मैथिली लेखन सँ कि आ कोना उपार्जन करब?

विचार आलेख

– प्रवीण नारायण चौधरी

maithili jindabaadफेसबुक-व्हाट्सअप एखन सर्वाधिक सुलभ चैनल अछि जाहि पर मैथिली लेखन, पठन आ अध्ययन आदि सहजे भेट जाएत अछि। सब उमेर केर स्रष्टा आ पाठक सबहक दर्शन एहि चैनल सब पर होएत अछि। युवा मैथिल मे सेहो लेखन प्रति आकर्षण बढि रहल अछि। एहने समय एक युवा लेखक केर मोन मे दुविधा अबैत अछि, ओ पूछि बैसैत छथिः

लागातार मैथिली मे गीत कविता लिखैत रहनाय एगो लाईक कोमेंट के लेल भरि दिन फेसबूक दिस ताकैत रहनाय एकरा पाछु अपन समय धन आ शक्ति के बरबाद करैत रहनाए उचित? एहि सँ की हांसिल? एक साल सँ लागातर अंतर जाल (इन्टरनेट) सॅ जुरल रहलौं बहुते मित्र बनला किछू गीत रिकॉर्ड सेहो भेल हमर लिखल हमरा की हांसिल भेल या हात? खलि नाम! हौ बाबू नाम सँ की पेट भरलैया? अहि सँ (मैथिली लेखन)कीछू उपार्जन छै? यदि नै तॅ किया हम अपन जीबनक बहुमूल्य समय बर्बाद करी??।हमर किछू सवाल तेकर जबाब चाहै छी जॅ द सकी आ पथ प्रदर्शित क सकी त हम निरंतर लिखैत रहब नै थ काल्हि हमर किछू अंतिम पोस्ट आओत तकर बाद हम अपन भावट समेटि लेब।धन्यवाद अहीं सभक ‪#‎सुबोध‬

हुनका संबोधित करैत एकटा सामान्य सरोकारक विषय मानि एना कहल गेल अछिः
मतलब जे उपार्जन मैथिली लेखन सँ छैक – ताहि पर अहाँ दिशा-निर्देश चाहि रहल छी…. आ कि बस कमेन्ट केर संख्या बढेबाक ध्येय सँ ई प्रश्न रखलहुँ अछि…. दुनू बात लेल किछु बात एना बुझूः
 
१. मैथिली लेखन लेल अहाँ केँ प्रेरित के केलक? कियो आर या अपने आप? जँ कियो आर केलक तऽ ओकरा कहू जे ओ एहि काजक बदला किछु पाइ केर जोगार कय देत। जँ अपने आप प्रेरित होएत ई काज शुरु केलहुँ तऽ अपना आप केँ व्यवसायिक लेखक बनाउ आ अपन रचना प्रकाशन करैत ओहि सँ पाइ कमेबाक सेहो कार्य करू। यथाः एल्बम लेल गीतकारक काज कएलहुँ तऽ एल्बमक कमाइ मे अपन हिस्सा तय करू। कोनो पत्र-पत्रिका लेल पत्रकारिता केलहुँ तऽ ओहि लेल पारिश्रमिक कोना भेटत से काज करू। जँ पोथी प्रकाशित केलहुँ तऽ पोथी कोना बिकायत ताहि लेल परिश्रम करू।
 
२. मैथिली भाषा मे निरंतर लेखन करैत रहला सँ अहाँक अपन व्यक्तित्व मे क्रमशः पूर्णता अबैत जायत। जेकर परिणाम अहाँ कोनो क्षेत्र मे कियैक नहि जीविकोपार्जन करी, एकटा अलग प्रतिष्ठा अहाँ केँ भेटैत रहत। एकटा इतिहास बनैत देखाएत रहत। लेखनकला मे जतेक माहिर बनब, अहाँक नाम ओतबे चमकैत जायत। पृथ्वी पर जन्म लेबाक सार्थकता बढैत जायत। हतोत्साह तऽ दूर-दूर धरि नजरियो नहि आओत। जतय कतहु जाएब, समाज मे अहाँक सम्मान आर सब सँ भिन्न एकटा उच्च परिष्कृत लेखक यानि विद्वानक रूप मे होएत रहत। बुझले होयत, राजाक पूजा देश भरि होएत छैक, मुदा विद्वानक पूजा सर्वत्र होएत छैक।
 
३. मैथिली लेखन मे किछु खासियत आनू, बाजार मे मांग अनुरूप आपूर्ति करबाक कला सिखैत मैथिली लेखन करब तऽ फायदा नजैर पर तुरन्त आयत। लाइक आ कमेन्ट समान छुद्र उपलब्धि लेल कदापि नहि लिखू! लिखबाक पाछाँ महान उद्देश्य समाज कल्याण, देश हित, मानवताक संरक्षण, आध्यात्मिक चेतनाक जागरण, सौहार्द्र-सद्भावना बढाएब, पर्यावरणक रक्षा हितार्थ, स्वास्थ्य सम्बन्धी विषय, सामान्य ज्ञान बढेबाक लेल छात्रोपयोगी लेखन… बहुत तरहक विधा सब छैक। एहेन विधाक चुनाव करू आ तेकर स्वयं प्रचारो करू जाहि सँ बाजार नहियो छैक तऽ बनैक आ अहाँक लिखल बातक उपयोगिता व्यवसाय मे परिणति पाबय। एहि तरहें अहाँक लेखन कार्य स्वतः जीविकोपार्जन लेल आ प्रकाशनादि लेल समुचित कमाय देत। साधनक प्रचुरता सँ कार्य करबाक लगन आरो बढत।
 
याद रहयः छद्म आ छुद्र उपलब्धि लेल अपन समय बेसी खर्च कएला सँ हतोत्साहक अवस्था बनत। अंग्रेजी मे फ्रस्ट्रेसन आ डिप्रेशन आदि नाम लेल जाएत छैक, एकर शिकार बनि जायब। – अर्थात् जाहि उपलब्धिक असैर कनेक समय लेल रहय आ बाद मे फेर ओकर नामोनिशान नहि रहि जाए…. उदाहरण लेल फेसबुक पर पश्चिम सभ्यता सँ भयानक संक्रमणकारी विचार – स्टेटस मार्फत अपन वर्तमान अवस्था मे हगनाय-मुतनाय आ किछु अन्य गोपनीय बात छोड़ि सब किछु लिखैत दिन भरि मे सत्रह गो बात बनायब…. आ ताहि पर आरो लोकक ध्यान आकर्षित होइक तेहेन-तेहेन खेला-वेला मे लागब…. चुटकुला, फकरा, निरर्थक खिस्सा-पिहानी आदि सेहो एहि वर्ग मे अबैत छैक, मुदा साहित्यक विधा रहबाक कारणे एकर संकलन बड काजक सेहो होएत छैक। मैथिली लेल सदा आत्मीयता सँ कार्य करू। मैथिली जिन्दाबाद – अहाँक सेहो जिन्दाबाद!!
हरिः हरः!!