विशेष सम्पादकीयदिल्लीक रविन्द्र भवन – मेघदूत परिसर मे आयोजित छल २ दिवसीय मलंगिया महोत्सव। अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली साहित्य एवं सांस्कृतिक महोत्सव – मैथिलीक महान नाटककार-विद्वान् व्यक्तित्व श्री महेन्द्र मलंगिया पर केन्द्रित एहि कार्यक्रमक संयोजन कएने छलाह श्री ऋषि कुमार झा ‘मलंगिया’। मधुबनी जिलान्तर्गत एक गामक नाम थिक ‘मलंगिया’। परञ्च एहि गामक एक सुपुत्र जखन मैथिली साहित्यक सेवा करैत अपन परिचिति एतेक आगू बढा लैत छथि तखन गामक नाम जेना हिनकहि नाम पर रखायल एहि तरहक भ्रान्ति सेहो होमय लगैत अछि। नेपालक जनकपुर मे शिक्षक केर रूप मे कार्य महान नाटककार महेन्द्र मलंगिया अपन अथक प्रयास सँ रंगकर्म केर एहेन बिया बाउग कयलन्हि जेकर कय गोट गाछ आइ लहलहा रहल अछि, मिथिला नाट्यकला परिषद् यानि मिनाप केर रूप मे जनकपुर आ नेपाल केर नाम सेहो विश्व भरि मे चमका रहल अछि। एहि सभक प्रेरणास्रोत रहल व्यक्तित्व महेन्द्र मलंगिया पर केन्द्रित ‘मलंगिया महोत्सव’ केर आयोजन भारतक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली मे होइत रहल अछि, एहि वर्ष ८ आ ९ दिसम्बर २०१८ केँ ई आयोजन उपरोक्त स्थल पर भेल छल जाहि मे कतेको रास साहित्यिक, सांस्कृतिक आ समसामयिक विषय पर विमर्श होयबाक संगहि नाटक, कला प्रदर्शनी, पुस्तक प्रदर्शनी, मिथिला गृह उद्योगक उत्पादनक प्रदर्शनी आ सब सँ विलक्षण लागयवला मिथिलानी लोकनि द्वारा अरिपन कलाक प्रदर्शनी।
अरिपन कला प्रतियोगिताक तर्ज पर प्रदर्शन कयल गेल। एकर संयोजिका सविता झा सोनी बड मनोयोग सँ दिल्ली मे प्रवासी मैथिलक बेटी-पुतोहु केँ प्रतियोगिता मे सहभागी बनबैत अरिपन कलाक प्रदर्शनी लगौलनि। एकटा अरिपन लेल दुइ गोट मिथिलानी प्रतियोगी छलीह आर करीब एक दर्जन अरिपन कला प्रस्तुत कयल गेल। अरिपन केर सेहो भिन्न-भिन्न रूप होइत छैक ताहि सब केँ प्रतियोगी लोकनि अपन-अपन कला सँ देखौने छलीह। प्रथम, द्वितीय आ तृतीय – तीन गोट पुरस्कार तीन जोड़ी प्रतियोगी मिथिलानी केँ देल गेलनि। प्रस्तुत कला पर मैथिली लोकसाहित्यक विद्वान् लोकनि अपन-अपन विचार सेहो रखलनि। कथाकार अशोक, रमेश रंजन झा, कुणाल, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, डा. कैलाश कुमार मिश्र ‘केके’ – मिथिलाक लोकपरम्परा मे अरिपन पाड़बाक कि सब विधान आ कोन-कोन नियम प्रचलन मे रहल ताहि पर विचार देने छलाह। कोनो आयोजन मे मिथिलानीक उपस्थिति सौम्य आ सम्भ्रान्त होइत छैक, आर अरिपन प्रतियोगिताक आयोजन ‘मलंगिया महोत्सव’ केर सुन्दरता मे चारि चान लगा देने छल। महिला लोकनि केँ सेहो ई अनुभूति भेटि रहल छलन्हि जे मात्र घरक चहारदिवाली भीतर मे एतेक महत्वपूर्ण कला केर ओतेक महत्व नहि छैक जतेक एहि तरहक सार्वजनिक स्थल पर। घरक भीतर पाड़ल जायवला अरिपन केर आध्यात्मिक आ कर्मकांडीय महत्व जरूर रहि आयल छैक, लेकिन एकर प्रदर्शनीय स्वरूप अति विलक्षण होयबाक संग आजुक समय मे बेसी प्रासंगिक सेहो बनि गेलैक अछि।
सामान्यतया मैथिली-मिथिलाक कोनो कार्यक्रम मे पुरुषक उपस्थिति त कामचलाऊ रहितो छैक, मुदा महिला समाजक उपस्थिति लगभग नगण्ये होइत छैक। ताहि समस्या सँ निजात पेबाक लेल वर्तमान समय पुरुष समाज संग कन्हा मिलाकय स्त्रीगण समाज सेहो सहकार्य करब आरम्भ कयलीह अछि। मलंगिया महोत्सव मे महिला सहभागिता बढेबाक ध्येय सँ कयल गेल ‘अरिपन प्रतियोगिता’ केर प्रयोग अत्यन्त सफल रहल। आब गामहु-घर मे ‘कलश-यात्रा’ केर नाम पर महिला समाज केँ आगू बढेबाक कार्य होइत देखल जाइछ। विभिन्न उत्सव पर सेहो महिला लोकनिक अगुवाई मे सामूहिकताक प्रदर्शन कयल जाइत अछि। कतहु-कतहु मिथिला खानपान आदिक प्रदर्शनी सेहो मिथिलानी लोकनि केँ आगू राखिकय कयल जाइत अछि। सामाजिक संजाल आ फोटो पोस्ट करबाक प्रवृत्ति सेहो मिथिलानी लोकनि केँ भाषा, साहित्य, संस्कृति, समाज, आदि मे आगू बढबाक वास्ते प्रेरित करैत छन्हि। मिथिलाक इतिहास मे याज्ञवल्क्य आ गार्गी बीच प्रश्नोत्तरीक गाथा पढल जाइत अछि। मिथिलाक बौद्धिक क्षेत्र मे अनेकों विदुषीक बात पढल जाइत अछि। परञ्च कालान्तर मे महिलाक सहभागिता न्युनो सँ न्युन देखल जाइत छल। तखन मिथिला लेल ई शुभ संकेत थिक जे आब पुरूष संग महिला सेहो एकसमान रूप सँ सामाजिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक सरोकार लेल आगू आबि रहली अछि। मलंगिया महोत्सव एहि दिशा मे एकटा महत्वपूर्ण डेग छल ई कहय मे कोनो अतिश्योक्ति नहि होयत।
हरिः हरः!!