समाचार साभारः मुरारी कुमार झा द्वारा फेसबुक पर अपडेट कयल जनतब अनुरूप
मुरारी कुमार झा फेसबुक मार्फत जानकारी देलनि अछि जे दरभंगा जिलाक बहेरी प्रखंड अन्तर्गत बलिगाँव मे अप्रैल ४ तारीख ग्रामीण हरेराम यादवक जमीन मे भवन निर्माणकार्य लेल खुदाई केर क्रम मे पुरातात्विक महत्वक एक दुर्गा प्रतिमा प्राप्त भेल, संगहि पुरातात्विक सर्वेक्षण सँ जुड़ल पदाधिकारी लोकनि केँ पहुँचलाक बाद किछु आरो खोदला पर माटिक घैल, चुल्हा, जरल लकड़ीक अवशेष आदि सेहो प्राप्त भेल अछि।
फेसबुक पर देल अपडेट जे हिन्दी भाषा मे दरभंगाक वर्तमान पीढीक आदति मुताबिक राखल गेल अछि तेकर उतार निम्न अछिः
साभारः मुरारी कुमार झा – https://www.facebook.com/murarikumar.jha.1447?fref=ufi
बलिगांव में प्रकृति की गोद से निकला महिषाशुरमर्दिनी की प्रतिमा
दरभंगा जिला के बहेरी प्रखंड स्थित बलिगांव में दिनांक 04/04/2018 को हरेराम यादव अपने यहां शौचालय टैंक का निर्माण JCB मशीन के द्वारा करवा रहे थे इसी क्रम में ऊपरी सतह से 4-5 फिट नीचे से एक 12×22 सेमी० आकार का दुर्गा प्रतिमा प्राप्त हुआ। जिसकी जानकारी डा० शुशांत कुमार के पास पहुंची और उन्होंने तुरंत डा० शिवकुमार मिश्र (स० संग्रहाल्याध्यक्ष, महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय दरभंगा) को सूचित किए इसके बाद डा० मिश्र सर ने मुझे(मुरारी कुमार झा-पुरातत्व) 09:20pm में सूचित किए, तत्पश्चात हमने बेलगांव के मुखिया श्रीमान महेश लाल यादव जी से संपर्क किया और 05/04/2018 को वहां जाने का योजना बना। सारे दिन की बारिश के बावजूद हम अपने बड़े भाई अभिमन्यु कुमार झा और चंद्रप्रकाश जी(तकनिकी सहायक, म० ल० सिंह संग्रहालय दरभंगा) के साथ बलिगांव पहुंचे। पहुंचने के बाद नीचे टैंक में उतर कर देखे तो जमीनी स्तर से 6 फिट नीचे एक टूटा हुआ घड़ा दिखाई पड़ा 2 घंटे की खुदाई के बाद उस घड़े को निकालने में सफल हुए, घड़े के ऊपर नक्काशियां बनी हुई है वैसे घड़ा ऊपर से नीचे की ओर धंसा हुआ अवस्था में था जिससे साफ है कि इस पर भूकंप का प्रभाव पड़ा रहा होगा। घड़े के बगल से जले हुए लकड़ी, बाँस के अवशेष और चूल्हे के टुकड़े भी मिले। इसके बाद हमलोग प्रतिमा देखने गए, प्रतिमा ब्लैक बैसाल्ट पत्थर से निर्मित है जो संभवतः ओइनिवार काल का या उसके बाद का निर्मित है।इसके बाद वहां के स्थानीय निवासी से पूछने पर पता चला की उक्त स्थल से सटा हुआ पूरब में एक जलस्रोत है जिसमें बरसात के दिनों में पानी भर जाता है, पश्चिम में 760मी० की दुरी पर बूढी नदी(पुरनी नदी), उत्तर में 500मी० की दुरी पर कमला नदी और दक्षिण में 3.7किमी० की दुरी पर भच्छि ब्रह्मा मंदिर हैं। गांव में छोटा-बड़ा सब मिलाकर 10 तालाब है। एक ऊँचे टीले पर कब्रिस्तान है। पूरा गांव ही पुरास्थल है। गांव के मुखिया महेश लाल यादव के अनुसार यह गांव राजा बलि का राजधानी रह चुका है। बहुत दिन पहले गांव के पश्चिम बूढी नदी से एक शिवलिंग प्राप्त हुआ था जो वहीं दुर्गा मंदिर में रखा हुआ है, जिसकी ऊंचाई 28सेमी० और व्यास(जलधरी सहित) 25 सेमी० है। इस शिवलिंग के जैसा ही शिवलिंग मध्वेश्वर स्थान दरभंगा, माधोपट्टी केवटी, कुशौथर(कमला के किनारे), मंगरौनी मधुबनी आदि आदि जगहों पड़ भी स्थापित है। दुर्गा मंदिर में लगभग 45-50 प्रस्तर खंड पड़े जिससे इस गांव का पुरातात्विक महत्ता काफी ज्यादा बढ़ गई। अब देखना ये है कि पुरातत्व विभाग कब तक संज्ञान लेते हैं। :- मैं मुरारी कुमार झा(पुरातत्व)।
नामहि सँ स्पष्ट ‘बलिगाँव’ जेकरा राजा बलिक राजधानी होयबाक जनश्रुति प्रसिद्ध अछि, संगहि जाहि तरहक मूर्ति भेटल अछि तथा जाहि पर विशेषज्ञ लोकनिक प्रारम्भिक जनतब उपरोक्त हिन्दी सूचना सँ भेटैत अछि ताहि सँ आगाँ आरो पुरातात्विक खोज केर आवश्यकता स्पष्ट अछि। संभवतः मुरारी कुमार झा सेहो अपन पोस्ट केर आखिरी मे यैह भाव रखलनि अछि जे एहि ठाम आरो खुदाई कराबैत आगाँ सेहो अन्वेषण कयल जाय।
हरिः हरः!!