– मार्कण्डेय काटजू
(मैथिली अनुवाद – प्रवीण नारायण चौधरी)
हमर ब्लाग justicekatju.blogspot.in पर देल हमरे एक आलेख ‘The Caste system in India’ (भारत मे जातिय-व्यवस्था) मे हम भारतमे विद्यमान् जातीय-प्रणाली पर वर्णन केने छी। ओहि मे हम लिखने छी जे एक समय जातीय प्रणाली कोन तरहे समाज मे श्रम केर आधार पर आधारभूत वर्गीकरण करैत बहुत प्रगतिशील भूमिका निर्वाह केलक, आर, जेना एडम स्मिथ द्वारा हुनक प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Wealth of Nations’ मे लिखने छथि जे श्रम केर विभाजन सँ विकासक बाट प्रशस्त होइत अछि। हलाँकि, जाहि बातक औचित्य समाजिक विकास लेल आइ बेहतर होइछ, वैह बाद मे बदतर सेहो भऽ सकैत अछि। आइ निस्सन्देह जातीय प्रणाली हमरा देश लेल अभिशाप बनि गेल अछि, ई जतेक जल्दी समाप्त हो ततेक नीक होयत, कारण ई हमरा सब मे एहेन समय विभाजन अनैछ जखन हमरा लोकनिकेँ बेहतरी लेल एकताबद्ध होयबाक जरुरत रहैछ।
ओहि आलेख मे हम लिखने छी जे जातीय प्रणाली संभवत: जातीय मूल सँ शुरुआत होइछ, जे बाद मे समाजिक श्रम केर सामंती पेशागत विभाजन मे परिणति पेलक। दोसर शब्द मे, हरेक पेशाकर्म जेना कुम्हार, कमार, लोहार, आदि एकटा जाति बनि गेल। अहिना युरोप मे सेहो भेलैक। आइयो कतेको अंग्रेजक नामक अग्रभाग मे टेलर, गार्डनर, पोटर, स्मिथ, गोल्ड्स्मिथ, बेकर, मैसन, बार्बर, बुचर, आदि यैह सूचित करैत छैक जे ओकर पूर्वज एहि पेशाकर्म मे छलैक। मध्यकालीन युग मे कोनो अभियान्त्रिकी महाविद्यालय वा तकनीकी संस्थान नहि छलैक, आर तैँ कोनो कला वा पेशा सिखबाक लेल केकरो ओकर पिता सँ सिखबाक बाध्यता छलैक।
भारतक प्राचिन आ सामंती समाज केर समय सँ ब्राह्मण सब पुरोहिती आ बुद्धिजीवी वर्ग मे छल। सार्वभौमिक (विश्वसंबंधी) शिक्षा ग्रहण करब ताहि समय मे संबव नहि छलैक, पहिल तऽ सामंती समाज उत्पादन लेल अपेक्षाकृत पुरान संयंत्रक प्रयोग करैत एहि उद्देश्यक पूर्ति लेल कोनो पूँजीक निर्माण नहि केलक, आ दोसर बाात जे सामंती कृषक समाज केँ बहुत साक्षर लोकक जरुरतो नहि छलैक, किऐक तऽ कृषि (आधुनिक उद्योगक तुलनामे) एक साधारण काज मात्र छलैक, एहि लेल केकरो साक्षर होयब आवश्यक नहि रहैक (ईंग्लैन्ड मे सार्वभौमिक शिक्षा बहुत बाद लगभग १८७० मे आबिकय Elementary Education Act द्वारा शुरु कैल गेल)।
ब्राह्मण पुरोहिती वर्गक लोक आ ओकर भाषा संस्कृत छल, ठीक जेना युरोप मे पुरोहित सबहक भाषा लैटिन होइत छल। चूँकि मूलरूप सँ मन्दिर आ विभिन्न धार्मिक आयोजन आदि मे केवल धार्मिक कार्य निष्पादन हेतु साक्षीरूप पुरोहित बनब होइत छल, फलस्वरूप, संस्कृत मे शिक्षा पबैत ब्राह्मण आरो बौद्धिक कार्य जेना दर्शन, विज्ञान (गणित, ज्योतिष, औषधि, आदि), साहित्य, कानून, आदि क्षेत्र मे करय लागल। संस्कृतहि मे ओकर समस्त कार्य होइत छल जे खुलस्त तौर पर वैह सब बुझैत छल। यैह सँ उल्लेखनीय प्रगति भेल।
बुद्धिजीवी वर्ग होयबाक कारणे ब्राह्मणक नेतृत्वक अग्राधिकार समाजक हरेक ओहि वर्ग पर छल जे विभिन्न परिवेश मे रहैत शिक्षा जरुरी मानैत छल। एहि तरहें, कुल जनसंख्याक मात्र किछेक प्रतिशत होइतो, सब महत्त्वपूर्ण सामाजिक पद पर वैह सब बैसल, आधुनिको युग मे प्राध्यापक, वकील, न्यायाधीश आ अधिकारी आदि पद पर वैह सब अछि।
ई स्थिति बहुत लंबा समय लेल नहि चलि सकल, चूँकि आधुनिक समय मे समाजक अन्य वर्ग सेहो शिक्षित भेल, आर एना एकटा प्रतिक्रियात्मक वातावरण बनि गेल। उदाहण लेल, तमिलनाडु मे ब्राह्मण राज्यक कुल जनसंख्याक मात्र ३% अछि, मुदा ताहि अनुपात सँ बहुत बेसी लोक न्यायाधीश, प्राध्यापक, अधिकारी आदि ब्राह्मणहि (अय्यर आ अय्यंगर) सब भेल। यैह चलते जस्टिस पार्टी परियार (इ. वी. रमास्वामी नैकर) केर नेतृत्व मे बनल जे ब्राह्मण-विरोधी आन्दोलन करैत गैर-ब्राह्मणकेँ विभिन्न पद पर स्थापित करबाक माँग केलक। जखन कि ई परिणामत: ब्राह्मण पर अति-विरोध केर कारण बनि गेल।
ब्राह्मणक आप्रवासन भारतक विभिन्न भाग मे एकटा रोचक प्रसंग बनि गेल। ई मात्र ओकर पुरोहितवर्गक होयबाक कारणे भेल। मानि लेल जाउ जे तन्जौर या मदुराई केर राजा एक मन्दिर बनौता। ओ अपन प्रतिनिधि केँ वाराणसी या मथुरा या कन्नौज पठेता, जे शिक्षाक प्रमुख केन्द्रकेर रूप मे ओहि समय स्थापित छल। राजाक प्रतिनिधि ब्राह्मणक सभा सँ अनुरोध करत जे ओकर राजा एक मन्दिर बनौलनि अछि आर ताहि लेल एक वेदविद् ब्राह्मण केँ आमंत्रित केलनि अछि जे ओहि मन्दिरक प्रतिपालन करय आर हुनक राज्यक समृद्धिक लेल पूजा-अर्चना करय; आर ई ओहि सभा सँ कहय जे एहेन ब्राह्मणकेँ हुनकर परिवार संग पठाउ। ओहि ब्राह्मण अा ओकर परिवारक भरण-पोषण लेल किछु गामक राजस्व केँ राजा द्वारा निर्धारित कैल जायत, यानि किछु जमीन ओकरा देल जायत। एहि तरहें बहुत पैघ संख्या मे उत्तर भारतीय ब्राह्मण दक्षिणक प्रवास पर गेलाह आर यैह कारण सँ तमिल ब्राह्मण आइयो उत्तर भारतीय ब्राह्मण समान देखाइत छथि (किऐक तँ हुनक पुरखा उत्तर भारत सँ अयलाह)।
तहिना, किछु कुलीन ब्राह्मण बंगाल (मुखर्जी, चटर्जी, बनर्जी आ गांगुली) सेहो कन्नौज सँ आयल, जे वर्तमान उत्तर प्रदेश केर एक जिला अछि। तथ्य सँ प्रकट होइछ जे ई बंगाली ब्राह्मण अपना केँ कन्नौजिया ब्राह्मण कहैत अछि।
बहुतायत मन्दिर सब मे आइयो पूजारी ब्राह्मणहि अछि, मुदा किछु मे गैर-ब्राह्मणो जेना वृन्दावनक प्रसिद्ध बाँके बिहारी मन्दिर मे गोसाईं जातिक पूजारी अछि।
हम स्वयं एक कश्मीरी ब्राह्मण छी। समस्त कश्मीरी ब्राह्मण सारस्वत् ब्राह्मण कहाइछ जे संभवत: पूर्वज लोकनिक वासस्थल सरस्वती नदी जे आब सुखायल अप्रकट रूप मे अछि तेकर किनार पर रहबाक कारणे भेल हो। कश्मीरी ब्राह्मण मोट तौर पर दुइ प्रकारक होइछ, एक कश्मीरी भाषा बाजयवला, दोसर कश्मीरी भाषा नहि बाजयवला। हम एक गैर-कश्मीरी भाषी छी, मुदा हमर पत्नी कश्मीरी भाषी छी। कश्मीरी भाषा हिन्दी सँ बहुत इतर छैक। हमर विवाहक ४४ वर्ष बितियो गेला पर हम अपन पत्नीक ओकर सम्बन्धी लोक संग कश्मीरी मे बात करैत नहि बुझि पबैत छी। गैर-कश्मीरी भाषी कश्मीरी पंडित ओ भेल जेकर पूर्वज कश्मीरघाटी सँ सामूहिक वा वैयक्तिक प्रव्रजन करैत भारतक अन्य तराई भाग मे लगभग २०० वर्ष पहिने वा आसपास बैस गेल। उत्तरी, पश्चिमी आ मध्य भारतक विभिन्न महाराजा वा नबाज द्वारा शासित छोट-छोट राज्य (रियासत) मे उच्चाधिकारीक पद पाबि ओहो सब ओहि तरीका मे मूल वासक ठाम बदलने छल। कश्मीरी पंडित सब उर्दू आ फारसी भाषा जे ताहि समयक रियासतक दरबारी भाषा होइत छलैक ताहि मे उच्चस्तरीय प्रवीण होइत छल। ओ सब कोनो उत्पीड़न सँ नहि वरन् नौकरीक अवसर पेबाक लेल आप्रवासी बनल। बाद मे, बहुते रास लोक न्याय-क्षेत्र मे आबि गेलाह, जेना सर तेज बहादुर सप्रु, पंडित मोतीलाल नेहरु (जवाहरलाल नेहरुक पिता), आ हमर अपनहि पितामह डा. के. एन. काटजू। ई गैर-कश्मीरी भाषी कश्मीरी ब्राह्मण सब अपने-आपसहि टा मे विवाह करैत छल नहि कि स्थानीय अन्य ब्राह्मण या अन्य जाति मे (हलाँकि आब एहि मे परिवर्तन आबि गेल अछि)। एहेन ब्राह्मणक संख्या १ सँ २ लाख होयत। कश्मीरी भाषी कश्मीरी ब्राह्मण, जेकर संख्या २ सँ ३ लाख होयत, ओ सब कश्मीरे मे रहला। एहि मे सँ बहुतो केँ कश्मीर १९८९ उपरान्त विभिन्न उच्छन्नर (उत्पीड़न) पेलाक बाद छोड़य पड़ल (हमर ब्लग पर कश्मीरी पंडित पर आलेख देखू)।
कश्मीरी ब्राह्मण मे सेहो बहुत रास महान् विद्वान् आ कलाकार सब भेल अछि। पहिल हिन्दू इतिहासकार (हिन्दू लंग पौराणिक शास्त्र छल, इतिहास नहि) सेहो कश्मीरी पंडित छल, जेना क्षेमेन्द्र, कल्हान, जोना राज, आदि। कश्मीरी पंडित दर्शनशास्त्रक एक शाखा ‘कश्मीर शैव्य’ केर सृजन केलनि, जेकर स्थापनाकर्ता अभिनव गुप्त छलाह। एतय अनेको रहस्यवादी कवि सेहो भेलाह जेना लाल देड जे सूफी परंपरा सँ छलाह। संतूर जे एक ठेठ कश्मीरी संगीत वाद्ययंत्र थीक तेकर प्रसिद्ध वादक पंडित शिव कुमार शर्मा आ भजन सोपोरि भेलाह। कश्मीरी पंडित उर्दू साहित्य मे सेहो बड पैघ योगदान देने छथि, जेना चकबस्त, सरशर, आदि।
ब्राह्मणक आरो बहुते प्रकार छैक – जेना उत्तर प्रदेश मे सरयूपारी आ कान्यकुब्ज, महाराष्ट्र आ कर्नाटक मे चितपावन आ देशस्थ, केरल मे नबूदारी, आदि। एहि सब पर लिखय मे बहुत समय लेत।