कि हेतैक आखिर एहि नेपाल मे… कहियो मिल सकतैक १७ गो मालिक?

सम्पादकीय, १० जून, २०१७. 

एम्हर नेपाल मे से स्थिति सामान्य हेबाक नाम नहि लय रहल अछि। राजनीतिक शक्ति सब बँटल विचार आ नियार संग देश केँ कोहुना हाँकि रहल अछि, मुदा गन्तव्य कतय से केकरो नहि पता छैक। अजीब हालत छैक। समझौता-समझौता-समझौता…. के थिक सत्ताक असली मालिक, केकरा हात मे छैक प्रशासनक बागडोर आ के जिम्मेवार अछि सत्ता तंत्र केर सब निकाय आ स्तम्भ केँ समन्वय-संचालनक ई सब अनिश्चित अछि। देश मे स्पष्ट रूप सँ भौगोलिक अवस्था मे फरक आब ओहि भूगोल-आधारित जनमानसक आपसी विश्वास मे एहि राजनीतिक अनिश्चितता सँ एहेन फरक पड़ि गेल अछि जेकर समाधान निकट भविष्य मे भऽ जायत ई कहब संभव नहि बुझाएछ।
 
कतय अछि देश एखन?
 
संघीयता लागू – संविधान फाइनल – संविधानक क्रियान्वयन केर प्रक्रिया जारी! मोट रूप सँ नेपालक वर्तमान यैह थिक। आब राजतंत्रिक नेपाल गणतांत्रिक नेपाल कहाय लागल अछि, लेकिन भीतर एकटा धारा एखनहु एतय राजाक विकल्प सत्रह प्रकारक राजनीतिक दल आ राजनेता केँ नहि पचा रहल छैक, तहिना एकमात्र हिन्दू देश होयबाक अति विशिष्ट पहिचान केँ गणतांत्रिक नेपाल मे हँटि जेबाक बात सेहो भीतरे-भीतर भयावह विरोध झेलि रहल छैक। एहि सब परिवर्तन केँ स्थायित्व प्रदान करबाक लेल पैघ जनाधारक किछेक राजनीतिक दल आपसी समझौता सँ बहुमतीय प्रणालीक आधार पर देशक सब तंत्र केँ एकटा सटीक दिशा-दशा निर्धारण मे लागल देखाएछ। तैँ मालिक बहुमतक स्वामी गठबंधन भेल आ विपक्षी बहुमत सँ विपन्न अन्य राजनीतिक दल सब भेल। मालिक केर बाद दोसर मालिक भेल ओ सबसँ पैघ दल जे कखनहु सत्ता-समीकरण मे उल्टा-पल्टा कय सकैत अछि। तेसर मालिक ओ भेल जेकरा सदन आ सड़क दुनू ठाम अपन संख्याबल केर सामर्थ्य प्रबल छैक। चारिम मालिक ओ भेल जे आन्दोलनक नाम पर देश केँ कखनहु हड़बड़ा सकैत अछि। एहि तरहें एतय कुल सत्रह गो मालिक मैथिली मुहावरा जेकाँ देखा रहल अछि, आर सत्रहो मालिक केँ अपन-अपन मलिकत्वक चिन्ता अधिक, देशक चिन्ता मात्र खोखला वाणी धरि सीमित लगैछ।
 
समस्या कि छैक मुख्यतः?
 
संघीय गणतान्त्रिक नेपाल एकटा छोट मुलुक रहितो हिमालयक कोरा मे अवस्थित सघन वन, निश्छल जल आ अकूत भूगर्भस्थ अज्ञात खजाना सँ भरल राष्ट्र हेबाक कारण १ राजा सँ आब सत्रह मालिकक हाथ मे जेबाक चलते समस्या मे देखाएत छैक, लेकिन ई समस्या जनमानसक भ्रमक स्थिति टा थिक से बहुत रास सकारात्मक लोक कहैत-मानैत अछि। मुख्य समस्या ई छैक जे २५० वर्ष धरि राजतंत्रक समय मे बहुतो तरहक विभेद राखि एहि ठामक वासिन्दा केँ देश प्रति वफादार बनबाक अवसर नहि देल गेलैक, लोक ई मानि लितय जे हमहुँ नेपाली छी आ नेपालदेश हमरो छी तेकरा एकटा कागजक टुकड़ा “नागरिकता प्रमाणपत्र” सँ तेनाकय आंगूर पर शासकवर्ग नचौलक जे समस्याक जैड़ बनि नासूर सनक भयावह रोग बनि गेलैक। नागरिकताक अतिरिक्त शासन-प्रशासन संचालनक विभिन्न तह आ निकाय मे प्रवेश पर सेहो अंकूश लगाकय दोसर दर्जाक नागरिक बनि औपनिवेशिक गुलाम सन जीवन निर्वहन हेतु बाध्य कएल गेलैक। आर आब एहि उत्पीडण सँ मुक्तिक अवसर नवपल्लवित गणतांत्रिक नेपाल मे सब केँ चाही, संघर्ष एहि लेल चौतर्फा जारी देखाएछ। समाधान लेल जनसंख्या आधारित समानुपातिक समावेशिक संविधान केर निर्माणक सैद्धान्तिक बात करैत दुइ बेर संविधान सभाक चुनाव कय अन्ततोगत्वा गोटेक गतगर मालिक सब मिलिकय छोटका-पतरका मालिक सब केँ साइड फेंकिकय अपना हिसाबे संविधान बना देलकैक, आर अपने सँ अपन पीठ ठोकैत दिवाली आ होली सेहो मना लेलकैक। मुदा हिन्दी फिल्म ‘नाराज’ केर थीम पर छोटका-पतरका मालिक सब सेहो अपन मालिकत्व सिद्ध करय वास्ते एतय ‘नाकाबन्दी’ करैत छैक, ओहि मे ‘गतगर मालिक’ सब ‘इंडिया-इंडिया’ करैत हो-हल्ला मचबैत छैक आर एहि सब खेल-तमाशा मे संविधान क्रियान्वयन अधर मे लटकल छैक। नेपालक भौगोलिक अवस्था मे जे जतय बेसी अछि वैह ओतुका मालिक आ जखन जेकरा मन हेतैक अपन खेतक आरि पर देने एनाय-गेनाय बन्द यैह एतुका आन्दोलनक मुख्या आधार…. तखन एनाय-गेनाय जारी रहय ताहि लेल शासक वर्गक पूर्वहि स बहुल्य संख्यक प्रहरी आ सेना केर हाथ मे अपने जनता केर छाती पर एके-४७ सँ गोलीक बौछाड़ कय केँ वा एस्कर्टिंग कयकेँ आबर-जात बरोबरि चलय ई व्यवस्था कएल जाएत छैक, यैह थिक वर्तमान नेपालक मुख्य समस्या। संविधान केँ सर्वस्वीकार्य नहि बना ब्यर्थ मे एक-दोसर केँ शंकास्पद बना राष्ट्रक समग्रता मे सम्पूर्ण जनमानस केँ एक समान अधिकार नहि देनाय, ई थिक समस्याक जैड़। संशोधन सँ समाधान करब से मालिक सब निर्णीत अछि, मुदा ओत्तहु सत्रह गो मालिक केर सत्रह गो बात मे मामिला सुधरबाक स्थान बिगड़ैत बेसी अछि।
 
देशक गाड़ी कतेक आगू बढल?
 
संविधान लागू करबाक एक मुख्य शर्त देश मे चुनाव कय स्थानीय निकाय केँ पूर्ण राज्य संचालन अधिकार प्रदान करबाक अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य आधा भऽ गेल। आधा मे असन्तुष्टिक वातावरण सँ ई महत्वपूर्ण कार्य बाधित भऽ रहल अछि। कइएक बेर मालिक सभक बैसार, मुदा बेर-बेर एक्के बात – पंचायती मनबौक, मुदा खुट्टा गाड़बौक अपने मोने! आब ई देखक चाही जे नवगठित देउवा सरकार मे के कोना सहभागी बनिकय कोन तरहें आपस मे सहमति बनबैत देश केँ आगू बढाओत…. लेकिन एतेक त तय छैक जे सब हँसैत-खेलाइत एक-दोसर पर विश्वास कय कनी बेसी, कनी कम – अपने भाइ-भैयारीक बँटवारा जेकाँ वर्चस्व आ अहंकार केँ तर कय समझौता करैत से कम्मे उम्मीद बुझाएछ। तखन, पशुपतिनाथक ई देश, हुनकर त्रिनेत्र खुजय सँ पहिने समाधान निकालनाय जरुरी सब केँ पता छैक। नहि त बुधियार बानर जेकाँ बाँस मे फाँगबाक गलती फेरो करता त अण्डकोष पिचेबाक खतरा सँ कियो नहि बचता ईहो तय छैक। अस्तु!
 
चुनाव निश्चित हो! ई हमर शुभकामना!