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उड़ाँव भाषा-संस्कृतिक विभिन्न प्रदर्शनकारी कला ओ जीवनशैलीपर नाट्य-विमर्श

इनरुआ, सुनसरी। दिसम्बर ३१, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!

नेपाल संगीत तथा नाट्य प्रज्ञा प्रतिष्ठान, काठमांडू द्वारा सुनसरी जिलाक मुख्यालय इनरुवामे उड़ाँव भाषाभाषीलोकनिक प्रदर्शनकारी लोककला तथा संस्कृतिक विभिन्न पक्ष सबपर नाट्य-विमर्शक आयोजन काल्हि १५ गते पुस मास केँ कयल गेल।

प्राज्ञ परिषद् सदस्य तथा नाट्य विभाग प्रमुख रमेश रंजन झाक अध्यक्षतामे संपन्न एहि आयोजनमे उड़ाँवभाषाक विद्वान् अभियंता रामलाल उड़ाँव द्वारा कार्यपत्र प्रस्तुत कयल गेल छल। ओहि कार्यपत्रक माध्यमसँ उड़ाँव समुदायक लोकसंस्कृति तथा लोकाचारक विभिन्न पक्षपर उल्लेख्य विमर्शक शुरुआत कयल गेल आर तेकरा बाद ओही कार्यपत्रपर खुल्ला सत्रमे विभिन्न विज्ञ टीकाकार लोकनिद्वारा टिप्पणी करैत उड़ाँव समुदायक लोकव्यवहार ऊपर आरो वृहत् रूप सँ प्रकाश देल गेल। एहि आयोजनामे उड़ाँव लोकसंस्कृतिक गोटेक आकर्षक झाँकीसभक संग गीत-संगीत सभ सेहो विभिन्न कलाकार लोकनिक मार्फत प्रस्तुत कयल गेल। इना उड़ाँवक नेतृत्वमे एहि समुदायक महिला तथा पुरुष लोकनि कर्मा जेहेन महत्वपूर्ण पाबनिमे केहेन नृत्य कयल जाएछ तेकर प्रस्तुति कयल गेल छल। संगहि लेख्य नाट्य प्रस्तुतिक अभाव रहितो हाल एहि दिशामे किछु नव प्रतिभासभक काज करबाक बात ममता उड़ाँव कहलीह।

एहि नाट्य-विमर्श कार्यक्रममे उड़ाँव भाषाक संग सामीप्यता राखयवला मैथिलीभाषा, थारुभाषा तथा नेपालीभाषाक विद्वान् सामाजिक अभियन्तालोकनि सेहो नीक संख्यामे भाग लेने छलाह। प्राज्ञ सभा सदस्य राम धामीक अतिरिक्त मैथिलीभाषाक लेखक तथा सामाजिक अभियन्ता प्रवीण नारायण चौधरी, रंगकर्मी लेखक तथा निर्देशक राम भजन कामत, रंगकर्मी लेखक तथा निर्देशक प्रकाश प्रेमी, सामाजिक अभियन्ता तथा संस्कृतिकर्मी धीरज बर्मा, संजय मेहताक संग आरो बहुते रास संस्थाक प्रतिनिधि तथा अभियान संचालन कयनिहार अगुआ लोकनि सेहो एहि विमर्शमा सहभागी भेलाह आर राखल गेल कार्यपत्रपर टिप्पणी राखैत अल्पसंख्यक तथा लोपोन्मुख उड़ाँव समुदायक भाषा आर संस्कृतिकेँ संरक्षण करय लेल आनो-आन भाषाभाषीसभक संग सहकार्य करैत आगू बढबाक लेल अनुरोध कयल गेल।

नेपाल उड़ाँव आदिवासी जनजाती प्रतिष्ठानक पूर्व अध्यक्ष वासुदेव उड़ाँव, विष्णु उड़ाँव, राजकुमार उड़ाँव, नुनुलाल उड़ाँव, ममता उड़ाँव, इना उड़ाँव सहित दर्जनों उड़ाँव भाषा-संस्कृतिक संरक्षण-संवर्धनमे लागल समर्पित व्यक्तित्वलोकनिक सुन्दर उत्साहक संग एहि कार्यक्रमक आयोजनाक प्रशंसा करैत राज्यक कोनो निकायसँ अपना सभक लेल सोच राखल गेल तथा आबयवला समयमे आरो सशक्तरूपसँ कार्य करबाक प्रतिबद्धतापर संतोष व्यक्त करैत आगामी समयमे अरु प्रदर्शनकारी आयोजनासब करबाक वचनबद्धता प्रकट कयल गेल छल। एहि कार्यक्रमकेर स्थानीय संयोजनमे लागल युवा धीरज बर्माक मंच संचालनमे प्रकाश अनुरागी जेहेन सिनेकर्मीलोकनि सेहो उड़ाँव संस्कृतिकेँ जोगेबाक लेल सब कियो सदिखन सहकार्य करैत आबि रहल आर भविष्यमे सेहो करबाक प्रतिबद्धता जनओलनि।

अन्तमे अध्यक्षीय संबोधन करैत प्राज्ञ रमेश रंजन झा द्वारा उड़ाँव लोकसंस्कृतिमे जन्म देखि मृत्युधरि गीत तथा संगीतक उपयोगकेँ अनूठा कहैत एहि समुदाय संग नाटकीय प्रस्तुतिक लेल सेहो आगाँ एबा लेल प्रेरणास्पद बाट देखओलनि। नाटक मात्र कला-संस्कृतिक संग इतिहास आर ऐतिहासिकताकेँ जोगेबाक आ अपन पहिचनाक विशिष्टताकेँ सहजहि दोसरो वर्ग ओ समुदायक सोझाँ रखबाक माध्यम रहबाक बात कहृैत झा द्वारा उड़ाँव समुदायक सब सर्जकलोकनिकेँ एहि दिशामे सक्रियता देखेबाक सुझाव देल गेल, जाहिमे आगामी समयम प्रतिष्ठानक सहयोग सेहो ओहि दिशामे देबाक वचनबद्धता राखल गेल छल।

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