त कि फेरो सँ लौटत सौराठ सभा मे पुरना रौनक?

विशेष सम्पादकीय, जून १४, २०१७.

सौराठ सभाक ऐतिहासिकता, प्रासंगिकता आ वर्तमान आवश्यकता पर कइएक ठाम भिन्न-भिन्न तरहक विचार सब पढय-सुनय लेल भेटैत अछि। खासकय जखन सभावासक जखन समय होएत छैक त किछु लोकक समूह आ संस्थागत समिति सब सक्रिय होएत देखाएछ जे एकरा बचाओल जाय, संरक्षण कएल जाय, इत्यादि। जाहि सभाक महत्व केँ राज्य स्तर पर मात्र नहि बल्कि राष्ट्र स्तर पर सेहो चर्चा कएल जाएत छलैक से आइ एना टन्ना आ दुक्खा सब द्वारा संरक्षित होयबाक स्थिति मे पहुँचि गेल छैक, कारणो तेहने किछु खास हेतैक से सब अनुमान लगा सकैत छी, कतेको लोक त सब बात बुझितो छथिन। आजुक सम्पादकीय केर विषय ई एहि वास्ते लेल गेल अछि जे आब मात्र गानल-गूथल ११ दिन बचि गेल अछि सभावास केर, फेर सँ आमन्त्रण पत्र आ सभा केँ जमेबाक लेल कि सब हेबाक चाही, के-कि करता आदि पर चहुंदिश चर्चा होएत देखि रहल छी। युवा अभियानी आशीष आइ सम्पर्क करैत पुनः औपचारिक आमन्त्रण कएलनि हमरो, ओना आमन्त्रण भेटला पर हम सहभागी बनैत छी से कहब गलत होयत, हम स्वस्फूर्त आइ २०११ सँ निरन्तर ओहि पवित्र भूमि केँ दर्शन आ माटि माथ पर लगाकय प्रणाम करबाक लेल पहुँचिते टा छी। सब किछु सामान्य रहल त अहु बेर जेब्बे टा करब। सभा उद्घाटन २५ जून केँ होयत आर ओतय हम सब १००-२०० अभियानी लोकनि त निश्चिते टा पहुँचब। मुदा अभियानी केँ पहुँचने आ किछु फोटो सेशन, भाषण आदि केने सौराठ सभाक संरक्षण संभव नहि होयत, ई कहय मे हमरा कनिको संकोच नहि भऽ रहल अछि।

तखन कोना होयत एकर संरक्षण? 

ई प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण अछि आइ। एहि प्रश्नक उत्तर अपना केँ सबसँ बेसी बुद्धिजीवी, ज्ञानी, सुसभ्य, सुसंस्कृत आ सौम्य माननिहार वर्ग मैथिल ब्राह्मण लेल पहिल चुनौतीक रूप मे हम देखैत छी। कारण एकर क्षेत्र मात्र आ मात्र एक जातिक मर्यादाक रक्षा करबाक लेल आरक्षित रहलैक अछि। वास्ते-कृते मैथिल ब्राह्मणः – किछु एहने सन शब्द अंकित छैक एकर दान-पत्र मे। आर परम्परा सेहो रहलैक अछि जे मात्र मैथिल ब्राह्मणक विवाह योग्य वर आ हुनक अभिभावक एतय पहुँचैथ। हुनकर परिचय, कुल, मूल, पाँजि, शिक्षा, दीक्षा, पेशा, आदि पर खुलेआम सभा मे अलग-अलग समूह मे बैसल लाखों मैथिल ब्राह्मणक बीच मे खुल्ला मैदान मे जाय – आर पंजीकार, दुतिकार, आदिक माध्यम सँ ई परिचय सभैती सब केँ बेसी सँ बेसी सुनायल जाय। फेर जिनका जेना-जेना उचित – समुचित केर जनतब भेटत तेना-तेना ताहि-ताहि परिचयक वर एवम् ओहि कनात केर समूहक लोक संग जाय अपन परिचय, कन्याक परिचय, कन्यापक्षक कुल-मूल-पाँजि, हुनकर मातृक पक्ष, बहिन-बहिनोई, भाइ-भाउज आ नाना तरहक सम्बन्धक परिचय सब खोलैत आपस मे तर्कसंगत चर्चा करब कि आखिर अहाँ (वर पक्ष) आ हम (कन्या पक्ष) केर बीच नव सम्बन्ध – कुटमैती होयबाक प्रस्ताव आगू आनल जा सकैछ आर फेर उचित-अनुचित सब तरहक व्यवहारक बात आपसी ओकादि आ मान-प्रतिष्ठाक बात केँ ध्यान मे राखि तय करब जे विवाह कोना होयत। कियो बड जल्दी मे छथि त रस्ते – रस्ते आ हँसिते-चलिते विवाह तय करबाक संगहिये सब विध-व्यवहार सेहो पूरा कय कुटमैती भऽ गेल, नहि त घर पर जा कय उचित सल्लाह-मशवरा करैत सभा मे दोसर दिन या कुल ७-१० दिन धरिक सभाकाल मे कहियो सब बात तय कय केँ विवाह सम्बन्ध कायम कय लेब।

मुदा विगत किछु वर्ष सँ विवाह लेल समुचित जोड़ी मिलानीक प्रक्रिया सौराठ सभा सँ बेसी सहज लोक केँ तरे-तरे घर-कुटमैती मे बुझायल लगलैक। जेहो लोक सब कुल-मूल-पाँजि आदि पर गर्व करैथ ओहो सब धीरे-धीरे एहि प्रक्रिया सँ कैट गेलाह। सभावास मे लोक आयब बन्द कय देलक। सभागाछीक चमक अन्तिम समय मे किछु अतिवाद केर कारण ध्वस्त कय देल गेल ई आरोप लगैत अछि। जबरदस्ती पकैड़कय – गछारिकय विवाह करौनाय, स्थानीय कुटुम्ब या किछु पहलवान टाइप लोकक मदैद सँ सभावास मे आयल सज्जन लोक संग दुर्व्यवहारक शिकायत सेहो भेटैत अछि। किछु लोक केँ सभागाछी मार्फत नेतागिरी चमकेबाक मौका सेहो भेटलैक। कियो दहेज प्रथा उन्मूलन लेल हो-हल्ला केलक, त कियो बड़का-छोटका मे मारि फँसबय लेल आ ओहि ठामक जमीन अतिक्रमण करय लेल – विभिन्न तरहक दुरुह कार्य सब होएत देखि नीक लोक सब सभा मे एनाय छोड़ि देलनि। कहल जाएछ जे अन्तिम समय मे सभावास लेल आकल-बाकल – बराँठ-झराँठ सब मात्र अबैत देखल गेलाह आर एहि तरहें कन्यापक्षक रुचि एहि स्थान पर सँ साफ खत्म भऽ गेल। बिना कोनो नियंत्रण आ बिना समुचित व्यवस्थापन केँ अराजक स्थितिक मारल थिक ई सौराठ सभा। एकरा बाद मे किछु सम्भ्रान्त लोक सब सचिव, अध्यक्ष, सल्लाहकार सब बनिकय सुधारबाक भरपूर प्रयास केलनि, मुदा बुझले अछि जे एक गोटा सचिव बनि गेला त १० गोटा हुनके टांग घिचय मे लागि गेल… एह! फल्लाँ बाबू सचिवगिरी करता से कोन बल पर! तथापि चलैत रहल अछि, सभावासक उद्घाटन-समापनक बीच मे कतेको रास लोक अबैत जाएत रहला अछि। साफ मैर गेल सभा से नहि भेल। हँ, वर, वराँठ, झराँठ आ हुनका संग अभिभावक सभैती सब आब एतय एकदम नहि देखल जाएत छथि। बस, मैनजनगिरीक प्रमाणित करय लेल संस्थागत ढंग सँ काज शुरु त कएल जाएछ, मुदा ग्रामीण एवम् स्थानीय केर उदासीनताक कारण ओहो १-२ वर्षक भीतरे चौपट भऽ जाएत छैक।

पिछला ५-६ वर्ष सँ चहल-पहल काफी बढलैक अछि। एहि वर्ष आरो बेसी सक्रियता रहतैक ई अग्रिमे कहि सकैत छी। वर आ कन्या पक्ष अहु बेर औता से लेकिन सुनिश्चित नहि अछि। संस्थागत प्रयास मे युवा केर जागृतिक कारण स्थिति सुधरतैक, किछु गतिविधि सब होयत ओहि ठाम। पुरना लोक सब अपन सहयोग जँ देथिन एहि नवतुरिया वर्ग केँ त निश्चिते एकरा आधुनिक तर्ज पर आरो बेसी सशक्त ढंग सँ जाग्रत अवस्था मे अनबाक काज हेतैक, ईहो अन्दाज लगा सकैत छी कारण पहिने सँ ई देखैत आबि रहल छी जे न करब आ न करय देब वला बेसी नकारात्मक मानसिकताक लोक एतय अपन वर्चस्व स्वयं स्थापित मानैत छथि आर ओ सब एकरा पार कय केँ कियो किछु कय लेत एतय ताहि सँ बहुत आवेश मे आबि जाएत छथि। बकौल आशीष एहि बेर युवा कार्यकर्ता बेसी काज अपने व्यवस्थापन मे लागल छथि। अगल-बगल केर १० गामक लोक सेहो एकरा व्यवस्थित करय मे रुचि देखा रहला अछि। एकटा प्रश्न जे सौराठ आ पोखरौनीक कतेक लोक सक्रियता सँ एकरा जगाबय मे लागल छथि, ओ कहलैन किछु युवा सभक नाम…. मुदा ई फेर संकेत कय देलक जे ग्रामीण एखनहु उदासीन छथि। ई नकारात्मक पक्ष थिक। ग्रामीण जँ उत्साह अनथिन, एतय वार्षिकोत्सव जेकाँ किछु-किछु आयोजन सब पूर्ण सभा अवधि धरि कराओल जेतैक, तऽ स्वाभाविके तौर पर बाहर सँ हजारक-हजार वर आ कन्या पक्ष पहुँचब शुरु करता आ सभा अपन पूर्व उत्कर्षक दिन सँ किछु बेसिये उत्कर्षक दिन देखत ई कहि सकैत छी। तखन, फेर पहुँचैत छी सभाक उद्घाटन दिन मे, बाकी बात ओत्तहि करब। एहि बेर सभाक उद्घाटन लेल विद्वान् लोकनि औता। राजनीति कएनिहार आबिकय फूसिये दीप जरौता आ १० लाइन ‘हम यूँ मारा – यूँ पछाड़ा’ बात सब कय झूठक १० आश्वासन दय चलि देता त फेर ऐगले बेर आमंत्रित होयबाक समय मोन पड़तनि….ताहि सँ बहुत बेसी नीक एहि बेर होयत ई विश्वास अछि। एहि बेर पाग बचाओ वला बिरबल झा केर सेहो कैम्प रहत कहल गेल, बहुत नीक पक्ष होयत ई। आउ, अपने लोकनि सेहो।

हरिः हरः!!