दिल्ली मे सम्पन्न भेल एक-दिवसीय कर्ण कायस्थ महासभा, जुटलाह सौंसे भारत सँ प्रतिनिधि

संजीव सिन्हा, दिल्ली। दिसम्बर ५, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!

कर्ण कायस्थ समाजक विकास लेल जन-एकात्मता जरूरी : शेफालिका वर्मा

”कोनो समाजक विकासक लेल ओहि समाजक लोक मे एकात्मता होयब जरुरी छैक। वर्तमान समय मे कर्ण कायस्थ समाज केर लोकक बीच सेहो एकात्मता केर नितांत आवश्यकता महसूस भऽ रहल अछि।” ई बात साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवयित्री डॉ. शेफालिका वर्मा रवि दिन गांधी शांति प्रतिष्ठान सभागार, नई दिल्ली मे आयोजित ‘कर्ण कायस्थ महासभा’ मे विशिष्ट अतिथिक तौर पर बजलीह। डॉ. वर्मा कहलनि जे परंपराक विकास होएत रहबाक चाही आर एहि दिशा मे कर्ण महासभाक आयोजन एकटा शुभ संकेत थिक। ‘कर्ण कायस्थ महासभा’ केर उद्देश्यक बारे मे सभा केँ जनतब दैत महासभाक संयोजक बी. के. कर्ण द्वारा कहल गेल जे भारत मे कर्ण कायस्थ समाज केँ एकटा सजग आ बुद्धिजीवी समाज होयबाक गौरव प्राप्त अछि, मुदा हालक किछु वर्ष मे एहनो भावनाक विकास भेल अछि जाहि मे हमरा लोकनि अपन अस्मिता कतहु बिसरैत जा रहल छी। हमरा सबकेँ मिलिकय अपन अनमोल धरोहर केँ अक्षुण्ण रखबाक प्रयास करैत रहबाक आवश्यकता अछि।

कार्यक्रम मे आमंत्रित मुख्य वक्ताक रूप मे इतिहासकार भैरव लाल दास कर्ण कायस्थ केँ कर्नाटकक मूल निवासी बतौलनि। ओ कहलनि जे ई चिंताक विषय थिक जे  हमरा लोकनि अपन इतिहास और संस्कृति प्रति उदासीन भेल छी। जाहि समाजक इतिहास नहि होएत छैक ओ अपन अस्तित्व बिसैर जाएत अछि। कर्ण कायस्थ केर पहिचान तलवार सँ नहि, बौद्धिकता सँ स्थापित भेल छैक, यैह हमरा सभक विशिष्ट पहिचान थिक। दास द्वारा पंजी प्रथा केँ अमूल्य धरोहर केर रूप मे रहबाक बात कहैत एकरा डिजिटाईजेशन करबाक जरुरत पर जोर देलनि।

कार्यक्रम केर अध्यक्षता कय रहला वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र मल्लिक सेहो मैथिल कर्ण कायस्थक वर्तमान अवस्था पर चिन्ता प्रकट करैत कहलनि जे अपन मौलिक संस्कार केँ बिसैर आधुनिकताक नव आवरण मे डूबैत जा रहल छी। जेहो किछु बाँचल अछि ताहि मे महिला समाजक योगदान महत्वपूर्ण अछि। मल्लिक दुनिया मे आबि रहल बदलाव दिशि संकेत करैत कहलखिन जे मनुक्खक पहुँच आब चाँदक धरातल धरि भऽ गेलैक अछि, हमहुँ सब बदली लेकिन एहि बातक ध्यान राखय पड़त जे हमर एक पैर सदैव जमीन पर अछि।

एहि महासभा मे कुल चारि गोट सत्र मे अलग-अलग चर्चा भेल। ‘कर्ण कायस्थ केर इतिहास और संस्कार’ विषयक सत्र केँ भैरव लाल दास, अंजनी कुमार, आर. के. दास एवं राजेश कर्ण द्वारा संबोधित कयल गेल। ‘कर्ण कायस्थ मे के पैघ, के छोट’ विषय पर पुनः भैरव लाल दास,  प्रकाश कुमार दास, अभय कुमार दास एवं सी. के. चौधरी अपन-अपन विचार रखलनि। ‘कर्ण कायस्थ विवाह, रीति-रिवाज, परंपरा बनाम आधुनिकता’ विषयक सत्र में सरिता दास, बिनीता मल्लिक एवं नूतन कंठ द्वारा विचार प्रस्तुत कयल गेल। ‘कर्ण कायस्थ युवा समाजक आचार-विचार और संस्कार’ विषयक सत्र केँ के. के. चौधरी, मानबर्द्धन कंठ, संजीव सिन्हा एवं आनंद कुमार ‘पंकज’ द्वारा संबोधित कयल गेल छल।

कार्यक्रमक अंत मे कुल १८ महत्त्वपूर्ण मुद्दा पर प्रस्ताव पारित कयल गेल जाहिमे दहेज प्रथा केर विरोध मे, बत्तीसगामा केँ अमान्य करब, कर्ण कायस्थ मे कोई छोटा-पैघ नहि आर सरनेम रखबाक समर्थन में प्रस्ताव उल्लेखनीय अछि। कार्यक्रमक शुभारम्भ कुलपुरुष चित्रगुप्त भगवान् केर आरती सँ कयल गेल छल। कार्यक्रम विभिन्न दृष्टिकोण सँ विशिष्ट रहल। अधिकांश वक्ता द्वारा पीपीटी केर माध्यम सँ अपन विचार राखल गेल छल। सब प्रतिनिधि अपन लिखित सुझाव सेहो देलनि। सब वक्ता तथा प्रतिनिधि केँ मानपत्र देल गेलनि। दुपहर मे पारंपरिक भोजन जाहि मे चूड़ा, दही, चीनी और अचार परोसल गेल। महासभा में दिल्ली सहित हैदराबाद, पटना, मुंबई, चेन्नई, बंगलुरु आदि जगह सँ १३८ प्रतिनिधि लोकनिक महत्वपूर्ण सहभागिता रहल। कार्यक्रम केर कुशल संचालन मानबर्द्धन कंठ कयने छलाह।