स्वामी विवेकानंद केर पुण्य तिथि पर विशेष स्मरण

हालहि संपन्न स्वामी विवेकानंद केर पुण्य तिथि पर संचारकर्मी मिहिर झा द्वारा स्वामीजीक विशेष स्मरण लेल समर्पित विचार

– मिहिर कुमार झा ‘बेला’

स्वामी विवेकानंद जन्म नाम नरेंद्र नाथ दत्त भारतीय हिंदु सन्यासी और १९म शताब्दीक संत रामकृष्ण केर मुख्य शिष्य छलाह। भारत केर आध्यात्मिकता सँ परिपूर्ण दर्शन देश-विदेश मे स्वामी विवेकानंद केर वक्तृताक कारण पहुँचल। भारत मे हिंदु धर्म केँ बढ़ाबय मे सेहो हुनकर मुख्य भूमिका रहल और भारत केँ पाश्चात्य संस्कृतिक औपनिवेशकता सँ मुक्त करय मे सेहो हुनकर मुख्य सहयोग रहलनि।
 
“मदद करू और लड़ू नहि”, “एक-दोसरा केँ संग दियौक, नहि कि अलग करियौक”, “शांति और करुणा सँ रहू, नहि कि हिंसा करू” – स्वामी विवेकानन्द केर मार्मिक उपदेश जनकल्याणक लेल एहि सब तरहक होएत छल। बकौल स्वामीजी धर्महि सँ मनुष्यक चरित्र केर निर्माण होएत छैक, यदि धार्मिक एकता केर समय सेहो कियो ई सोचैत अछि जे ओकरहि टा धर्मक विस्तार होएक आ दोसराक धर्मक विनाश होय, त एहेन लोक पर हमरा हृदय सँ लाजक अनुभूति होएत अछि। हमरा मुताबिक सब धर्मक धर्मग्रंथ मे एक्के वाक्य लिखल होयबाक चाही – एकटा युवा संन्यासीक रूप मे भारतीय संस्कृति केर सुगंध विदेशहु मे प्रसारित कएनिहार साहित्य, दर्शन और इतिहास केर प्रकाण्ड विद्वान स्वामी विवेकानंद जी केर पुण्यतिथि पर भारत देश केर गौरव केँ शत-शत नमन एवं भाव पूर्ण श्रद्धांजलि दैत छी।