मिथिला कला साहित्य आ फिल्म महोत्सव पर प्रवीण विचार

माल्फ – सहरसा
 
मिथिला कला साहित्य आ फिल्म महोत्सव
 
२८, २९ आ ३० दिसम्बर – त्रिदिवसीय आयोजन आखिरकार २०१८ ई. केर अन्त मे भव्यताक संग संपन्न भेल। मैथिली भाषा-साहित्य, कला-संस्कृति, फिल्म, पुस्तक प्रदर्शनी लेल जहिना २०१८ केर आरम्भ भारतक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सँ भेल, तहिना सुन्दर समापन मिथिलाक मूल धरती सहरसा मे आबिकय भेल – ई एकटा चमत्कार सँ कम किछु नहि थिक।
 
सहरसा मे मैथिलीक मर्यादित कइएक कार्यक्रम भेल पूर्व मे, मुदा विगत किछु वर्ष सँ एकर संख्या अत्यन्त घटि गेल छल। सहरसा मे मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर सपना देखनिहार एक समर्पित व्यक्तित्व ‘किसलय कृष्ण’ आखिरकार सपना केँ सच कय केँ छोड़लन्हि, एकर प्रथम श्रेय हम हिनकहि दैत छी। दिल्ली मे आयोजित मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर गोटेक सत्र आ विमर्शी सँ किसलयजी मे एक प्रकारक असन्तोष देखल गेल छल। हालांकि ओ एक समर्पित अभियानी छथि ताहि हेतु कोनो असन्तोष कथमपि काज बिगाड़य लेल कहियो नहि करैत छथि, लेकिन असन्तोष केँ सन्तोष मे परिणति वास्ते नव संकल्प लैत ओहि दिशा मे कार्य करब आरम्भ करैत छथि। एकरे मानल जाइछ ‘स्वस्थ प्रतिस्पर्धा’। ई हरेक सकारात्मक आ उपयोगी व्यक्तिक आभूषण होइत छैक। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा मे स्वयं ओ काज कतहु नहि होइछ जे कर्त्ता केँ स्वयं असन्तोष प्रदान केलक। अतः सहरसाक आयोजनक मूल परिकल्पनाकार किसलय कृष्ण काफी हद धरि सफल रहलाह कहि सकैत छी।
 
कार्यक्रम संयोजनक महत्वपूर्ण भार बहुप्रतिभासम्पन्न आ मैथिलीक एक इनसाइक्लोपीडियाक रूप मे सुपरिचित चेहरा डा. कमल मोहन चुन्नू पर छलन्हि जेकरा ओ बड़ा मनोयोग सँ निभेलनि। आर मैथिली भाषा-साहित्य-संचार-समाज-शिक्षा-राजनीति व आरो कतेको क्षेत्र मे ‘श्रीकृष्ण’ केर भूमिका निभेनिहार अजित आजाद केर इंजीनियरिंग, डिजाईन, सपोर्ट, सब तरहें एहि कार्यक्रम केँ सफल बनेबाक दिशा मे अग्रसर रहल। संस्कृति मिथिला – एक गोट प्रतिष्ठित संस्था जे पूर्वहि मे कतेको रास इतिहास दर्ज कएने अछि, तेकरा संग नवाङ्कुर भाषा-साहित्य-समाज लेल हालक किछु वर्ष मे डंकाक चोट दय उपस्थिति दर्ज करौनिहार संस्था ‘चन्दा झा विचार मंच’ – बरगाँव – ततबा कहाँ दिल्लीक संजीव कश्यप सँ लैत सहरसाक सन्दीप कश्यप, कुणाल सिंह, राहुलजी, बौआ खाँ, बाबू खाँ, शैलेन्द्र शैली, रमण झा, मोइनुद्दीनजी, विमलकान्त बाबू धरिक कय गोट व्यक्ति जे १ बराबर १०० छलाह – सभ कियो मिलिकय एहि महापर्व केँ सम्पन्न कयलनि। एतेक नीक कार्यकर्ता आ व्यवस्थापन आइ धरि आन कोनो लिटरेचर फेस्टिवल मे हम नहि देखने रही। एकर सम्पूर्ण श्रेय सहरसाक लोकक हृदय मे विराजमान स्वयं ‘मैथिली’ आ ततबा रास ‘अतिथि सत्कार’ केर सद्भावना – प्रभात रंजनजी, राजेश रंजनजी, आदि अनेकानेक युवा नेतृत्वकर्ता लोकनिक भरपूर सजगता सँ सब बात-व्यवस्था एकदम टाइट रहल। जतेक प्रशंसा करब ओ कम्मे होयत हिनका लोकनिक।
 
आर्ट (कला), लिटरेचर (साहित्य) आ फिल्म महोत्सव मे विषय, विमर्श आ विमर्शी मे पटना या दिल्ली जेहेन विविधता भले नहि देखायल लेकिन एक्के वक्ता-विमर्शी केँ बेर-बेर पुनरावृत्ति करैत विषय-वस्तु बेसी समेटबाक कार्य कयल गेल, तेना प्रतीत भेल। दुखद पक्ष ई भेलैक जे कार्यक्रम आ विमर्शीक सूचना जेना अन्य कार्यक्रम मे पहिने सँ प्रिन्ट कराकय श्रोता-दर्शक-संचारकर्मी आदि केँ बाँटि देल जाइक – ताहि विन्दु मे सहरसा फेल (असफल) भऽ गेल। कारण जे रहौक लेकिन ई बड पैघ कमजोरी देखय मे आयल। एकर मीमांसा निकालला पर ई देखय मे आबि रहल अछि जे संयोजक, परिकल्पक आ सलाहकार केर तिकड़ी मे कतहु न कतहु किछु-किछु बात फँसैत रहल आ गोटेक सहभागी अतिथि लोकनि मे सेहो सहरसाक आयोजन प्रति कोनो न कोनो तरहें ‘विश्वास’ केर कमीक कारण ‘आइ विल ट्राइ टु कम’ वाली रवैयाक कारण ई निस्तुकी नहि कयल जा सकल जे फल्लाँ-फल्लाँ एब्बे करता, ई-ई कार्यक्रम हेब्बे करत, आदि। परिणाम एहेन देखल गेल जे कतेको रास सत्र केर संचालन एक्के व्यक्ति बेर-बेर करथि; ओ अपन बेस्ट देथिन मुदा पब्लिक मे तेकर बड नीक प्रेरणा नहि पसरैक। सभागार मे शान्ति आ स्थिर चित्त सँ बड कम लोक बैसल देखाय। बामोस्किल ३० गोटाक उपस्थिति, कखनहुँ त ई स्थिति रहैक जे २० गोटा सेहो बैसल नहि देखाइथ। स्थानीय लोक, छात्रवर्ग, महिला तथा सज्जनवृन्द लोकनिक उपस्थिति गानियेकय देखाइत छल। हँ, कार्यक्रम आयोजन स्थल एक महिला महाविद्यालय होयबाक कारण यदा-कदा छात्रा लोकनि धरि आबथि। सभागार सँ बेसी आनन्द लोक केँ बाहरक फील्ड मे आबैक। तैँ एहि दृष्टि सँ कार्यक्रम अन्य लिटरेचर फेस्टिवल सँ अत्यन्त कमजोर आ निराशाजनक छल। लेकिन शुरुआत मे एतबो भेल से कम नहि भेल, बाहरी अतिथिक संख्या स्वयं मे परिपूर्ण आ एहेन सन्तोषजनक छल जे स्थानीय लोकक कमी केँ बड बेसी अनुभव तक नहि होमय देलक।
 
सहरसा मे मैथिलीक महान दिग्गज लोकनि भेलाह – लिटरेचर फेस्टिवल ई बात नीक सँ मोन पाड़ैत रहल सब केँ। किसलय कृष्ण अपन उद्घोषण मे हुनका लोकनि केँ नाम बेर-बेर लेलनि आर हुनकर सदाशयता जे आइयो सहरसा मैथिली लेल ओतबे एग्रेसिव (अग्रगामी) आ कमिटेड (संकल्पित) अछि से सचमुच पटल पर उतरैत देखायल। जाहि तरहें कार्यकर्ता मे युवा लोकनिक सहभागिता छल से बहुत उत्साहित केलक। आगामी समय मे मैथिलीक सुधारस सँ आम जनमानस सराबोर होयत, सहरसाक सुगन्ध गाम-गाम आ भीतरी भाग मे सेहो खूब चतरत, एहि मे कतहु दुइ मत नहि। सहरसाक देखादेखी अन्य जिलावासी सब सेहो भाषा-साहित्य, कला-संस्कृति, फिल्म-रंगकर्म आदि मे पूरे देश-विदेश सँ एहि तरहें स्रोत व्यक्ति सब केँ जुटाकय लिटरेचर फेस्टिवल केर तर्ज पर काज करता सेहो सन्देश सब तैर गेल अछि। बस, एकटा कोनो संविधान केर बात किसलयजी बेर-बेर पब्लिक केँ (विशेषरूप सँ युवा कार्यकर्ता आदिकेँ) संबोधित करैत कहि रहल छलाह – अनावश्यक रूप सँ श्लीलता-अश्लीलताक बात आबि रहल छल, शायद ताहि सँ प्रभावित होइत एक बेर संयोजक महोदय ‘मंच पर नाल केर प्रवेश’ तक केँ ‘गलत’ कहिकय लगभग १० मिनट पब्लिकक भावना केँ ठेस पहुँचबैत रहलाह। एकटा बड कम उमेर केर बच्चा छलथि ओ नालवादक, हुनका पब्लिक केर डिमान्ड पर स्थानीय रमण बाबू सँ अनुरोध कय केँ बजाओल गेल छल…. सेहो तखन जखन चुन्नू भाइ केर महाविद्यालयक संगीत शिक्षक जे तबला बजा रहल छलाह से बेर-बेर गायक केर गायकी केँ भंग करथि, स्वयं चुन्नू भाइ द्वारा बजायल जा रहल हारमोनियम सेहो बेर-बेर स्केल चेन्ज करय…. एतेक पैघ आयोजन मे संगीतक कार्यक्रम हो आ संगीत लेल उचित वाद्ययन्त्रक इन्तजाम मे फेल होइ त किदैन क’ संविधान केर हवाला दैत पब्लिक सेन्टीमेन्ट्स संग जबरदस्ती खेलबाड़ करी…. ई सब मिथ्याचार हमरा सहित बहुतो केँ नीक नहि लागलनि। बात जानी साफ – फूसिक नियम लादि देला सऽ पोंगापन्थी टा सिद्ध होइत छैक। गायक आ वादक बीच समन्वय नहि तऽ अनुशासन भंग आ तेकरा कोनो संविधान जस्टिफाइ नहि कय सकैत अछि। एहि पर जरूर विचार करय जायब जे जैक अफ अल आ मास्टर अफ नन केर प्रयोग सब ठाम कदापि उचित नहि छैक। लचकता आवश्यकता थिकैक एतेक सुन्दर आ महत्वपूर्ण आयोजन सभक। जोर सँ फूँक मारि देला सँ बला टैर गेल वला हिन्दी कहाबत नहि चलत भाइ लोकनि।
 
पहिल दिनक उद्घाटन सत्र सहित आन सब सत्र काफी महत्वपूर्ण लागल। गीत-गजल सेहो ओतबे दमदार लागल। सांस्कृतिक कार्यक्रम मे छाया कुमार (बंगलौर) सँ आयल गायिका गज्जब प्रस्तुति सब देलीह। बौआ भरि नगरी मे शोर तोहर मामी छौ बड़ गोर मामा चान सन – बहुत सुन्दर गायन सच मे। विद्यापतिक गीत सेहो सुन्दर गेलीह। मुदा वैह बात…. म्युजिक केर संयोजन मे गड़बड़ लागल। डा. आभास लाभ जे मैथिली गायन मे जिन्दादिली सँ मंच पर ५२ वर्षक उमेर मे सेहो २५ वर्षक गायक आ अभिनेता समान प्रस्तुति देबाक लेल नामी छथि, तिनका लायक कोनो म्युजिकल एरेन्जमेन्ट नहि, बड़ा उदास केलक ई बात। किसलयजी व संयोजकजी सब केँ ई सब बात-विचार पहिनहि करबाक चाही, नहि तऽ एहि तरहक कलाकार-गायक केँ आने-आने मंच लेल छोड़ि देबाक चाही। ओना एकर भरपाई आयोजक लोकनि आखिर राति मे कय किछु हद तक श्रोताक प्यास केँ मिझेबाक काज जरूर कयलनि। अन्त भला त सब भला – आनन्द मे सराबोर भेल सब कियो। हमरो कोहुना एकटा समदाउन गेबाक अवसर भेटल, ओना हमरा त एना लागल जे ३ दिन धरि ओतय हमरा सनक अभियानी लेल रहबाक – समय देबाक कोनो जरुरते नहि रहैक। आगाँ सँ हम जरूर सतर्क रहब, से एहि पोस्ट सँ कहि दैत छी। जेकर जे काज छैक तेकरा जँ ओ काज नहि करय देबैक तऽ ओकर मानहानि होइत छैक। हमर अभियान अछि जे युवा पीढी केँ अपन मातृभूमि-मातृभाषा लेल काज करबाक प्रेरणा संचरण करी – सहरसा हमर प्रिय कर्मभूमि रहल अछि २०१३ केर मिथिला राज्य निर्माण यात्राक समय सँ। मिथिला पर्यटन आ औद्योगिक विकासक संग बेरोजगारीक समस्या सँ निवृत्ति आ व्यक्तित्व विकास लेल मैथिलीक प्रयोग-उपयोग आदि विभिन्न विषय रहल, लेकिन किसलयजी जतेक बात विचार करैत बेर कहने रहथि से सब किछु नहि देखायल…. ओ हमरा संग झूठ बजलाह। ओना हम ईहो बुझैत छी जे ई झूठ ओ बस हमर तीनू दिन उपस्थिति वास्ते कहने हेताह, लेकिन एहि चलते हमरा नुकसान भेल से बुझथि आ दोबारा एहेन तरहक दृश्यक पुनरावृत्ति एकदम नहि हो से हम करबद्ध प्रार्थना करबनि। जाहि कोनो परिकल्पक, संयोजक वा इंजीनियर केँ अपना तरहें बढबाक होइन, हम कहियो न याचना कयल न भविष्य मे करब।
 
दोसर दिन छेहा लिटरेरी पक्ष पर चर्चा छलैक जे हमरा समान जिज्ञासू लेल एकदम मोनलग्गू नहि छल। बहुआयामिक विषय सँ हँटल अपनहि हिसाबक-सरोकारक साहित्यिक विमर्श बेसी रहलाक कारण गैर-साहित्यिक लोक लेल ई दिन संभवतः बेकारे गेल। ओना मैथिली विषय सँ पढनिहार आ मैथिली भाषा-साहित्य मे आकंठ डूबल कवि, कथाकार, लेखक, उपन्यासकार, नाटककार आदि केँ जरूर नीक लागल हेतनि। हम कारू खिरहर बाबा केर दर्शन लेल निकैल गेल रही। पुनः कवि सम्मेलन मे आ नारदी गायनक प्रस्तुति ओ संगीतक कार्यक्रम मे भाग लेने रही। बड नीक रहल दोसर दिन। भाइ संजीब कश्यप केर प्रस्तुति सब खूब नीक लागल।
 
तेसर दिन विचारोत्तेजक सत्र आ विषय सब छल। पहिल सत्र रंगकर्म पर चर्चा कयलक। प्रकाशजीक विचार काफी साफ आ ओजस्वी बुझायल। हुनकर आलोचना मे दम छल। दोसर सत्र मे हमरो अवसर देल गेल, वैह एक्के गो बात पर पाँचम बेर गोष्ठी, विचार आ चिन्ता…. नैराश्यता कोनो हाल मे नीक नहि लगैत अछि, काज कतहु किछु महत्वपूर्ण होइतो नहि छैक जेकर पृष्ठभूमि राखिकय मैथिली मीडिया पर कोनो चर्चा होइतय। तथापि कन्हैयाजी आ कुमार आशीषजी समान प्रखर सहरसा बेस्ड संचारकर्मी, दिल्ली सँ संजीव सिन्हाजी आ मूल सहरसा सम्प्रति राँची मे सम्पादक रूप मे कार्यरत संजय झा भाइसाहेब सहितक मंच पर अचानक संचालनक भार सेहो भेट गेल। वगैर कोनो पूर्व तैयारी – बस १ घंटा मे २ गोट परिप्रेक्ष्य ‘मैथिली मीडियाक समग्र स्थिति’ आ ‘मैथिली मीडियाकर्मी लेल राज्य केर योगदान’ ऊपर विमर्शी लोकनिक राय जनबाक चेष्टा कयल। शुरुआते अजीब भेल। प्रश्न किछु आ जबाब किछु – संजय भाइसाहेब केर जबाब देबाक शैली हमर माथक ऊपर सँ निकैल गेल। खासकय तखन जखन ओ पूरे आयोजने पर सवाल उठा देलखिन, हिन्दीक एकटा शायरी कहैत ऐगला पंक्ति मे बैसनिहार ‘हरामखोर’ होते हैं आदि कि-कि दृष्टान्त देबय लगलखिन…. जखन कि संचालक केर तौर पर हम हुनका सँ जानय चाहि रहल छलहुँ जे मैथिली मीडिया केर समग्र स्थिति कि अछि। एतय एना लागल जे पहिने सँ विषय आ विमर्शीक तौर पर सहभागिता हेतु आमंत्रण आदि नहि भेटब… एहि तरहक किछु दुविधा हुनका रहल हेतनि। तखन संजीव सिन्हा जी बड़ा फरिच्छ विचार रखलन्हि, कन्हैयाजी आ कुमार आशीषजी द्वारा सेहो हिन्दीक पत्रिकाक माध्यम सँ सेहो मैथिलीक मीडियाकर्म संभव छैक – ई सब बहुत आशा बढेलक। एकटा सुखद समाचार नव वर्ष अबिते अजित भाइ देलनि अछि जे दिल्ली सँ फेरो मिथिला आवाज केर प्रकाशन प्रारम्भ होयत। देखी आगाँ!
 
पुनः फिल्म केर विषय पर विमर्श सब आरम्भ भेलैक। डा. आभास लाभ सेहो विमर्शी बनलाह। कुणाल ठाकुर मुम्बई अपन नीक अनुभव सब शेयर कयलन्हि। मैथिली अभिनेत्री जानबी झा बड़ा प्रखर स्वर मे फिल्म केर स्थिति पर वक्तव्य देलीह। बड नीक लागल। तहिना अभिनेता अनिल मिश्रा सेहो बड़ा ढंग सऽ विचार सब रखलनि। किसलय कृष्ण केर संचालन सेहो बहुत सुन्दर रहल। आर पब्लिक सेहो बड नीक सँ अन्तर्क्रिया कय सकल। भोजपुरी सिनेमाक १० गोट हिरो-हिरोइन केँ मिथिलावासी जरूर चिन्हैत अछि, धरि मैथिली सिनेमा सँ परिचिति ततबे बनि सकल अछि जे संचालक किसलय कृष्ण केर डायरी धरि आ गोटेक-आधेक विज्ञजन सभक मेमोरी धरि पहुँचि पबैत अछि। पटना सँ विशेष विज्ञ केर रूप मे भाग लेनिहार वक्ता कुणाल सेहो नाटक, फिल्म, लोककला, लोकसाहित्य, उद्घाटन आदि कइएको सत्र मे अपन विचार सब रखने छलाह। काफी क्रान्तिकारी छवि राखि उद्घोषक, परिकल्पक, आदि कुणाल सँ पब्लिक केँ बहुत किछु दियेबाक चेष्टा कय रहल छलाह। कुणाल सेहो अपन बेस्ट देबाक प्रयास कयलन्हि। संग देलखिन नेपाल सँ रमेश रंजन झा, जिनकर डकुमेन्ट्री फिल्म ‘सलहेश’ केर प्रदर्शन कयल गेल। एकटा संस्था ‘पायो’ केर प्रोमो सेहो विमोचित भेल। पायो केर संस्थापक राहुलजी लोकनि सेहो काफी मेहनति सँ ई आयोजन सफल बनौलनि। प्रवीणजी – आइटी प्रोफेशनल सहरसा मे नीक काज कय रहला अछि। काफी प्रभावित केलक पायो टीम। तेकर बाद विद्यापति पर केन्द्रित मैथिली फिल्म आ ताहि पर विमर्श राखल गेल छल। कोनो फीचर फिल्म केर प्रदर्शन नहि कयल गेल। तकनीकी खराबी आबि गेल प्रदर्शनक बेर मे। तखन ठीके भेल। जल्दी-जल्दी कार्यक्रम समापन कयल गेल। अजित भाइ समापन सत्र मे खूब नीक सँ आयोजक लोकनि केँ पंक्तिबद्ध रूप सँ मंच पर ठाढ करा सभक मुखारविन्दु सँ किछु-किछु अनुभव लैत संयोजक चुन्नूजीक गारंटेड वचन जे सब केँ किछु न किछु नव प्रेरणा भेटत तेकर पुष्टि करौलनि। आर संगहि सब कियो ऊर्जान्वित होइत भविष्य मे आरो बेस नम्हरगर आयोजन करबाक संकल्प लेलनि। धन्यवाद आ आभार केर बहुत सुन्दर शब्द प्रभात रंजनजी आ सुभाष भाइ केर गायन सँ भेल। आर फेर औपचारिक समापन मे दुइ गोट सम्मान सेहो हस्तान्तरित कयल गेल। एकटा नगद पुरस्कार सेहो अभिनेता मुकेश झा केँ देल गेल छल। एक अन्य सम्मान मिथिला चित्रकला लेल देल गेल छल। बड़ा रमणगर रहल ई समापन सत्र। आर तेकर बाद डा. आभास लाभ केर रमणगर गायन भेल। एना सम्पन्न भेल त्रिदिवसीय ‘माल्फ’।
 
हरिः हरः!!