कोढिपनाक हद्द
(यथार्थ कथा)
– प्रवीण नारायण चौधरी
तखन कहैत रही जे जेकरा मे संघर्ष करबाक सामर्थ्य नहि हो, जे स्वयं कमजोर आ डरपोक हो, ओ संघर्ष करबाक शैली पर पर-उपदेश देत तऽ कतेक कारगर होयत से स्वतः बुझय योग्य बात छैक….. !
आब देखू न… मिथिला आन्दोलन (संघर्ष) कतेक वर्ष सँ चलि रहल अछि, उपलब्धि किछु नहि भेटल – आदि-आदि बात कहनिहार अहाँ केँ सैकड़ों-हजारोंक संख्या मे भेट जायत, मुदा ओ कहनिहार केहेन जे स्वयं कमजोर, बीमार, रुग्ण आ कोढिया जातिक मनुक्ख अछि वैह टा एना कहैत भेटत।
काल्हिये एकटा युवा मैथिली लेखक जोर-जोर सँ झंझारपुर चौक पर हल्ला करय लागल। छाती पीट-पीटकय चिकरय लागल – देखय जाउ, हम ५००० विद्यार्थी केँ कक्षा ९-१० मे मैथिली विषय पढबाक लेल प्रेरित कएलहुँ, मुदा मैथिलीक पोथी उपलब्ध नहि अछि। ई आन्दोलनी सब कि कय रहला अछि…. ई सब झूठे ठकैत छथि। आब जे ओ विद्यार्थी सब फेल हेतैक तेकर जिम्मेवारी के लेत?
काफी रास लोक जुटि गेल ओहि युवा मैथिली लेखकक चिकरब-भोकरब सुनिकय। जेना कलियुगी मिथिला मे होएत छैक, बात बुझलहुँ नहि बुझलहुँ मुदा चिकरनमा-भोकरनमा केँ सान्त्वना देब शुरु कय दैछ। लेखक केँ सब कियो खूब बुझेलकनि, “नहि कानू! नहि चिकरू! नहि भोकरू! बड गहिंरगर गप अहाँ कहलियैक अछि। ई सब आन्दोलनक नाम पर ढोंग करैत छथि।” आब लेखक जखन देखलथि जे बहुत रास लोक हमर समर्थन मे ढोल-नगारा पीटि रहला अछि तखन जा कय आँखि मिरमिरबैत अपन हिंचुकब कम केलनि।
अचानक ओहि बाटे हमहुँ अपन गाड़ी सँ जाएत रही। चौकपर बड पैघ भीड़ जमा भेल देखि कनेक चौंकि ड्राइवर सँ गाड़ी रोकबाक संकेत करैत उतैरकय गपक थाह लेलापर पता चलैत अछि जे फल्लाँ लेखक खूब हाक्रोश पारि-पारि कानि रहल छलाह…. ओ कहि रहल छलाह जे ई मैथिली-मिथिलाक नामपर आन्दोलन चलौनिहार सब बेकूफ बना रहला अछि…. से हुनकहि सभक प्रेरणा सँ ओ हजारों विद्यार्थी केँ मैथिली ऐच्छिक विषय लैत पढबाक लेल आग्रह करैत काज करबेलहुँ… मुदा आब कतेक दिन सँ बेर-बेर पूछैत छियनि जे किताब कतय भेटत त कियो किछु नहि बतबैत छथि, एहि पर चर्चो नहि करैत छथि।
हमर दिमाग मे खटकल ई बात…. अरे! जखन पढाई छैक ऐच्छिक विषयक रूप मे त किताब कतहु नहि हो… लेखक सँ गप करबाक इच्छा भेल। मुदा गपक गंभीरताक थाह लागि गेल छल आर अपन टटका लिखल ‘भगवान् संग साक्षात्कार’ कथा सेहो मोन पड़ि गेल छल…. लेखक केर आगाँ हम ओ कथा राखि देल जे इशारा मे बात बुझि जेता…. लेकिन ओ तऽ कथा पढिते भगवानो पर बरसय लगलाह। कहय लगलाह जे ई केना संभव छैक, हम भगवान् सँ सहमत नहि छी… जँ भगवान् एना कहता त धिक्कार अछि हुनका पर… अर्र-दर्र, अल्ल-बल्ल आ काँउ-काँउ कतेको स्वर मुंह सँ गाज-पोटा सहित निकलय लगलैन। बुझेलाक बादो ओ अपन प्रश्न पर कायम रहलाह। पूछलनि जे पोथीक उपलब्धता लेल आन्दोलनी कि कय रहल छथि।
पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध नहि अछि? ई सवाल अत्यन्त गंभीर छल। हम पूछलियैन जे यदि एहेन बात छैक तऽ एकटा हस्ताक्षर अभियान चलाउ आ किछु विद्यालयक प्रधानाध्यापकक नंबर उपलब्ध कराउ जे हम स्वयं एहि विषय मे किछु वृहत् जानकारी पहिने ग्रहण करी। ओ आब कन्नी काटय लगलाह। कहला जे विद्यार्थी आन्दोलन मे नहि आओत। हम कहलियैन जे अधिकार ओकर हनन भऽ रहलैक अछि आर वैह आन्दोलन मे नहि आओत..? चलू! तखन गार्जियन सब केँ आगाँ लाउ आ करैत छी एकटा अनशन झंझारपुर अनुमंडल मे। फेर ओ कहलैन जे गार्जियन सब अपन बच्चाक भविष्य कोना दाव पर लगेता… ओहो सब नहि औता। अन्त मे कहलियैन जे अहाँ एतय चौक-चौराहापर चिकैर-भोकैर सकैत छी आ हस्ताक्षर नहि करा सकैत छी, लाउ हस्ताक्षर आ सत्यापित करू जे ई बात सच छैक जे मैथिली पोथी कक्षा ९ आर १० केर उपलब्ध नहि अछि। ओ ताहिपर बरबराइत बाजय लगलाह…. हमरा पास एतेक समय नहि अछि जे ई हस्ताक्षर अभियान – सर्वे वगैरह कय सकब। ई सब काज आन्दोलनी करैथ। हम जे कहल ओ सच अछि। हम एहि पर अडिग छी। आन्दोलनी सब बूड़िपना कय रहला अछि जे हमर बेर-बेर कहलोपर एहि दिशा मे डेग नहि बढा रहला अछि। कतबो कहलियैन तैयो ओ एहि बात पर राजी नहि भेलाह जे ओ खाली हावाबाजी आ फूसियेक चिकरब-भोकरब केर अलावे किछु ठोस बात सेहो सोझाँ अनताह।
चेक करय लगलहुँ अपने अन्त मे…. आखिर हिनकर कहब कतेक सच अछि। ओहो पूछने छलाह जे अपनेक पहुँच तऽ बहुत दूर धरि अछि…. खाली किताबक नामे टा कहि दियऽ तऽ बुझब। गूगल महाराज केँ पूछला पर पता लागि गेल तुरन्त जे बिहार टेक्स्टबुक कमिटी जे बिहार केर शिक्षा सामग्री उपलब्ध करेबाक काज करैत अछि तेकर वेबसाइट पर बाकायदा किताब पीडीएफ फाइल मे उपलब्ध अछि। हुनका देखेलियैन, लिंक देलियैन। तखन आब ओ बाजय लगलाह जे “जाउ-जाउ! अहाँकेँ बात करबाक लूरि नहि अछि। अवाच्य कथा सब बेसी बजैत छी। गारि-बात बजनिहार लोक सँ हम कि बात करब!” हमहुँ बुझि गेलहुँ जे ई भानी प्रजातिक मौगा पुरुख छथि, बपजेठीक आदति पड़ि गेल छन्हि। साओनक जन्मल गीदर जेकाँ भादवक बाढि पर समीक्षा लिखयवला लेखक टा छथि। विहनि कथा आदि नीक लिखैत छथि। कथा लेखन धरि हिनकर मस्तिष्क काज करय – एतेक प्रार्थना करैत पुनः अपन गाड़ी मे बैसि ओतय सँ विदाह भेलहुँ।
पाठक लोकनि! कथा कनेक लंबा तऽ छल, लेकिन बुझयवला बात ई छैक जे अहाँ अपन अधिकार लेल संघर्ष करबाक सामर्थ्य विकसित नहि करब तऽ मुट्ठी भैर आन्दोलनी अहाँक कय टा सरोकार पर अहाँक आवाज केँ राज्य पटल पर सोझाँ राखि संघर्ष करता… आर, ओल सन-सन बोल बजबैक आ करनिहारक उत्साह केँ तोड़बाक वीभत्स काज करबैक तऽ भऽ गेल आन्दोलन। अहिना १०० वर्ष एखन बिहारी बनना भेल अछि। आब सौवो नहि मात्र किछु दसक मे अपने मूल भूमिपर दोयम दर्जाक नागरिक बनि जायब से सोचू। सनातन जीबित मिथिलाक राष्ट्रीयता लगभग अन्त दिश आबि गेल अछि। एहने प्रवृत्ति रहत तऽ पश्चाताप तक करबाक समय नहि भेटत।
हरिः हरः!!