दुर्गा छी अहाँ लक्ष्मी छी – बढैत चलू

।। बढैत चलु ।।
आयल समय उठु हे नारी,
नव युग केर निर्माण करू,
विकास केर खोदल नींव मे,
आहाँ प्रगति केर पत्थर बनुं,
तोडि दियौक सभटा बाधा,
संघर्षक पथ पर बढैत चलु ।
स्वयं अपनहि कमजोर नञ बुझू,
जननी छी आहाँ सम्पूर्ण जगत केर,
गौरव छी आहाँ अपन संस्कृति केर,
आहट छी स्वर्णिम जुग आवैक केर,
देशक नव इतिहास आहाँ ,
अपनही कर्म सँ रचना करू,
तोडी दियौक सभटा बाधा,
संघर्षक पथ पर बढैत चलु ।
दुर्गा छी आहाँ, लक्ष्मी छी आहाँ,
सरस्वती छी, सीता छी आहाँ,
सत्यक रस्ता देखाबै वाली,
रामायणक छंद, गीता केर श्लोक छी आहाँ ,
तोडी क रूढिवादी विवसताक बंधन,
देशक सम्मान वास्ते आगु बढु,
संघर्षक पथ पर बढैत चलु।
साहस, त्याग, दया, ममता केर ,
आहाँ प्रतीक छी, अवतारी छी,
समय आयल त लझ्मीबाई बनि,
दुश्मन सँ भिडैत विरांगना छी,
आंधी हो वा तूफान मचल हो,
अपन पथ सँ कतौह नञ भटकु,
तोडी दियौक सभटा बाधा,
संघर्षक पथ पर बढैत चलु।
शिक्षा होई वा अर्थ जगत में,
या सेवा होईक कोनो सरकारी ,
पुरूष सभक समान आहाँ छी,
सभ पदक सुच्चा अधिकारी,
आहाँ नव प्रतिमानक सृजन के ,
अपनहि हाथ सँ गढैत चलु,
तोडी दियौक सभटा बाधा ,
संघर्षक पथ पर बढैत चलु ।
✍ घनश्याम झा
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर समर्पित