भरदुतिया पर बेटीक विलाप – मैथिली गीत

भ्ररदुतिया पर बेटीक विलाप

– विमल जी मिश्र, सुपौल (वर्तमानः दिल्ली)

dowry-protestबेटा केँ मोह मे कियै चढबै छी चाप यौ,
बेटी जनम केँ बाबू बुझियौ नै पाप यौ!
 
लागत कलंक झुकत माथा केर पाग यौ,
बेटी जनम केँ कियै बुझै छी श्राप यौ!
 
अँगना सजा कय बेटी, मंदिर बनाबै य,
देवि केर रूप धिया मन हर्षाबै य!
अहीं केर करेजक टुकड़ा,
करु नै संताप यौ!
बेटी जनम केँ कियै……
 
करत के तुलसी पुजा, अड़िपन के काढत,
डोली मे चढि कय भैया कहिकय के कानत,
राखी भरदुतिया केर राखत के लाज यौ!
बेटी जनम केँ कियै……
 
अपना ल सोचै किछु नहि, जिनगी बिताबै य,
सासुर मे दुनू कुलके मान बढाबै य,
बनि कय ई धरनी सीता रहै चुपचाप यौ!
बेटी जनम केँ कियै……
 
कन्या केर दान एहेन आन नहि दान यौ,
हम नै कहै छी ई सब लिखल वेद पुराण यौ,
बनिकेँ अभागल कियै करै छी संताप यौ!
बेटी जनम केँ कियै…..
 
पापी दहेजक पहिऩे कलंक केँ मिटाबु,
जागु यौ मैथिल जागु मुँह नै छिपाबु,
हाथ जोड़ि कहै विमल सुनियो बिलाप यौ!
बेटी जनम केँ कियै …..