Madhubani. Picture by Mukesh Kumar Jha
 
A trust has commissioned a 131ft statue of Maithili poet Vidyapati in Madhubani district to develop the region as a popular tourist spot.
 
Vidyapati Jagaran Trust, the organisation, would develop Vidyapati Dham at Bisfi block, the poet’s birthplace around 210km northeast of Patna. Construction of the statue at the Vidyapati Dham will start in October after the foundation stone is laid following Durga Puja.
 
The firm has assigned Gurgaon firm Matu Ram Art Centre the responsibility to complete the project in two years.
 
A five-member team from the firm led by chief architect Rabindra Kishore collected soil samples from Vidyapati Dham on Monday. The soil sample report is expected in a week after it tests at the company’s Mumbai laboratory.
 
Kishore said: “We collected soil samples from the construction site to understand the feasibility of constructing the 131ft statue of Vidyapati. In fact, we want to ascertain how much depth is required for constructing such a tall statue. It is possible to understand the required depth only after the soil test.”
 
The Gurgaon firm has given the organisation an estimate of Rs 5 crore to construct the statue and develop the site as one of the popular tourist spots in the country.
 
The statue would be 131ft high from the ground and would be constructed on the 10ft Vidyapati mound (where the poet was born). The foundation of the statue would be another 10ft. Cement, concrete and iron rods would be used in the construction, while the statue itself would be covered in molten copper.
 
Chairman of the Vidyapati Jagaran Trust Phool Singh told The Telegraph: “Mithilanchal is historically the mother of pristine cultural heritage and the birthplace of several eminent personalities, including Sita. Mithilanchal has the power to attract international tourists and must be developed. We are striving to revamp the Vidyapati Dham and construct the statue of the poet cuckoo of Maithili, who influenced people across the world with his poetry.”
 
The poet and Sanskrit writer was born in the 14th century. His bust is already installed in Bisfi, around 45km southwest of the Madhubani district headquarters.
 
Bisfi resident Shiv Shankar Rai said: “We appreciate the trust’s initiatives, as it is committed to construct the statue and develop Vidyapati Dham. It would not only cater to the needs of national and international tourists but also accelerate the economic conditions of the residents. It would save the region’s cultural heritage and generate employment opportunities in the tourism industry.”
 
Anil Jha, another resident, said: “Phool Singh produced Kakhan Harab Dukh Mor, a Maithili film on Vidyapati, about 12 years ago. He played the key role of Vidyapati too. Maithili people live in all corners of the world and they would bring their near and dear ones to Mithilanchal once the area is developed.”
 
Phool Singh said: “We formed the Vidyapati Jagaran Trust this year to construct one of the highest statues in India. Its life, according to the certificate given by the architecture firm, would be 260 years. We are ready to spend about Rs 5 crore. We took the decision as the state government has stepped back from its plan to develop the Mithilanchal region as a tourist destination.”
 
एहि आलेख केँ यथावत एहि लेल राखल जे हमरा लोकनिक सोच कतेक महान अछि आर बात कतेक पैघ-पैघ करैत छी, मुदा क्रियान्वयन आ प्रगतिक समीक्षा कोन स्तर धरि कखन, कहिया, कतेक भेल ताहि लेल फेर हमरा सभक पास समय नहि रहैत अछि।
 

आउ, एकटा उदाहरण ली राज्य केर निकाय द्वारा प्रेषित उल्लेख्य समाचार (समाद) केरः

 
वर्तमान समय मधुबनी जिला केँ एकटा बहुत जबरदस्त बुझनिहार जिला मजिस्ट्रेट (कलक्टर) भेटल अछि, नाम छन्हि श्री शीर्षत कपिल अशोक। हुनकर सक्रिय सहयोग व सोच सँ बहुत रास परिवर्तन आयल अछि। एकटा बुलेटिन हुनकहि कार्यालय द्वारा एहि तरहें देल गेल भेटैत अछिः
 
#उच्चैठ_भगवती_स्थान एवं #विद्यापति_डीह के विकास को लेकर बैठक का आयोजन
 
—–दिनांक 19.07.18 को #अनुमंडल_कार्यालय_बेनीपट्टी के सभागार में होगी बैठक
 
—–स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अन्य लोगो से किया जायेगा विचार-विमर्श
 
#मधुबनी: #श्री_शीर्षत_कपिल_अशोक#जिला_पदाधिकारी_मधुबनी के द्वारा दिनांक 19.07.18 (गुरूवार) को 10ः00 बजे पूर्वा0 में बेनीपट्टी अनुमंडल कार्यालय के सभाकक्ष में उच्चैठ भगवती स्थान,बेनीपट्टी के विकास हेतु बैठक का आयोजन किया गया है। जिसमें मंदिर के व्यवस्थापन के संदर्भ में कमिटि का गठन, मंदिर के आय-व्यय के लेखा का संधारण, मंदिर का विकास एवं सौदर्यीकरण, राष्ट्रीय पटल पर धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टिकोण से विकास एवं अन्यान्य विषयों पर विचार-विमर्श/सुझावों हेतु बैठक आयोजित की गयी है। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को बैठक में शामिल होने हेतु सूचना दी गयी है।
 
तत्पश्चात दिनांक 19.07.18 (गुरूवार) को ही 11ः00 बजे पूर्वाह्न में बेनीपट्टी अनुमंडल कार्यालय के सभाकक्ष में विद्यापति डीह, विस्फी के विकास हेतु बैठक का आयोजन किया गया है। जिसमें विद्यापति डीह की व्यवस्था के संदर्भ में कमिटि का गठन, विद्यापति समारोह का सफल आयोजन, विद्यापति स्मारक का जीर्णाेद्धार एवं सुशोभीकरण, विद्यापति पोखर का विकास एवं सौदर्यीकरण तथा राष्ट्रीय पटल पर विद्यापति डीह का पर्यटन की दृष्टिकोण से विकास एवं अन्यान्य विषयों पर सुझाव हेतु बैठक का आयोजित की गयी है। बैठक में स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को बैठक में शामिल होने हेतु सूचना दी गयी है।
 

पुनः ध्यान देबयवला एकटा आरो महत्वपूर्ण समाचार पर अपने लोकनि एक नजरि दीः

४ नवम्बर, २०१८ – मिथिला एक्सप्रेस न्युज
–उच्चैठ दुर्गास्थान और विद्यापति डीह को पर्यटन के रूप में विकसित करने को लेकर डीएम द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को राज्य सरकार ने दी मंजूरी,
 
–प्रथम चरण में उच्चैठ दुर्गास्थान व विद्यापति डीह बिस्फी का हुआ चयन
 
बेनीपट्टी। आरके झा
 
अनुमंडल कार्यालय स्थित एसडीओ कार्यालय प्रकोष्ट में अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश रंजन की अध्यक्षता में विद्यापति विकास समिति की एक आवश्यक बैठक हुई। बैठक में विद्यापति डीह के विकास किस प्रकार हो इस विन्दु पर विस्तार से चर्चा की गयी। उपस्थित सदस्यों ने इस संबंध में अपने अपने विचार प्रकट किए, जिसमें सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि विद्यापति डीह के सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाये। दीवाल पर उनके कृतित्व और व्यक्तित्व के संबंध में विभिन्न प्रकार की तस्वीर और उनके दोहो लिखा जाये। अधिक से अधिक लोगों को इस विकास समिति में जोड़ने हेतु सभी स्तरों से प्रयास किया जाए। साथ ही अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा अंचल अधिकारी विस्फी को निर्देशित किया गया कि विद्यापति डीह से संबंधित अधिकृत जमीन को खाली कराते हुए उसके सौंदर्यीकरण के क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ाये। सभी उपस्थित सदस्यों से आग्रह किया गया कि 3 दिनों के अंदर स्थल का भौतिक सत्यापन करते हुए विकास के लिए जो भी संभावनाएं दिखाई देती हो उसके संबंध में लिखित जानकारी उपलब्ध कराये। इस दौरान अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश रंजन ने कहा कि भेजे गए प्रस्ताव के आलोक में जिला पदाधिकारी द्वारा अन्य स्थलों के साथ साथ विद्यापति डीह, उच्चैठ दुर्गास्थान को पर्यटन के रूप में विकसित करने हेतु प्रस्ताव भेजा गया था। जिस प्रस्ताव के आलोक में राज्य सरकार द्वारा प्रथम चरण में उच्चैठ दुर्गास्थान व विद्यापति डीह का चयन किया गया है। जिला पदाधिकारी द्वारा संबंधित अंचल अधिकारी को संबंधित स्थलों के विषय में विहित प्रपत्र में सूचना भेजने निर्देश दिया गया है। विद्यापति विकास समिति की अगली बैठक 10 नवंबर 2018 को अपराहन 3ः00 बजे से विद्यापति डीह पर होगी जिसमें सभी सदस्य उपस्थित रहेंगे। अनुमंडल पदाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी विस्फी को सभी सदस्यों को सूचना देने का निर्देश दिया है। बैठक में प्रखंड विकास पदाधिकारी बिस्फी अहमर अब्दाली, अंचलाधिकारी प्रभात कुमार, बिस्फी कार्यक्रम पदाधिकारी, विद्यापति प्रेस क्लब के जीवन झा, चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, विनय कुमार झा, चंद्र मोहन कुमार, मुकेश कुमार व ललित कुमार ठाकुर मौजूद थे।
अपन एक पूर्वक आलेख सेहो एहि शोधालेख मे जोड़य चाहब, ओ एहि द्वारे जे स्थानीय जनप्रतिनिधि जिला परिषद् व एहि मे जुड़ल कय गोटा नेतृत्वकर्ता लोकनि सेहो मंच पर बड़ा जोर-शोर सँ घोषणा करैत छथि। अपन भाइ, पूर्व जिला परिषद् उपाध्यक्ष भरत भूषण (यादव) जी केर वक्तव्यक सन्दर्भ जोड़ि ई लिखने रहीः
 
जन-जन मे प्रिय कवि – महाकवि कोकिल विद्यापति
(४ नवम्बर, २०१७)
बस दुइ दिन पूर्व कातिक मासक इजोरिया पक्ष केर त्रयोदशी तिथि बीतल – अपन मिथिलाक एक अमरतत्त्व विद्यापतिक अवसान दिवस – जेकरा सौंसे संसार मे ‘विद्यापति स्मृति दिवस’ केर रूप मे साहित्य, संस्कार, शिक्षा, समाज, मैथिल समुदायक पहिचानक वैशिष्ट्य आदि मे आस्था रखनिहार मनबैत आबि रहला अछि। धीरे-धीरे ई राष्ट्रीय पर्वक रूप मे मिथिला मे स्थापित होबय लागल अछि। कुटिल मनसा सँ भरल दुष्ट प्रकृतिक लोक द्वारा विद्यापति केँ सेहो ब्राह्मण जातिक बना वर्तमान ब्राह्मण विरोधक लहरिया युग मे एहि क्रम केँ अवरुद्ध करबाक कतेको कूचक्री खेलावेला सेहो करैत रहैत छथि, परञ्च जाहि महान विभूति पर स्वयं महादेवक कृपा बरसल हो आर जे अपना पास प्राप्त ओहि परमसत्ताधारीक महान कृपा केँ बिना कोनो लागलपेट समदृष्टि आ समान व्यवहार सँ आम जनहित बाँटि देलनि, तिनकर स्मृति या गान केँ भला ई छद्म-क्षुद्र दुष्ट प्रकृतिक दानवी मानव समुदाय कतेक काल रोकि सकैत अछि, ओ दिन-ब-दिन आरो प्रखर सूर्य जेकाँ लोकमानस मे अपन अमिट छाप केँ गहिंर बनौने जा रहल छथि।
 
महाकवि कोकिल विद्यापति – देसिल वयना सब जन मिट्ठा कहि ताहि युगक संस्कृत माध्यम मे शिक्षा आ संस्कार प्राप्तिक कठिनता केँ आत्मसात करैत अपन रचना मातृभाषा मैथिली मे सिर्फ एहि लेल आरम्भ केलनि जे उच्च वर्गक अलावो आम मैथिल जनमानस मे शिक्षा आ संस्कार केर सुन्दर प्रभाव पड़य। विद्यापति ओ पहिल क्रान्तिकारी भेलाह जे सर्वहारा वर्गक पिछड़ापण मे सुधार अनबाक लेल उचित शिक्षा आ संस्कार पेबाक चिन्तन कयलनि। यैह कारण छैक जे संस्कृत भाषा मे पठन-पाठन आ साहित्य परसबाक प्रचलन विरुद्ध जा ओ मातृभाषा मैथिली (ताहि समय अवहट्ट नाम लोकमानस मे बेसी प्रिय) मे रचना कार्य आरम्भ कयलनि। ताहि समयक राजाक दरबार मे प्रभावशाली भूमिका निर्वहन करैत अपन कर्तब्य समस्त प्रजाक हित लेल सोचब हुनकर महानताक स्पष्ट झलकबैत अछि। प्रजा मे आजुक जनप्रतिनिधिरूपी राजा सब जेकाँ वोटबैंक पोलिटिक्स केर फर्मूला पर कोनो जाति विशेष आ संख्याक आधार पर राजनीति करबाक काज जँ विद्यापति द्वारा कयल जाएत त ओ आइ कथमपि जनकवि रूप मे जन-जन केँ कंठ मे विराजमान नहि भऽ सकितैथ।
 
हुनकर लेखनीक विषय मे मुख्य रूप सँ भक्ति (भक्ति पक्ष – राधा-कृष्ण पर या गौरी-शंकर पर) चुनल गेल जे सर्वप्रिय – सभक हित मे रहल। मिथिलाक लोकाचार पर अनेकानेक रचना जे महिला, पुरुष – सब जाति-वर्गक लोक केँ कंठ मे बसि गेल। के नहि चाहैेत अछि जे अदृश्य शक्ति – यानि भगवानक कृपा हमरो भेटय, आर ताहि क्रम मे भजनक लोकप्रियता युगों-युगों सँ अपन मिथिला मे रहबे कयल अछि। यैह कारण सँ विद्यापतिक रचना मे भक्ति पक्ष मुख्य रहल जे हुनका जन-जन मे प्रिय बनबैत ‘जनकवि’ सेहो बनेलक। जनतारूपी जनार्दन जिनकर रचना आ प्रस्तुति सँ महोमहो होएत रहल तैँ विद्यापतिक आराध्यदेव हुनका संग अति साधारण जनताक रूप यानि सेवक उगना बनिकय रहय लगलाह। विद्यापतिक हृदय मे आमजन प्रति – सेवक जन प्रति कतेक सिनेह रहनि से उगना विलोपित भेलाक बाद हुनकर विलाप मे स्पष्ट भेल अछि। “उगना रे मोरा कतय गेलाह, कतय गेला सिव किदहु भेलाह” – हुनक ई रचना सँ स्पष्ट अछि जे उगनारूपी सेवक केँ ओ साक्षात् महादेव केर रूप मे देखलनि, हुनका हेरा गेलाक बाद ओ दर-दर भटकलाह। एहि रचना मे लिखने छथि – “नन्दन वन बीच भेटल महेस – गौरी मन हरखित मेटल कलेस” – एकर व्याख्या हमरा दृष्टि सँ बाबा बैद्यनाथ केर दर्शन सँ उगना केँ भेटबाक संकेत करैत एहि वास्ते गौरी केर हर्ष आ प्रसन्नता सँ भेटल प्रसाद कहिकय संबोधन कयने छथि। आर अन्तक जे पंक्ति अछि ओ स्पष्ट कहैत छैक – “भन विद्यापति उगना सँ काज – नहि हितकर मोरा त्रिभुवन राज” – मात्र आ मात्र उगना चाही, त्रिभुवनक राज सेहो बेकार अछि।
 
रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखित विद्यापतिक जीवनी मे जे पढलहुँ ताहि सँ हुनकर राज्य प्रति ईमानदारिता, राजा प्रति समर्पण आ हुनकर यशगान मे वीररस केर विभिन्न रचनाक बात सेहो कयल गेल अछि। किंवदन्ति सब सुनला सँ स्पष्ट अछि जे राजधर्मक निर्वाह सेहो विद्यापति पूर्ण निष्ठाक संग कएलनि। कविक रूप मे बेसी प्रखर रहलाह ताहि सँ आइयो धरि जीबित छथि। सच छैक जे राजा आ राजधर्म निर्वाह कयनिहार युगों-युगों सँ होएत रहल छथि, लेकिन भाषा-साहित्य आ शिक्षा-संस्कार प्रति जे जागरुक बनि आमजन मे जागरुकताक प्रसार कएलनि ओ अमर भेलाह। बाकी जे एलाह से एलाह आ गेलाह। वर्तमान राजसत्ताक पोषक तत्त्व सब कोनो तरहें कुर्सी पेबाक संघर्ष करैत छथि, छल-बल-कल सभक प्रयोग करैत छथि। मुदा विश्वक अति प्राचीन भाषा आ संस्कृति लेल कहियो मुंह सँ बोली तक सदनक पटल मे नहि निकालि पबैत छथि। ईहो सब बहती गंगाक पानि जेकाँ अबैत छथि, जाएत छथि। मिथिलाक जनप्रतिनिधिक अस्तित्व जिबैत या मरलाक बाद केकर कतेक अछि से देखिये रहल छी। आयल पानि – गेल पानि – बाटहि बिलायल पानि! स्वराज्य मिथिला – जन-जन केर विकास – मिथिलाक अपन सरोकार – सब नदारद! कानि रहल अछि मिथिलाक समाज – कानि रहल अछि वैह पिछड़ा वर्ग आ दलित-महादलित आदि कहेनिहार आम जनता। ओ आइयो एतबे पाछाँ अछि जतेक दशकों पूर्व मे छल। शिक्षा आ संस्कार मे आइयो बाटक काते-काते पैखाना फिरेनिहारे वर्ग मे पड़ल अछि। शौचालयक वास्ते सरकारी खराती पाइयो उठा बाटक काते मे अपने आ धिया-पुता हगि रहल छैक। किताबक अक्षर कारी अक्षर भैंस बराबर आइयो छैक एहि वर्ग वास्ते। आइयो विद्यापति जेकाँ जन-जन मे शिक्षा आ संस्कार केर अलख जगेबाक लेल सपुतक आवश्यकता छैक।
 
निज विद्यापतिक डीह विस्फी मे विद्यापति सल्हेश दीना-भद्री स्मृति पर्व समारोह केर आयोजन भेल। सब साल होएत छैक। बहुत उपेक्षित अबस्था मे छैक कहाँ दिना – राज्य केर तरफ सँ जे पाइ-कौड़ी भेटलैक से त चपेलक ठीकेदार आ नेता-चमचा-बेलचा सब। बेचारा आम जनता केँ जगेनिहार कियो विद्यापति आइयो जन्म लितैथ तखनहि सही ढंग स सब केँ बुझा सकितैथ। लेकिन निराशाक बीच एकटा आशाक विन्दु सेहो देखा रहल अछि। एहि समारोह मे अग्रज भरत भूषण यादव सेहो पहुँचल छलाह। बचौल भाइ ओहि आसपास केर वासिन्दा छथि – ओहो छलाह। आचार्य किशोर नाथ झा केर बात सेहो सुनलहुँ। एक सँ बढिकय एक दिग्गज लोकनि पहुँचल छलाह। हमरा बुझल रहैत त जरुर प्रयास करितहुँ, मुदा भरत भूषण भाइ केर सम्बोधन सँ बहुत बात बुझय मे आयल जे ओ स्थान अत्यन्त उपेक्षित अछि। ठीक छैक – दहेज मुक्त मिथिलाक अभियान जे ‘उपेक्षित धरोहर केँ संरक्षण, संवर्धन आ प्रवर्धन करब’ एहि क्रम मे ऐगला कार्यक्रम ओतुक्के राखब। जय बाबा विद्यापति! हमर एहि लेख केर संग भरत भूषण भाइ केर ओ गरिमामय संबोधन सेहो लिंक मार्फत राखि रहल छी। हड़बड़ायल लोक लेल ई सब कदापि नहि छैक, आ नहिये बाटक काते-काते हगनिहार लेल। तैँ गंभीरतापूर्वक विचार कयनिहार मात्र ई सब पढी-बुझी-सुनी। आग्रह! ॐ तत्सत्!!
 
सुनू भरत भूषण यादवजी केर ई गरिमामय संबोधनः एखन धरि ७२५ लोक सुनलनि अछि, आर हमरा उम्मीद नहि विश्वास अछि जे आब ई हजारों-हजार लोक सुनता आ लाभ उठेता, स्वयं किछु करबाक लेल अपन जीवन केँ समर्पित करता।
 
 
हरिः हरः!!
 

निष्कर्षः

अन्तर्राष्ट्रीय मिथिला महोत्सव २०१९ केर जनादेश मे विकासक ठोस योजना पर कार्य बढेबाक चुनौती अछि। आर, माहौल सेहो बहुत सार्थक ओ सकारात्मक अछि। नेतृत्व एवं संयोजन सेहो कुशल प्रोफेशनल व्यक्तित्वक अछि। सब बात केँ उचित ढंग सँ खंघारिकय कार्य आगू बढय आर दूरदर्शिताक संग गांधीजीक साबरमती आश्रमक तर्ज पर राज्य सरकार संग सहकार्य करैत स्थानीय कार्यसमिति सब सँ समन्वय करैत एकटा प्रोफेशनली मैनेज्ड उपक्रम आरम्भ करैत शनैः शनैः कार्य आगाँ बढायल जाय, यैह उचित आ वांछित अछि।
 
हरिः हरः!!

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