व्यंग्य प्रसंग
एक बेर मुसरी हाथी केँ ४-५ बेर उठक बैठक करा देलकैक……
बात रहैक जे कोनो पुरान सनक ५ सितारा होटलकेर बार के कालीन तर मे रहयवला मुसरी कोनो गेस्ट द्वारा लेल गेल व्हिसकीक गिलास अपने पीलाक बाद कनी छोड़ि गेलापर ओ मुसरी चुटुर-चुटुर पीब लैत अछि आ ओकरा वैह बेसी भऽ जाएत छैक। ओतय सँ ओ मस्त हवा खेबाक लेल बाहर निकैल पड़ैत अछि, आ एम्हर-ओम्हर घूमि शहरक बीचोबीच रानी पोखरि पर जाय ओतय राजाक हाथी केँ नहाएत देखि ओकरा जोर सँ आवाज दय केँ ‘कम हेयर’ कहैत बजेलक… आ तेकर बाद…. हाथियो ओकर मूड देखि मजा लेबाक लेल नजदीक अबैत छैक आ फेर मुसरी,
“सीट डाउन”
हाथी बैसि जाएत छैक… तखन फेर मुसरी,
“स्टैन्ड अप”
हाथी ठाढ भऽ जाएत छैक… तखन फेर मुसरी,
“सीट डाउन”
एना दु-चारि बेर हाथीकेँ उठक-भैठक करेलाक बाद फेर मुसरी,
“यू नो, हम तोरा किया एना उठा-बैठा रहल छियौक?”
तऽ हाथी पूछैत छैक जे कियैक सरकार… तखन फेर मुसरी…
“अरे, एक्चुअली, हमहुँ दिन मे एतय नहाय लेल आयल रही…. अपन जंघिया एतय बिसैर गेल रही कपड़ा बदलबाक बाद… वैह चेक कय रहल छलियौक जे कहीं तूँ हमर जंघिया तऽ नहि पहिरि लेलें!!”
हाथी केँ हँसी लागि गेलैक, त फेर मुसरी…
“अरे, तोरा हँसी लगैत छौक? कहियो हमरे जेकाँ तहुँ पीब लेमे तखन पता चलतौक जे तोरा सन-सन कतेक केँ हम पैदा केने छी।”
फेर दुनू हँसैत अपन घर दिस विदाह भेल।
खिस्सा खतम – पैसा हजम!!