“रविन्द्र भारती” मधुबनी, बिहार, दिनांक २२/०९/२०१७ दिन – शुक्र
मैथिलि – रचनाकार “© विद्यानन्द वेदर्दी ” जी केर कलम सँ, (सप्तरी,राजविराज)
□ गजल
सभक मोनक महिशाशुरके संघार करू हे माँ
मानसिक रूपेण अपांगके उपचार करू हे माँ ॥
सदति सद्भाव,मानवता उतपन्न
होइत रहए
कणकणमे एहेन शोणितक संचार करू हे माँ ॥
टहलै काल दिन देखारहि दऽ ठहका कमाल,
घर-घर शान्तिलाबि,दरिदरा बहार करू हे माँ ॥
आन्हर बनल छथि शाषक सभ एहि राष्ट्रमे,

© विद्यानन्द वेदर्दी