मिथिलावादी लेल अनुपम शिक्षाः आम आदमी पार्टीक जन्म सँ वर्तमान स्थिति सँ शिक्षा लेल जाउ

विचार

– प्रवीण नारायण चौधरी

बनियौटी सँ उत्पादक बिक्री आ मुनाफा क्षणिक मात्र संभव, उत्पादक गुणस्तर नहि रहलाक बाद बनियांक दिवालिया बनब तय

जखन-जखन अहाँ आवश्यकता सँ बेसी आ यथार्थ सँ ऊपर दुनिया देखब, आर अपन दृष्टि सँ दोसर केँ सेहो रिझा लेब – लेकिन अन्ततोगत्वा ओ मात्र काव्य-कल्पना सिद्ध होयत त बनियौटी पार होय मे देरी नहि लागत। बनियौटी पार सँ तात्पर्य यैह जे एक बेर त नीक मार्केटिंग कय केँ प्रोडक्ट लांच कएल गेल बाजार मे, मुदा कन्ज्युमर केँ ओहि प्रोडक्ट केर असल स्वाद मे गछल बात नहि भेटेला सँ फरक बुझय मे आबि गेल आर ओ दोसर बेर ओहि प्रोडक्ट केँ छूबो नहि केलक। सन्दर्भ दुनियाक सर्वथा श्रेष्ठ प्रजातांत्रिक मुलुक भारतीय संघ मे चुनावी परिणाम मे भेट रहल जीत आ हारक थिक। कोन दल या के नेता कहिया जीत हासिल करत, या जनता द्वारा नकारल जायत, एहि सभक एकटा सुनिश्चित धारा आ रीत छैक, ई सब कियो बुझिते छी। तखन चुनाव केँ प्रभावित करयवला मूल तत्त्व होएत छैक सुशासन आ विकास, देशक प्रगति आ जनताक खुशहाली। यैह वास्ते सब अपन घोषणापत्र जारी करैत अछि आर जनता केँ कतेको बोल-भरोस आ नव-नव सपना सब देखाओल जाएछ। परञ्च राज्य-संचालनक समय जखन असली तबलावादन करैत अछि त सब ताल-मात्रा पोन पर बजायल तबला सँ अलग धून देबय लगैत छैक आर फेर जनता देखबैत छैक ‘कैसा रंगा तेरा’।

भारतीय राजनीति मे बहुत बात सोचल-समझल आ पूर्व निर्धारित खाका पर कएल जाएछ, एकरा ‘सेटिंग के राजनीति’ कहल जाएछ। २००४ मे अटलजी व हुनक सिपहसलार सब ‘फील गूड’ फैक्टर मे रहि गेल, मुदा विपक्षी भारतक जनमानस मे ‘जाति, धर्म, सांप्रदायिकता, हिन्दुत्वक खौफ’ आदि प्रसार करैत अन्डर-करेन्ट मे ‘इन्डिया शाइनिंग’ केर हावा निकाइल देलक। फेर जे सरकार बनय लागल ताहि मे स्व. राजीव गांधीक धर्मपत्नी इटली मूलक सोनिया गांधीक यथार्थ जीत होयबाक कारण प्रधानमंत्रीक पद हुनकहि लेल सुरक्षित – आरक्षित जे बुझू से छल। लेकिन हारल दल भाजपाक शीर्ष नेतृत्व मे राष्ट्रवादिताक केसरिया चोला धारण कएनिहार नेतृत्वकर्मीक कड़ा प्रतिरोध आ परिस्थिति मे तासक ५३वाँ जोकर जेकाँ सब जनादेश केँ हावा निकालि देलक। एना बुझा गेल छल जे सोनिया केर प्रधानमंत्रीक कुर्सी पर जाएत देरी भारत मे सब सँ खतरनाक दंगा होएतैक, लेकिन कांग्रेस आ खासकय स्वयं सोनियाक विवेक सँ स्थिति सम्हारल गेल आर मनमोहन सिंह नेतृत्वक सरकार देश मे सरकार बनेलाह। आर तेकर बाद पुनः दोसर आम निर्वाचन मे भाजपाक नेतृत्व मे आडवाणीक नेतृत्व मे चुनाव भेल, लेकिन उपलब्धि पहिनो सँ बेसी बदतर हालात उत्पन्न कय देलक। नीति-निर्धारक एहि बात केँ मनन कय गेल छल जे आब फेर सँ भारत निर्माणक सपना सामान्य राष्ट्रवाद आ धर्म-निरपेक्षता मे अल्पसंख्यक तुष्टीकरण आ विभिन्न तरहक गिरगिटिया राजनीतिक पैंतरा सँ काँग्रेस समान परिपक्व गिरगिट सँ जीतब संभव नहि अछि, कारण देश स्वतंत्रताक तुरन्त बादे सँ जनताक मूड केँ कोना स्विंग कएल जाय, ई बात काँग्रेस सँ बेसी दोसर कोनो दल नहि जनैत अछि। आर परिणाम छलैक २०१३ केर गोआ भाजपा अधिवेशन मे ‘नरेन्द्र मोदी’ केर उग्र चेहरा केँ जनताक मानसपटल मे प्रवेश करायब, उग्र हिन्दुत्व केर नारा केँ रंग लगायब आर सीधा ‘डू ओर डाइ’ केर प्रिन्सिपुल पर चुनाव मे जायब।

लेकिन राजनीतिक पैंतरा मे कियो केकरो सँ कम नहि, अन्ना हजारे कतेको तपस्या केलाह, मुदा ओहो राजनीतिक पैंतरा मे कहिया गर्भवती भऽ गेलाह से हुनका अपनो नहि पता चललनि। जन्म भेल आम आदमी पार्टी आ बागडोर सम्हारला ‘ईमानदार आवरण ओढनिहार’ माननीय अरविन्द केजरीवाल – संग मे रणनीतिकार मनीष शिशोदिया – कानूनविद् आ न्याय-मन्दिर मे उठा-पटक केर दिग्गज प्रशान्त भूषण, अन्ना हजारे केर त्याग-तपस्या सँ जन्म लेनिहार अनेकानेक ‘मानस-पुत्र’ पत्रकार, युवा समाजसेवी, देशभक्ति मे अन्नाक नारा संग नारा लगेनिहार विभिन्न विभूति लोकनि। केजरीवाल – शिशोदिया ओनाहू बनियां समुदायक होयबाक कारणे नीक-नीक कन्सेप्ट केर निर्माता-उत्पादक रहबे करैथ, एम्हर अन्नाक अगस्त क्रान्ति आ भारतीय राजनीति केर प्रमुख दावेदार भाजपा व कांग्रेस द्वारा सामाजिक क्रान्ति केँ राजनीतिक क्रान्ति मे रंगबाक चुनौती केँ हाथो-हाथ भजा लेबा मे कनिको चूक नहि कएलनि आर देखबे केलहुँ जे दिल्लीक करोड़ों जनता ‘जादूगर आप’ केर जादूइ बीन पर ता-थै-त-त-थै करैत दू-दू बेर नीक मत सँ सदन धरि पहुँचा देलक। मुदा भेल कि? जनता केँ कि सब भेटल? जनता सेहो बाद मे आत्मसमीक्षा मे जुटि गेल आ एम्हर बनियौटीक खेल चरम पर ताण्डव करैत रहल। विज्ञापनक अम्बार सँ अपन पीठ अपने थपथपेबाक काज भेल, दिल्लीक भेंडारूपी बहुसंख्य मतदाता केँ अपन चांगूर मे फँसा रखबाक ई बनियां-सूत्र बेसी दिन धरि नहि चलल – कारण जे दिल्लीक विकास हेतु भेटल जनादेश मे कम माथ खर्च कय ‘गिरगिटिया पैंतराबाजी’ मे दिल्ली सँ बाहर नरेन्द्र मोदी केर तूफान केँ थोड़-थाम करबाक विदेशिया सरोकारीक समक्ष अपन ओकादि प्रमाणित करबाक प्रयास मे सब मामिला उलैझ गेल। गोआ आ पंजाब आ मौका लागि जाएत त आरो राज्य मे आप अपन उपस्थिति सँ चुनावी समीकरण बदलबाक रणनीति बनाबैत… दिल्लीक सुधि गछल बुंदा पर नहि राखब सब तैर आप केँ अपन कच्छा सँ बाहर कय देलक ई कहय मे कोनो संकोच नहि।

आब ई देखू – ई थिक दिल्लीक राजौड़ी गार्डेन मे आप उम्मीदवार केर जमानत जब्तीक बात। हालहि सम्पन्न उपचुनाव मे भाजपाक जीत – काँग्रेस मुख्य प्रतिद्वंद्वी आ आपक हाल बेहाल! ई कि इशारा कय रहल छैक? ई साफ कहि रहल छैक जे अहाँ यदि गछल बात पूरा नहि करब, देखायल गेल सपना पूरा करय मे चूकब त अहाँ केँ जनता-जनार्दन जहिना उठाकय गद्दीपर राखलक, तहिना ओतय सँ उतारिकय फेंकियो देत। ई चेतना आप नेतृत्व केँ भेनाय आवश्यक छैक। मुर्ग-मसल्लापर बेसी दिन चमचा-बेलचा सेहो संग नहि दैत छैक। परिणाममुखी नेतृत्व जरुरी! एहि प्रकरण व लेख सँ मिथिलावादीक ध्यानाकर्षण चाहब जे बेर-बेर जोश मे डेग बढेलाक बादो आखिरकार चूक कतय होएत अछि एहि दिशा मे मनन करू। मिथिला राज्य चाही, तखने मिथिलाक विकास होयत – मुदा एतेक छोट बात आखिर गाम-गाम केर जनमानस केँ यदि हम सब बुझेबा योग्य नहि भेलहुँ त फेर राजनीतिज्ञक सूची मे अपन नाम लिखेबाक लेल हड़बड़ी कियैक?

हरिः हरः!!