हम मैथिल छी, मिथिला मे जन्म हेतु धन्य छी

जनकपुर केर मिथिला शहीदक बचल परिवारक आर्थिक अवस्था दयनीय
मिथिला मे जन्म पेबाक यथार्थ महत्वः मैथिल पहिचानक सार्थकता
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– प्रवीण नारायण चौधरी
 

जनकपुर केर मिथिला शहीदक बचल परिवारक आर्थिक अवस्था दयनीय

क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा – यैह पाँच तत्त्व सँ मनुष्यक निर्माण होएछ।

 
मिथिला मे ई ५ तत्त्व अत्यन्त शुद्ध मानल गेल अछि।
 
उत्तरे-दछिने हिमालय आ गंगाक बीचक भाग आ पूबे-पच्छिमे कोसी आ गंडक केर बीचक भाग थीक मिथिला।
 
एहि स्थल केँ सिद्ध कएनिहार राजा निमि आइयो जिबते छथि, मुदा हमरा-अहाँक आँखिक निमेष यानि पलक जे झपकैत-तकैत अछि ताहि मे।
 
हुनकहि शरीर केँ मंथन सँ जाहि बालक केर जन्म भेल ओ राजा मिथि कहेला।
 
राजा मिथि केर राज्य मिथिलाक्षेत्र सँ प्रसिद्धि पेलक।
 
देह रहितो ओ बिना देहक काज यानि आध्यात्मिक काज पर बेसी जोर दैत रहला, ताहि सँ हुनका विदेह सेहो कहल गेल आर हुनक प्रजा केँ वैदेह ओ वैदेही सँ सेहो जानल जाएत अछि। विदेहक दोसर नाम जनक भेल। जनक एक परंपरा भेला जे एहि सिद्ध-स्थलक राजा कहेला।
 
जनक सिरध्वज राजा द्वारा हलेष्ठि यज्ञ यानि राजा अपने सँ खेत मे हर जोतता त इन्द्रदेव प्रसन्न भ एतय बरखा देता आ अकाल भागत, ताहि हर जोतबाक समय स्वयं जगज्जननी जानकी प्रकट भेलीह, अवतार लेलीह। ताहि सँ हुनक नाम ‘सीता’ यानि हरक अग्र भाग सीत केर कारण सँ पृथ्वीपर अवतार लेबाक लेल सीता भेलनि।
 
एहि माटि-पानि-हवा-आगि-आकास मे जन्म पेनिहार गोलोक (भगवानक धाम) सँ विशेष आशीर्वाद पेलाक बादे जन्म पबैत छथि।
 
एतय एक सँ बढिकय एक तीर्थ – पग-पग पर पोखरि, मन्दिर, फूलबाड़ी, बगीचा, कलम-गाछी, खेत-खरिहान आदि पवित्र स्थान भेटैत अछि।
 
अपन कर्म विदेहक सन्तान वैदेह-वैदेही समान पूर्ण त्यागपूर्ण ढंग सँ करैत जीवन सफल बनाउ, यैह भेल असली मिथिला केर मैथिल समान जीवनधनक सदुपयोग।
 
हरिः हरः!!