मिथिलाक अर्थतंत्रः धन्य सब कमासुत मैथिल जे बाहरो कमाकय घर सजाबय

अर्थ विचार

– प्रवीण नारायण चौधरी

मिथिलाक विकासः लोक-समाजक स्वशासन-प्रबंधन सँ आइयो बहुत आगू

दुनियाक नक्शा मे विकसित सभ्यताक अपन बहुत रास मूल्य, मान्यता, विशिष्टता आदिक बात सर्वविदिते अछि। एहने एक गोट बहुचर्चित सभ्यताक नाम थिक ‘मिथिला’। मिथिला आइ दुइ देश बीच मे बँटल अछि। गंगा सँ हिमालय आ कोसी सँ गण्डकी धरिक पावन-सिद्ध भूमि केँ मूलरूप सँ मिथिला कहल गेल अछि, ओना भौगोलिक सीमा मे घट-बढ होयब स्वाभाविके छैक। डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन द्वारा प्रस्तुत लिंग्विस्टिक सर्व अफ इंडिया केर आधार मानैत विज्ञजन द्वारा भारतक ३० जिला आ नेपालक ११ जिला केँ मिथिलाक्षेत्र भाषाक आधारपर मानल जाएत छैक। आब भले ओहि मैथिली केर विभिन्न बोली नव भाषाक रूप मे उदीयमान होयबाक कारण कतहु अंग प्रदेश त कतहु बज्जिप्रदेश, कतहु सीमांचल, कतहु कोसी आदि विभिन्न विशिष्ट उपक्षेत्रक नाम सेहो विशेषरूप सँ मिथिलाक भीतर लेल जाएत छैक। तहिना नेपाल मे एकर उपनाम राज्यक देल उपनाम ‘मधेश’ सँ बेसी प्रचलित देखाएत अछि।

 

हर तरहें, इतिहास, भूगोल, भाषा, संस्कृति आर प्रकृति ओ प्राकृतिक आवोहवा‍-वातावरण-संरचना आदि पूर्वकाल सँ बरकरार रहलाक बादो विगत गोटेक सदी सँ एतय मिथिलाक विशिष्ट राज्य व्यवस्था नहि रहि जेबाक कारण एहि ठामक लोक भूलल-भटकल खानाबदोस सँ कनेक ऊपर पढल-लिखल-परदेशिया (प्रवासी-रोजगारी) बनिकय अपन जीवनयापन करय लेल बाध्य होएतो एतुका गाम-समाज-लोकसंस्कृति आदि केँ अपना भैर पूरा सम्बल बनिकय सम्हारैत देखा रहल अछि। विश्वक विभिन्न सभ्यता सँ यदि मिथिलाक तूलना कएल जाय त एतुका लोकसंस्कृति केँ मानव समाज संग सम्पूर्ण जीवमण्डल हेतु मैत्रीपूर्ण होयबाक अनुपम रीति देखल जाएछ। एहि ठामक लोक संभवतः विश्व भरिक अनेको समुदायक तूलना मे आत्मनिर्भरताक सब गुण सिखने आ जीवन-व्यवहार मे अपनौने देखा रहल अछि। स्वाबलम्बन केर सूत्र जहिना जनककालीन मिथिला मे शास्त्र-पुराण आदि द्वारा चर्चित अछि, किछु तहिना आइयो एहिठामक लोकमानस मे अपन स्वाभिमानक रक्षा करैत बहुत थोड़बो मे अपन आ परिवार-घर-गृहस्थीक कार्य पूरा करबाक भरपूर सद्गुण नजरि अबैत अछि।

 

उपरोक्त ३० आ ११ जिलाक विशाल मिथिला क्षेत्र मे लगभग सब गाम आर क्षेत्र घूमिकय देखला पर राज्यक व्यवस्था सँ बहुत कम्मे क्षेत्र मे लोक केँ लाभ उठबैत देखल अछि, लेकिन ओत्तहि निजी स्वयंसेवा आ स्वसंरक्षणक सिद्धान्त पर मिथिलावासी आइयो एतेक विकसित – व्यवस्थित समाजक रूप मे देख सकैत छी जे विश्व-समुदायक विद्वान् एवं शोध-वेत्तादि सब लेल शोधक विषय थिक। एहि ठामक कृषि एवं गृहस्थी संचालन पद्धति मे केकरो दोसर पर निर्भर होयबाक कोनो टा सिद्धान्त नहि होयब आइ धरि निर्वाह कएल जा रहल अछि। चाहे ओ सिंचाई लेल जलसंचय हो, चाहे पेयजल लेल इनार आ पोखैर हो, चाहे जलकृषिक जीविका लेल जलाशय, नदी, नाला, पोखरिक व्यवस्थापन हो – हरेक स्वनिर्मित पूर्वाधार सँ एहि क्षेत्रक लोक अपना सहित लोकहितक अन्य समस्त जीव लेल सेहो पोषण-वृद्धि हेतु आहार केर – विहार केर आ समग्र मे जीवन पद्धतिक निर्माण होएत छैक। राज्य सत्ताक सहयोग एहि मे चारि चांद लगबैत छैक। जेना, बाट-घाट, नदीपर पूल, शिक्षालय, स्वास्थ्य निरीक्षण केन्द्र, कानून व्यवस्था, विवाद निपटारा लेल न्यायालय, गरीब-असहाय लेल सहायता, पिछड़ा वर्ग लेल आगू बढबाक इन्तजाम, बेरोजगार लेल रोजगार, मानवीय प्रगति हेतु विभिन्न अन्य पूर्वाधारक निर्माण आ विकास आदि विभिन्न महत्वपूर्ण कार्य मे विशाल पूँजी लगानी करैत भविष्य केँ सशक्त बनेबाक कार्य राज्य द्वारा कएल जाएत छैक। लेकिन राज्यविहीनताक अवस्था मे मिथिलाक्षेत्र मे राजनीति त चरम पर रहैछ, विकास आइयो नदारदे छैक।

 

परञ्च धन्य कहू एतुका लोक केँ – सच मे जनकक संतति होयबाक चरित्र एहिठामक लोक मे प्रत्यक्ष देखाएछ। आइ लगभग १०५ वर्ष सँ बिहार प्रान्त मे मिथिला केँ गाँथि देलाक बाद ब्रिटिश भारतक शासक सँ लैत पटनाक शासन मे घरहु केर बेटा धरिक नीति केहेन रहल अछि जे लोक मे पलायन घटबाक स्थान दिन-ब-दिन बढले चलि गेल। पटनाक शासन पद्धति ब्रिटिश शासक सँ कनिकबो भिन्न नहि – जे मिथिला समाज सब केँ आपस मे स्वस्फूर्त जोड़बाक नैतिकता जीवन-पद्धति मे सिखेलक तेकरो अन्ततोगत्वा बिहारी शासन पद्धति छहोंछित कय जाति-पाति मे विखण्डित कय देलक। भाषा केँ सेहो कोनो खास जातिक एकाधिकारक निराधार आ बेतूका तथ्यक प्रचार कय एक्कहि गामक लोक केँ विभिन्न भाषाभाषी कहि वोट पेबाक लेल विभाजित कय देलक। राज्य आ राजनीति मे सुशासन आ विकास केवल नाम लेल रहि गेल। जतय नेताक चुनाव जातीय समीकरण आ धर्मक गोलबन्दीक आधार पर होयत, कहू जे ओ समाजक लोक आपस मे कतेक सौहार्द्रपूर्ण वातावरण बना सकत। परञ्च आर्थिक अवस्था मे अपना केँ समाजक सब वर्ग बीच आगू रखबाक पैतृक (जनकादि समान पुरखाक) गुण सब मे छैक आर भले परदेश कमाबय मुदा गाम केँ सजाबय एहि नीतिक आधारपर आइ मिथिला केकरो सँ कमजोर नहि अछि।

 

गाम-गाम मे फूसक मकान लगभग उठाव भऽ गेल। पेयजल लेल चापाकल, खूल्ला मे पैखाना करबाक स्थानपर घरे-घर सेफ्टी लैट्रीन, बाल-बच्चा मे शिक्षा आ साक्षरता प्रति शत-प्रतिशत जनता जागरुक, सार्वजनिक हित लेल गाम-समाजक एकता – ई सब बात पूर्वक दयनीय अवस्था सँ आब बेसी सुधार पेलक अछि। सरकारो द्वारा जीवन-पद्धति सँ जुड़ल बाट, बिजली, परिवहन, संचार लेल टेलिफोन, दूरदर्शन – उन्नत कृषि लेल बीज, खाद, कृषि-यन्त्र, बोरिंग, आदिक व्यवस्था कएल गेल अछि। लोकक मानसिकता मे आब दरिद्रताक बोध विरले भेटैत अछि। सब बुझैत छैक जे वर्तमान अर्थ युग मे हाथ-पर-हाथ धय घर बैसला सऽ काज नहि चलत। जहाँ बेटा मैट्रिक पास केलक आ कि उपार्जन कोना करत ताहि दिशा मे ओ सोचय लगैत अछि। चुनौतीपूर्ण अवस्था ई छैक जे सरकारी नौकरी या अपन गाम-समाज मे कोनो नीक रोजगार कमेबाक अवसर नहि उपलब्ध छैक – तखन ओ करत कि…. एहि प्रश्नक उत्तर तकबाक लेल मिथिलाक विकासशील युवा काफी जागरुक बनि आगू केहनो चुनौतीक सामना करबाक लेल बढि जाएछ। आर, परिणाम सभक सोझाँ अछि। मिथिलाक लोक-समाजक आन्तरिक विकास केकरो सँ पाछाँ नहि। तखन त ईहो सच छैक जे १०० मे १०० सफल होयत ई संभव नहि होएछ। एखनहु कठिन परिश्रम सँ सफलताक दर १०० मे मात्र १५-२० बुझाएछ।

 

राज्यविहीनता सँ उत्पन्न अनेक चुनौती हमरा लोकनिक शक्ति केँ बढेबाक काज सेहो केलक; लेकिन राजनीतिक अधिकार प्रति लोकक जागरुकता आइयो एतेक पाछू अछि जे आबयवला १००-२०० वर्ष धरि मिथिलाक लोक लेल आरो कठिन चुनौतीपूर्ण होयबाक आशंका कायमे कहू। वर्तमान राज्य द्वारा अधिकारसंपन्नताक कोनो चर्च तक नहि देखैत छी। जेहो पूर्वाधार एतय पूर्व मे बनाओल गेल, सेहो सब लगभग ध्वस्त भेल जा रहल छैक – मुदा जनता चुप्प। एतुका भाषा केँ मेटाकय आन-आन भाषाक चाप चढाओल जा रहलैक अछि, मुदा जनता चुप्प। एहि ठामक संभाव्य पर्यटन उद्योग पर खाली ढकोसलापूर्ण घोषणा टा कएल जाएत छैक, गछलो बात सालोंसाल धरि निर्माण आ संचालन मे नहि अबैत छैक, मुदा जनता चुप्प। एतुका लोक-समाज केँ बिहारी शासन मे बान्हिकय रखबाक लेल दरोगाराज, बिडिओ-सिडिओ राज आ जिला प्रशासनक राज मे पटनाक नीतिकार अपन खेला-वेला कय लैत अछि, मुदा जनता एतय चुप्प। बाजत त बाजत कि? सब खेला-वेला मे एहि गाम-समाजक नेता कहौनिहार केर कन्हापर बन्दूक राखि मगध चुप्पा शासन चला रहल अछि आर लोकमानस मे निज अधिकार प्रति जागरणक वातावरण तक नहि बनय दैछ। आर त आर, एतुका लोक मे जखन बिहार सरकारक खरात एबाक खबैर लगैछ आर तखन जे नैतिक पतन देखैत छी ओ त आरो भयावह आ घृणास्पद अछि। बिपिएल मे ओहेन परिवार नाम लिखबैछ जेकरा अपना पास कृषि योग्य भूमि सँ लैत आमदनीक विभिन्न बाट पहिने सँ उपलब्ध छैक, ओकरा लेल ई योजना सब अतिरिक्त लाभ लूटबाक एकटा मौका होएत छैक। जे सही लाभूक अछि ओ वंचित रहि जाएछ। इन्दिरा आवास, सरकार तरफ सँ शौचालय निर्माणलेल आर्थिक सहयोग, कृषि लेल आर्थिक सहयोग, सिंचाई लेल तेलक कूपन, कोटा पर भेटयवला चाउर-गहुँम, बिपिएल लेल बिजलीक लाइनक उपभोग – सब मे लोक हेरा-फेरी मे लागल रहैछ। एहेन अवस्था मे ‘मिथिला राज्य’ केर मांग सँ ओकरा केहेन सरोकार? के बुझत जे राज्य कि होएत छैक आर राज्य बनला सँ कि लाभ भेटत? गोटेक लोक फेफिया रहला अछि, फेफियाउथ ओ। आम जनमानस मे बेटा सब बाहर कमाएते अछि, अपना बचल-खुचल लोक केँ खरात भेटिते अछि। भऽ गेल। एहि मे सब पुण्य भेट गेल। जीवनक सब लाभ हासिल भऽ गेल। तथास्तु!

 

अन्त मे एक बेर फेर ओहि बेटा सब केँ धन्यवाद देब जे अपन कठिन परिश्रम सँ प्रतिकूलता रहितो आनक देश यानि परदेश मे आनहि केर भाषा आ भेष मे अपना केँ कोहुना सिटिंग-फिटिंग कय केँ अपना संग परिवार आ गाम-समाजक पैत बचौने अछि। आइ मिथिलाक सबसँ पैघ स्वयंसेवी सन्तान हम एहि वर्गक बेटा-बेटी केँ मानैत छी। आगामी कतेको वर्ष धरि एहि तरहें चलबाक दृश्य आँखिक सोझाँ देखैत छी। कारण एतय राज्य पेबाक लिलसा आर अपन मूल पहिचान मैथिल केँ सम्मानित करबाक साहस बहुत कमे सपुत मे देखाएछ। ईश्वर पर आस्था एतुका जनमानसक सब आधार छी – राम नाम केवल आधारा! सब कमासुत मैथिल केँ हमर प्रणाम – मुदा जे कमासुत अपन मातृभूमि केँ बिसैर जाएछ, शहरे केर भऽ कय रहि जाएछ – ओहेन मैथिल केँ सद्बुद्धि लेल मिथिला-धिया जानकी सँ आराधना करैत छी। अस्तु!

 

हरिः हरः!!