मैथिली जिन्दाबाद पर प्रकाशित ‘मिथिलाक वर्तमान रंगकर्म विधा: प्रतिद्वंद्विताक स्थान कतय’ पर मैलोरंग – निर्देशक प्रकाश झा व एक अन्य निर्देशक-रंगकर्मी मुकेश झा द्वारा गंभीर आपत्ति जनायल गेल अछि। ओ सब संपादक प्रवीण नारायण चौधरी पर बिना जानकारीक आक्षेप लगेबाक आरोप सेहो लगौलनि। संगहि मिनाप जनकपुर द्वारा आइ धरि मैलोरंग केँ एकहु बेर आमंत्रित नहि करबाक प्रत्यारोप सेहो लगौलनि। एक अन्य नेपाली संस्था जेकर नाम स्पष्ट नहि कैल गेल अछि ताहि ऊपर आरो गंभीर आरोप लगबैत निर्देशक प्रकाश झा कहलैन जे आमंत्रित केलाक बादो अन्तिम समय मे मैलोरंगक सहभागिता रद्द कैल गेल, जाहि सँ हजारों रुपयाक आर्थिक नोकसानी हुनक संस्था केँ झेलय पड़लनि।
बात मिनाप अध्यक्ष सुनिल मल्लिक द्वारा फेसबुक पर चर्चा सँ शुरु भेल छल। जाहि मे श्री मल्लिक मैलोरंग द्वारा आयोजित ‘मिथिला रंग महोत्सव’ मे मिनाप केँ औपचारिकता निभाबैत कोनो घरक बगल मे कय रहल कार्यक्रम मे सहभागिता लेल वा दर्शको केर रूप मे आमंत्रण नहि करब ‘भारतक मिथिला आ नेपालक मिथिला बीच स्पष्ट मार्गचित्र बनेबाक काज’ कहि आपत्ति जनौने छलाह। एहि ठाम सँ विवाद उठैत आजुक विशेष संपादकीय मे हम प्रवीण नारायण चौधरी द्वारा एकटा समग्र वृतान्त सहितक चर्चा उठायल गेल, जाहि मे मैलोरंग भारतक राजधानी मे मिथिला व मैथिलीक झंडा फहरेबाक विशेष उल्लेख करैत किछु व्यवहारिक पक्ष लेल अपील स्वरूप सुझाव देने छलहुँ, जेकर मुताबिक भविष्य मे एहेन तरहक त्रुटि नहि हो जाहि सँ दुइ देशक मिथिलाक बीच सीमाक पक्कीकरण होयत। एतय लोक एक सँ बढिकय एक अभियान दुनु देशक मैथिलकेँ जोड़िकय करैत आबि रहल अछि, एकटा सौहार्द्रक वातावरण सँ १८१६ केर सुगौली संधि सँ खींचल छाती पर सीमारेखाक कष्टकेँ मेटाबय लेल, अन्तर्राष्ट्रीय सीमाकेँ सम्मान करितो बेटी-रोटीक संबंध सँ जनस्तरीय संबंधक निर्वाह करय लेल चाहैत अछि, ताहि ठाम जँ कोनो संस्था द्वारा एक-दोसरक प्रति अपमानजनक – आपत्तिजनक व्यवहार कैल जायत तऽ निश्चित तेकर नकारात्मक प्रभाव पड़त जे नीक नहि होयत। अत: मैथिली जिन्दाबाद मैथिली भाषा, मिथिला संस्कृति आ दुनू पारक मैथिल बीच सौहार्द्र संबंधक हित सहित दुनु राष्ट्रक हित लेल एकटा अपील मात्र केने छल। मुदा प्रतिक्रियास्वरूप मैलोरंग केर उपरोक्त दुनु अधिकारी लोकनि द्वारा आगि मे घी ढारबाक कार्य कैल गेल अछि। हुनका लोकनि द्वारा आलोचनाकेँ आत्मसात करबाक बदला प्रत्यालोचना आ व्यवहार मे सुधार करबाक ठाम पर प्रतिक्रियात्मक आक्रमण, अशिष्ट व्यवहार आ कूबोल बाजि मैथिली-मिथिलाक अभियान केँ गरियाओल गेल अछि।
एहि समस्त बातक स्क्रीन-शाट केर संग्रह करैत मैथिली जिन्दाबाद आ सीधा सरोकारवाला हम प्रवीण नारायण प्रकाशजी संग दिल्ली मे १९-२५ मई बीच भेंटघाँट करैत सन्देह दूर करबाक वादा केनहिये छी। मुदा एहि बीच मिनाप-अध्यक्ष द्वारा मैलोरंगक लगायल गेल निराधार आरोप प्रति वक्तव्य आयल अछि जे ‘मिनाप आइ धरि कोनो आयोजन ओहि तरहक नहि केलक अछि जाहि मे किनको आमंत्रित करबाक अवसर चूकल जेबाक सवाल उठत। मिनाप द्वारा रंगकर्म, प्रशिक्षण व विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमक आयोजन कैल जाइत रहल अछि। मिनाप स्वयं मैलोरंग द्वारा आयोजित कतेको कार्यक्रम मे दिल्ली तक नि:शुल्क आ अपन पाइ खर्च करैत गेल अछि। सौहार्द्र आ आतिथ्य निर्वाह करब मिनाप आ मैलोरंगक व्यवहार रहल अछि। लेकिन घरक पाछू – जनकपुर सँ मधुबनी ५० किमी दूर पर कैल गेल आयोजन मे मिनाप केँ जानि-बुझि अपमानित करबाक लेल जानकारी तक नहि कराओल गेल ई विस्मित करयवला व्यवहार थीक।’
तहिना नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्य प्राज्ञ रमेश रंजन सेहो मैथिली जिन्दाबाद संग वार्ता मे बतौलनि जे ‘मैलोरंग केँ नाट्यविधा मे प्रशिक्षित करऽवला संस्थाकेँ एहि तरहक अपमान वर्दाश्त योग्य नहि अछि। मिनापक प्रतिक्रिया स्वाभाविके अछि।’ स्रोत सँ ज्ञात भेल जे मैलोरंग निर्देशक प्रकाश झा केर आरोप जे नेपाल मे आमंत्रित केलाक बादो अन्त मे मना कय देला सँ आर्थिक नोकसानीक गाथा कतेको वर्ष पूर्व मे घटल छल, जाहि पर प्राज्ञ रमेश रंजन नीक जानकारी उपलब्ध करा सकैत छथि। एहि विषय मे श्री रंजनकेर कहब छल जे नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित नाट्य महोत्सव जनकपुर मे मैलोरंग केँ आ पटनाक नाट्यसमूह सबकेँ सेहो आमंत्रित कैल गेल छल। मैलोरंग द्वारा नकद रुपया केर माँग केला पर मात्र आबय-जायके भाड़ा उपलब्ध करेबाक बात कहला सँ कार्यक्रम पूर्व नकदी नहि भेटला पर सहभागिता देखाबय मे दिक्कत होयबाक बात सुनि सहभागिता सँ वंचित रहबाक प्रकरण सोझाँ आयल।
मिनाप केँ पाइ देल गेल ताहि लेल बीच मे सानल गेला प्रसिद्ध नाटककार श्री महेन्द्र मलंगियाकेँ मिनाप केर अध्यक्ष कहि पैसा लेबाक बात सेहो मैलोरंग निर्देशक प्रकाशजी द्वारा कैल गेल छल। एहि पर श्री सुनिल मल्लिक स्पष्टीकरण दैत इहो कहलनि जे ‘श्री मलंगिया मात्र निर्देशक बनिकय मिनाप संग आबद्ध रहलाह, ओ कहियो अध्यक्ष छलाहे नहि। एहि क्रम मे श्री मलंगियाक पुत्र ललित कुमार जी केर टिप्पणी सेहो हमर वाल पर आयल अछि। बात केँ बतंगर बनेबाक ध्येय नहि छल। व्यवहारिक त्रुटिकेँ आत्मसात कएला सँ प्रकाशजी या मैलोरंग छोट नहि बनि जायत।’ यथार्थ प्रश्न सेहो एतबे छैक जे सांस्कृतिक संबंध केँ आ जनस्तरीय संबंधक आधारशिला सांस्कृतिक संस्कार व सरोकार केँ दु-तर्फी निर्वाह करबाक कार्य कैल जाय। मतान्तर कम राखि जोड़बाक कार्य बेसी हो। “विडंबना ई छैक जे एकटा छोटो सनक साहित्यिक कार्यक्रम केला पर नेपालक मिथिला सँ मैथिलीभाषी विभूति लोकनिकेँ बजाओल जाइत छन्हि, लेकिन एतेक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम करितो मैलोरंग द्वारा किनको औपचारिक आमंत्रण नहि देब जानि-बुझिकय कैल एकटा गलती बुझाइत अछि। एहेन व्यवहार सँ क्षोभ होयब जायज छैक। तेकरा पर अफसोस प्रकट करबाक बदले उनटे आरोप-प्रत्यारोप करबाक दु:साहस करब मैलोरंग आ प्रकाशजी, मुकेशजी सन कलाजीवी लोककेँ कदापि शोभा नहि दैत अछि।” ई प्रतिक्रिया दैत छथि एक समन्वयकारी बुद्धिजीवी। एक सहभागी कलाकार आ खुद मैलोरंग सँ जुड़ल व्यक्तित्व अपन नाम नहि कहबाक शर्त पर कहैत छथि जे हमरा लोकनि प्रकाशजी आ मुकेशजीक बहुत आदर करैत छी, मुदा कतहु न कतहु मनमाना कार्य ओ सब अपना मोन सँ करैत छथि जाहि सँ एना विवाद बढैत अछि।
मैथिली जिन्दाबाद कदापि एहि प्रकरण केँ तूल देबय लेल नहि चाहैत अछि। प्रकाशजी सँ एहि मादे स्पष्टीकरण मांगल गेल अछि। शीघ्र हुनक स्पष्टीकरण अबिते दुनु तरफ समन्वय सँ आरो नीक काज करबाक प्रतिबद्धताक संग एकरा पटाक्षेप कैल जायत।
– प्रवीण नारायण चौधरी