विचार
– घनश्याम झा
बहुत हर्षक गप्प अछि जे किछु राजनितिक हस्ती राखनिहार लोक मैथिली आ मिथिला केर विकासक हेतु सोच राखैत छथि । मुदा अहि सँ पहिलो कतेको व्यक्ति गाय रूपी माँ मिथिलाक नांगैर पकैर कऽ राजनितिक रूपी वैतरणी पार कयलथि । आ ताबैते ओ मिथिलाक विकासक बात कयलथि जाबैत धरि हुनका कोनो पद वा ओहदा नञ प्राप्त भेलनि । मैथिली कवि फजलुर रहमान हासमी लिखने छथि “थर्मसक रिक्त होइतहि अपन मित्र भऽ जायत दोसरक” – तहिना पद भेटतहि ओ माँ मिथिला के बिसरि मिथिला सँ बाहरक सोच सँ ग्रसित भऽ जायत छथि।
जखन कोनो राजनितिक व्यक्ति के अपन भविष्य अंधकारमय बुझाइत छनि तऽ ओ मिथिला आ मैथिलीक सहारा लऽ कऽ अपन प्रतिष्ठा स्थापित करैय के पुरजोर कोशिश करैत छथि, आ माँ मैथिलीक कृपा सँ हुनका तऽ नीक सऽ नीक उपलब्धि भेंट जायत छनि मुदा ओहि आंदोलनक अन्य सेनानी तखन अपना आप केऽ ठगल महसूस करैत छथि जखन पद वा सम्मान भेटला के बाद अपन सेनानी के तऽ बिसैर जायते छथि संगहि माँ मिथिला के बिसैर अपन स्वार्थ सिद्धी मेऽ लिप्त भऽ जायत छथि ।
अहि केऽ बहुतो उदाहरण अछि मुदा कतेक दियऽ कियैक तऽ ओहि सँ माँ मिथिला केऽ संतुष्टी नञ भेटतनि । मिथिलाक सहारे, मिथिलाक धरती सँ उपजल कतेको नेतागण आजुक समय मेऽ माँ मिथिलाक इ बहैत नोरक सहभागी छथि ।
अपन वजुद गँवा चुकल कते नेता आजु फेर सँ माँ मिथिला केर नांगैर पकैर वैतरणी पार करऽ मेऽ चाहैत छथि । दिल्ली सँ लऽ कऽ चैन्नई आ मद्रास धरि अपना आप के मिथिलाक सिपाही सिद्ध करऽ मेऽ लागल छथि । पहिनो हिनका सबकेऽ माँ मिथिला बहुतो किछु देलखिन मुदा बदला मे इ सब कि देला ? किछु नञ । एतबा नञ ककरो पुछला पर एकटा पैघ नेता मैथिली के अपन भाषा केऽ रूप मे स्वीकार तक नञ कयला । सोचु ओहि दिन माँ मिथिला केऽ कतैक कष्ट भेल हेतनि ।
ताहि लऽ कऽ हमर निवेदन अछि हुनका सबसँ माँ मिथिलाक उपयोग सिर्फ अपन स्वार्थ सिद्ध करैक वास्ते नञ करू । माँ मिथिला केऽ सच्चा सिपाही बइन अगर हुनक सेवा नञ कऽ सकैत छी तऽ हुनक आत्मा केऽ पड़ताड़ित नञ करियौन । कियैक तऽ माँ मिथिला सदैव सबकेऽ किछु नेऽ किछु दऽ ऐलथिन अछि किछु लेलथिन नञ । मुदा अहि उपकारक बदलेऽ ओ एतबि आशा सदैव राखैत एलि जेऽ कम सँ कम सम्मान भेटला के बाद ओ हमरा बिसरथि नञ ।
माँ मिथिला कानि कहैत पुकार,
जुनि ठगियौ, बस करू एतबि उपकार।।
।।जय मिथिला, जय मैथिली।।
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