विराटनगर, नवम्बर २५, २०१६.
आदरणीय मनोरंजन बाबू,
सादर प्रणाम!
संसारहि केर एक अत्यन्त प्राचीन आ समृद्ध संस्कृति-सभ्यता ‘मिथिला’ केँ भारतीय गणराज्यक संविधान मे राज्यक दर्जा दियेबाक लेल जारी संघर्ष मे ‘मिथिला राज्य निर्माण सेना’ केँ अपन संरक्षण, मार्गदर्शन, नेतृत्व एवं सहयोग लेल जे अपने सँ विनती केने रही ताहि सम्बन्ध मे अपनेक उत्तर प्राप्त भेल। अपनेक उत्तर सँ ज्ञात भेल जे मुहिम सम्बन्ध मे अपने जिज्ञासा रखने छी। सबटा जानकारीक संग फोन नंबर आदिक विवरण मंगने छी। ताहि सन्दर्भ मे हमर ई पत्र अपने केँ संबोधित ई खुल्ला पत्र – सोसल मीडिया मार्फत आरो जिज्ञासू एवं योग्य सज्जन केँ जनतब भेटबाक दृष्टिकोण सँ पठा रहल छी।
१. मिथिला राज्य निर्माण सेना के छी?
मिथिलाक सुयोग्य, सक्षम, सज्जन, समृद्ध आ स्वाभिमानी युवा जे भारत, नेपाल, अमेरिका, आस्ट्रेलिया या कोनो देश मे रहैत-बसैत छथि तिनका सब द्वारा स्थापित एकटा सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक आवरण-उद्देश्यक-लक्ष्य केर संस्था थीक। मिथिला राज्य केँ संवैधानिक दर्जा दियेबाक लेल जनजागरण, आन्दोलन, जनसभा, आदिक आयोजन करब एकर मुख्य दृष्टि छैक। दिल्ली मुख्यालय सँ पंजीकृत ई संस्था राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करबाक आ विभिन्न राज्य मे अपन मैथिल स्वजन – समुदाय (मिथिलाक सब जाति ओ धर्मक लोक) केर हित लेल सामूहिक प्रयास करब एकर दोसर महत्वपूर्ण उद्देश्य छैक। वर्तमान समय मे राजनैतिक अधिकार प्रति जाति-धर्म केर नामपर ध्रुवीकरण केर खिलाफ क्षेत्रक समग्र विकास आ समृद्ध सभ्यताक संरक्षण केर नाराक संग अत्यन्त ऐतिहासिक व पौराणिक सभ्यता ‘मिथिला’ केँ संविधान सँ सम्मानित करायब समयक मांग अछि, अतः मिथिला राज्य निर्माण सेना एकटा अभियान थीक जाहि मे समस्त मिथिलावासी सरोकारवाला थीक।
२. मिथिला केर सीमा कि?
मिथिला कहला सँ डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सनक भाषिक सर्वेक्षण केर आधारपर मैथिलीभाषी क्षेत्रक सीमा केँ मानल गेल अछि। एहि मे वर्तमान बिहार केर कुल २४ टा जिला आ झारखंड केर ६ टा जिला पड़ैत अछि। हाल धरि मिथिला राज्य केर मांग करैत महामहिम राष्ट्रपति धरि जतेक ज्ञापन पत्र सौंपल गेल अछि ताहि मे एहि ३० जिलाक सीमा सहित केर नक्शा आयल अछि। अवस्स किछु आपसी मतभेद सीमांकन पर सेहो अछि। वर्तमान समय मैथिली भाषाक विभिन्न बोली जेना अंगिका, बज्जिका, आदि केँ पूर्ण भाषाक दर्जा भेटबाक मांग तथा भोजपुरी भाषाक अतिक्रमण, झारखंड निर्माणक समय संथाल परगणा केँ आदिवासी क्षेत्रक दर्जा दैत झारखंड मे मिलायब, आदि कतेको कारण सँ सेहो ई आपसी मतभेद सब विद्यमान अछि जे आखिर ‘मिथिला’ केर सीमा यथार्थतः कि होयत। परन्तु, दस्तावेजक आधार आ राज्य निर्माणक आधार केर विगत समयक अनुभव पर प्रामाणिक बात ३० जिलाक अछि। कतहु-कतहु केवल १८ टा जिला आ गंगा सँ उत्तर नेपालक सीमा धरिक क्षेत्र केँ मिथिला कहल-बुझल जाएत अछि। एहि सब तरहक संदेह केँ आरो बल देबाक कार्य बिहार राज्य केर नीतिगत विभाजन नीति सँ सेहो बल भेटल अछि, जेना कि मिथिलांचल सँ दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढी, बेगुसराय, खगड़िया आदि मानब; फेर सहरसा, सुपौल, मधेपुरा केँ कोसी क्षेत्र मानब; फेर अररिया, पुर्णियां, कटिहार केँ सीमांचल मानब – ई सब नहि केवल मानबे टा करब बल्कि सरकारी कोष केर उपयोग कय केँ एहि स्थान सब पर अलग-अलग नाम सँ महोत्सव आदिक आयोजन करबायब, भाषाक बोली केर विविधता सँ जातिवादी उन्माद सेहो पसारब जे मैथिली बाभनक भाषा, मैथिलीक बोली ठेंठी सर्वहारा समाजक भाषा, ई विभिन्न राजनीतिक कूचक्र सँ मिथिलाक्षेत्र केँ छहोंछित राखि अपन सत्तासुख सँ पटनाक गद्दी भोगब – भारतक दिल्ली मे बिहारी सेखी बघारब, बिहारक नामपर छद्म स्वाभिमान केर हावाबाजी सँ अनपढ-निरक्षर लोक जेकरा मजदूर बनि परदेश पलायन केर मजबूरी अछि तेकरा सब केँ पोल्हायब…. सब तरहें मिथिलाक्षेत्र केँ केवल आ केवल राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि लेल उपयोग टा करब, मुदा एतुका समग्र विकास आ शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, कृषि, सड़क, बिजली, पेयजल, उद्योग, आदिपर कोनो महत्वपूर्ण कार्य नहि करब – यैह सब बिहारी फितरत मे मिथिलाक ८०% आबादी केँ भूल-भूलैया मे राखि पटनाक गद्दी संचालन नीति चलैत अछि जाहि मे स्वयं मिथिलाक सेहो नेतृत्वकर्ता ओतबा धन आ जन केर बल सँ लागिकय अपन मातृभूमि, मातृभाषा आ मातृसंस्कार केँ स्वयं बलात्कार करैत छथि। अतः मिथिलाक क्षेत्र केर सही-सही निर्धारण करब मात्र जनक-जानकी केर अंश सँ स्वत्व केर प्राप्ति करब माननिहार लेल सटीक ढंग सँ होएत अछि; सलहेश, लोरिक, दीनाभद्री आदि महान मिथिलाक लोकवीर – महावीर सब सँ जेकरा स्वाभिमान भेटैत छैक वैह टा अपना केँ मिथिलाक मैथिल मानैत अछि। जखन ज्वालामुखीक पूजाकाल पीरबाबा केँ मुर्गाक बलि देबाक लेल आ खुदनेश्वर महादेव केर संस्थापक खुदना मियाँ समान अक्खड़ भक्त लोक केर अंश हिन्दू-मुसलमान एक समान देखैत अछि तखन मिथिलाक होयबाक अनुभूति भेटैत छैक। जखन सिमरिया मे गंगा नहेला सँ शुद्धि आ मगह केर अपवित्रतावाली आस्था मोन पड़ैत छैक तखन ओकरा मिथिलाक बेगूसराय, खगड़िया आदि होयबाक अनुभूति भेटैत छैक। जखन वैशालीक बज्जि संघ मे मिथिलाक योगदान आ विश्वक पहिल गणतंत्र देबाक भान होएत छैक, तखन ओकरा मैथिल स्वाभिमान केर बोध भेटैत छैक। जखन तिरहुत स्टेट आ तिरहुता लिपि केर गहिंर इतिहास सँ अपना केँ सम्मानित पबैत अछि तखन हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, लालगंज, आदिक लोक केँ अपना केँ मैथिल मानबाक आत्मबल भेटैत छैक। एहेन-एहेन कतेको रास बात छैक। दरभंगा-मधुबनी केँ मिथिला मानयवलाक दोख हम एहि लेल नहि दैत छी कियैक तऽ १९६३ ई. मे साहित्य अकादमी मैथिली केँ मान्यता देलक, मुदा एतुका गोटे पंडिजी प्रवृत्तिक महालोभी आ स्वार्थी विद्वान् लोकनि एकरा अपन बपौती बुझिकय मात्र दुइ अथवा गोटेक जिलाक मैथिली लिखनिहार लेल रिजर्व कय केँ बर्बाद कय देलखिन। जखन शिवहर केर सभा मे कियो शिक्षक एहेन तरहक कमजोरीक बोध करौलनि तखन सही मे अपन कपारक केस अपने नोचबाक मोन भेल। मुदा करब कि? आब त बेर अछि जे बीती बात बिसारिये आगे की सुधि लेह। मिथिला राज्य निर्माण सेना सब जिलाक लोक सँ सम्पर्क करैत हालहि एकटा अधिवेशन संपन्न केलक अछि, आर जल्दिये एकर विस्तार सब जिला मे होयत से विश्वास अछि। तोड़ि देबाक अछि ओहि रूढिवादी मानसिकता केँ जे मिथिलाक वृहत् स्वरूप केँ तोडि-फाड़ि छोट करबाक कुत्सित कार्य केलक वा करैत अछि। जनक-जानकीक अंश हिमालय सँ गंगा धरि आ गंगा पार केर संपूर्ण संथाल परगनाक क्षेत्र धरिक लोक केँ हेबाक चाही। जाहि माटि सँ जानकी अवतार लेने छथि ताहि माटि सँ अपन जन्म केँ स्वयं यदि कियो गरियाबैत अछि त ओकरा हम निछच्छ बताह टा कहब। त मिथिलाक क्षेत्र पर कतहु किनको जँ व्यवधान होएतो छन्हि त ओ निश्चित जनमत अनुरूप मिथिला सँ बाहर मानल जा सकैत छथि। मिथिला पाँचो जिला मे बाँचय, मुदा राज्यक रूप मे ई स्थापित हो, ई हमर निजी भावना अछि।
३. मिथिला राज्य लेल गतिविधि आइयो दरभंगहि धरि सीमित कियैक? एखनहु मात्र बाभने-काएथ सब आगू कियैक? ई कहीं बभनपेंच त नहि?
बहुत स्वाभाविक प्रश्न सब उठैत अछि अधिकांश लोकक मन मे – गतिविधि दरभंगहि धरि सीमित अछि, बाभने सब मात्र आगू छथि, सब वर्गक लोक
कियैक नहि जुड़ैत छथि, आदि-आदि। हलाँकि मिथिला राज्य निर्माण सेना शुरुए सँ एहि भ्रान्ति केँ भंग कय चुकल छैक, सब जाति-धर्म-वर्ग केर लोक केँ जोड़ैत आबि रहलैक अछि। लेकिन सच्चाई त ई छहिये जे ‘राज्य’ केर अर्थ ब्राह्मणवर्गहु मे उत्कृष्ट ज्ञानीजन केँ मात्र बुझल अछि, अन्यो जाति-धर्मक लोक जे ओतबे उत्कृष्ट सुशिक्षित आ विवेकशील ज्ञानी छथि निस्सन्देह हुनकहु बुझल अछि। परञ्च ब्राह्मणवर्ग (बाभन, काएथ, राजपूत, भूमिहार, पढल-लिखल सुशिक्षित सब जाति आ धर्मक लोक) जेना अगुवाई करबाक हिम्मत रखैत छथि वैह अगुवाई करबाक दुस्साहस आन वर्ग कोनो लाइन मे एखन धरि जुटा नहि पेला अछि, जेकर गलत फाइदा हुनकहि जातिक मैनजनवर्ग उठा रहल अछि, हुनके लोकनिक वोट सँ गद्दी आरोहण करैत अछि आ हुनके ५ वर्ष धरि लिल्लोह आ उपेक्षित रखैत अछि। मिथिला राज्य निर्माण केर अभियान मे निश्चिते जाहि तरहक युवा केर चर्चा हम ऊपरे मे केने छी, ताहि मे मोटामोटी ब्राह्मणवर्ग आगू छथि, फरक एतबे छैक जे एहि ठाम गैर-ब्राह्मण सेहो ब्राह्मणहि जेकाँ सुशिक्षित, सुसंस्कृत, सद्ज्ञानी, सज्जन, स्वाभिमानी रहबाक कारण ई सब भ्रान्तिक कोनो स्थान अछिये नहि। जे कियो बात बुझथिन ओ सब एहि मे बराबर रूप सँ सहयात्री बनैत छथि। तखन, आर दलीय राजनीति केर ई अभियान नहि थिकैक जे जाति आधारित मैनजन निर्माण करत आ फेर जाहि बातक विरोध करत वैह काज अपन आचरण मे आनत। विदित हो जे सुसंस्कृत हरेक वर्ग केँ ब्राह्मण मानब एकर नीति मे अछि। रहल बात दरभंगा केर अगुवाई – ईहो स्वाभाविके बात छैक जे मिथिलाक सांस्कृतिक राजधानी एकरे मानल जाएत रहल अछि। औद्योगिक राजधानी बेगूसराय आ शैक्षणिक राजधानी मुजफ्फरपुर – जलस्रोतक संपन्न राजधानी सहरसा आ आरो विभिन्न शहर-नगर मे अपन अलग-अलग विशिष्टताक सम्मान छैक। मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा मे, संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा मे आ मैथिलीक गहिंर गतिविधि सब दरभंगा मे, साहित्य, संस्कार आदिक महाभियान सब दरभंगा मे… ताहि हेतु मिथिला राज्य निर्माण सेनाक केन्द्र दरभंगा मे अछि। इच्छा रखैत अछि जे कम सँ कम ५ टा केन्द्र आरो बनय। सहरसा, बेगूसराय, कटिहार, भागलपुर, आ मुजफ्फरपुर! शनैः शनैः सब तैर पहुँची। जँ अहाँ सभक सहयोग भेटैत रहत त ई दिन दूर नहि छैक। बभनपेंचक बात पर हम एतबे कहब जे संख्या-आधारित राज्य शासन प्रणाली मे बाभन सभक पेंच कतेक कारगर रहल अछि से किनको सँ छूपल नहि अछि। उल्टे आइ बाभन समुदाय घरबार छोड़ि-छाड़ि प्रवासपर रहय लेल मजबूर छथि, न हुनकर बच्चा लेल सरकारी रोजगार मे कोनो उल्लेख्य स्थान अछि, नहिये तेहेन कोनो निजी कारोबार सँ अवसरक उपलब्धता अछि आ नहिये बाभन समुदायक लोक लंग सम्पत्तिक अम्बार अछि जेकरा तोड़ि-तोड़ि भजेता आ कि खेता… एतेक तक कि आब ब्राह्मणक बच्चा भिक्षाटन करत तैयो लोक लुल्हुवे करतैक। मिथिला राज्य बनि गेला सँ शासन-संचालन पद्धति मे तानाशाही आबि जेतैक से बात त भारतक संविधान मे कोनो राज्याधिकार मे छहिये नहि, तखन त वैह प्रजातांत्रिक संख्या आधारित बहुमत केर सरकार बनतैक। एहि मे बाभन लेल आरक्षण लगेबाक आ कि सुरक्षित सीट देबाक कोनो पेंच त संविधानक दायरा मे पड़तैक नहि… अतः ई सब बाहियात बात मे माथ खपेबाक आवश्यकता नहि अछि। अपन राज्य केर अपन कोष, अपन राज्य केर अपन सरोकार…. अपन लोक बनत मुख्यमंत्री आ मंत्री आ काज करत केवल मिथिला केर। संसाधनक विकास, स्रोतक स्थापना आ औद्योगिकरण आदि जे ठप्प अछि, ओकरा सब लेल नीतिगत निर्माण कार्य कैल जायत जाहि सँ समृद्धि ओहिना फेरो आओत जे रामायण मे पढैत छी जनकराजक चर्चा मे, इन्द्र मिथिलाक डोमक घर देखि मुग्ध भ गेल छलाह, फेर सँ वैह समृद्धि आओत, ई गारंटी अछि। एतेक तक कि बइमानियो-शैतानी करत त अपने घर – मिथिला राज्य के अन्दरे मे करत। एहि मे पेंच आ ढक देखबाक काज नहि कैल जाय।
४. मिथिला राज्य निर्माण सेना सँ कोना जुड़ू?
मिथिला राज्य निर्माण सेना केर सक्रिय धरातल कार्यकर्ता सँ सम्पर्क करू। एकर यूनिट अहाँक गाम या पंचायत या प्रखंड या जिला – जाहि स्तर पर हो ताहि स्तर पर ठाढ करू। एकर दृष्टिकोण अनुरूप जन-जन केँ जगेबाक लेल ठाम-ठामपर जनसभाक आयोजन करू। नुक्कर नाटक कय केँ हो, गीत गाबिकय सुनाकय हो, जोकरइ कय केँ बताकय हो… जेना हो तेना लोक सब केँ अपन अधिकार प्रति सचेत करू। बिहार राज्य द्वारा दमन केर पोल खोलू। जातिवादी राजनीति सँ केहेन हानि भेल अछि तेकरा बारे सबकेँ जगाउ। मिथिला राज्य बनाउ। अपन सरोकार केर मुद्दा उठाउ। पटना आ दिल्ली धरि कूच करू। मंत्री, जनप्रतिनिधि, प्रशासक, आदिपर कड़ा दृष्टि राखू। एतय सम्पर्क लेल किछु नम्बर दय रहल छी। हिनका सब सँ सम्पर्क करूः
राजेश झा, दरभंगा – ९१६२८८९९३१
सुभाषचन्द्र झा, सहरसाः ९३०४४८७१३६
संजय मंडल, बिठौली – ९९१०६४४८९४
जे कियो जुड़य चाहैथ तिनका स्वागत करू। हुनकर नम्बर एक दोसर सँ शेयर करू। आपस मे बात – संवाद करय जाउ। आर, एहि तरहें ‘जय मिथिला – जय जानकी’ केर नाराक संग मिथिला राज्य हेतु आवाज बुलन्द करू।
अन्त मे, हमर किछु खास आग्रह रहतः कखनहु बलजोरी एहि मुहिम मे सहभागी नहि बनब। जँ हृदय सँ जानकी केर पुकार सुनय मे आबय तखनहि आगू आबि अपन योगदान देबाक लेल एहि मुहिम मे जुड़ि जायब। ई मुहिम जतबे आधिभौतिक छैक ओतबे आधिदैविक आ आध्यात्मिक सेहो छैक। एकरा मे सदिखन तन-मन-धन सँ जुड़बाक अछि। भूखल पेटे आन्दोलन नहि होएत छैक। ई त स्वयं जगज्जननीक काज थीक, एहि मे सदिखन सब साधन ओ अपने जुटबैत छथिन आ सदैव सुरक्षा सेहो वैह दैत छथिन। कथमपि मिथ्याचारी आ आडंबरी कार्य नहि करब जे अपन छाया अपने सोझाँ ठाढ भऽ कय अहीं केँ खंजर भोंकिकय अन्त कय दियय।
किछु अपाटक फूकास्टर सेहो लागल रहैत अछि, ओकरो लौल छैक जे ओहो मिथिला बनायत। एक तरहें ई खूब नीक बात भेल। लेकिन ओकर अपाटकपंथ आ फूकास्टिंग सँ ई आन्दोलन कतहु न कतहु बदनामी सेहो पबैत छैक। मुदा अहाँ घबरायब नहि…. ओकर पहिचान हम निम्न रूप मे दय दैत छी।
*जहाँ अहाँक नाम हम सार्वजनिक करब, आ कि ओ एलर्ट भ अहाँ केँ लालीपप चूसाबय लागत। अर्थात् ओ चुगलइ शुरु करत। ओकर फोन, मैसेज, आदि अहाँ लग एनाय शुरु भऽ जायत। अहाँ सावधान भऽ जायब, ओकर पहिचान कय लेब।
*जँ फेसबुक पर या व्हाट्सअप पर छी त ओकर प्रोफाइल नीक सँ चेक करब। छींटपंथ यानि छः महीना मे छः तरहक घोषणा करत, काज एकोटा कूथि-पादिकय कय लियय त जय-जय बुझू।
*ओ एकजुट बनबाक उपदेश खूब देत, मुदा ओ स्वयं पहिले फूटबाक कूकार्य करय सँ नहि चूकत।
*बेसीकाल हिन्दिये झाड़त…. अपन निजी मान-सम्मान आ पद लेल बेहाल रहत। कखनहु ‘मैंने यूँ मारा…’ लिखत, कखनहु ‘आज फन्ने खाँ से मिला…’, मतलब जे १०० गो मे ९५ गो व्यक्तिवादी बात मे उलझत आ टैग कय-कय केँ ‘देख-देख मोरा कोहुना देख’ कहत। अपन नाम दोसर सँ लिखबायत। अनेक प्रपंच मे हरदम बेहाल रहत। रातिकय सुतयकाल मे सेहो भाषण दैते रहत।
अस्तु! उम्मीद अछि जे हमर पत्र अहाँक शंका समाधान करबाक संग-संग असली अभिप्राय आ कार्य करबाक अवधारणा स्पष्ट कएने हैत।
विशेष शुभ हो!!
अहाँक विश्वासी,
प्रवीण नारायण चौधरी
पुनश्चः हम बाहर रहैत छी। मुदा अपन सर्वस्व ओहि सब व्यक्ति लेल निछाबर करैत छी जे जमीन पर जानकीक एहि सुन्दर कार्य केँ निष्पादन कय रहला अछि। हमर काज मात्र आर्थिक व वैचारिक योगदान करब आ करबायब अछि। संगहि, मूल कार्यसमिति केँ जखन जे काज पड़ैत छन्हि से अपन बेस्ट पोसेसंस सँ दैत रहैत छियनि। बाकी, सब काज भगवतीक प्रेरणा सँ होएत छैक। हम सब शरणागत भक्त मात्र छी। सुरक्षाक बन्दोवस्त हुनकहि टा पर! जय मिथिला – जय जानकी!
ले जान – कि – दे जान!!
हरिः हरः!!