दहेज केकरा कहब?

विचार आलेखः दहेज केकरा कहब…?

– प्रकाश कमती, मुम्बई सँ (मूल ग्रामः तरौनी, जिलाः दरभंगा)

amsm dmm2किछुए दिन पहिने बटुकनाथ बाबू अपन कन्याक शुभविवाह तय केलनि। हालाँकि बटुकनाथ बाबू ‘दहेज मुक्त मिथिला’ दहेज विरोधी संस्था सँ प्रभावित भए निश्चय कएने रहथि जे जहिया करब हमहूँ अपन कन्याक विवाह दहेज मुक्त करब, आदर्श करब, बिनु माँगक करब आ तहिये शपथ सेहो लेने छलाह। बटुकबाबु एकटा सामाजिक लोक संगहि सुन्नर समाजसेवी सेहो छलाह। धन, वैभव, यश सँ संपन्न लोक छलथि आ तैं वर पक्षक बिनु माँगक बादो अपन स्वेच्छा सँ यथासंभव आशीर्वाद रूपी भिन्न-भिन्न सामान संगहि जमाईबाबू केर गाड़ी देबाक निश्चय केलनि।

आब इ बात बटुकबाबु केर पड़ोसी मोतीबाबू केर देखल नहि गेलनि आ ओ साँझ-भिनसर, रात्रि-दिन, जहिं-तइं बटुकबाबुक इ बात केर चर्चा परोसै लगलाह इह्ह् फलाँ बाबू तs कहैत छलखिन जे हम तs अपन बेटीक विवाह आदर्शे करब, हम तs दहेजक खिलाफ छी, तखन इ ढाकी भरि-भरि समान आ जमाई बाबूक पसिन्न केर गाड़ी जे देलखिन हन ओ कि दहेज नहि भेलै तs कि भेलैक….? आब तs विवाह बटुकबाबुक कन्या केर आ परेशान मोतीबाबू रहै लगलाह।

एकदिन मोतीबाबू हटिया पर सँ आबैत छलाह अचानक रास्ता में हूनके गामक भैरव भेंट भए गेलनि। हिनका फेर वैह बटुकबाबु केर गप भीतरे सँ टीस मारलकैन, किछु काल सोचलाह आ फेर भैरव के हाँक देलनि, हौ भैरव….हौ भैरव……..धुर सुनह् एम्हर..! भैरव देखलक आ बाजल कि यौ मोतीबाबू कि कोना छी…कहल जाऊ कि बात….? मोतीबाबू फेर वैह सोचलाहा भीतरका टीस बाहर करैत भैरव संग चर्चा करै लगलाह। अपने भैरव सेहो बचपने सँ छट्ठू आ होशियार लोक छल। मोतीबाबूक पूरा खिस्सा सुनि लेलाक बाद जखन बर्दाश्त सँ फाजिल भए गेलैक तखन खिसियाकए बाजल…धुर चुप्प रहु महाराज…यौ जी दहेज केकरा कहैत छैक से बुझलो अछि आ कि अहिना अपन कपार नोचैत छी….? नहि अछि बुझल तs लीय सुनु, दहेज ओ भेलैक जे वर पक्ष द्वारा कन्या पक्ष पर दबाव बनाकए लेल जाएत छैक। दहेज ओकरा कहल जाएत छैक जाहि कारण कन्या अपन जीवन केर अभिशाप मानैत छैक। दहेज वरपक्षक ओहि माँग केर कहल जाएत छैक जेकर पुर्ति में असमर्थ पिता अपन बेटी सँ मुँह चोरा असगर में बफाइर तोरिकए कानैत रहैत छैक आ जखन एहि सब बातक भनक कन्या के लगैत छैक तखन ओ अपन देहत्याग करब उचित बुझि सदा केर लेल आँखि मुईन लएत छैक, आ एकटा अहाँ छी जे लोकक खुशी देखल नहि जाएत अछि। यौ जी बटुकबाबु जे अपन कन्याक विवाह कए रहलाह हन से तs आदर्श विवाह छैक आ इ बात तs जगजाहिर छैक। बटुकबाबू तs अपने कतेको ठाम एही बातक चर्चा सेहो कएलनि छथि। आब जौं ओ अपन बेटीक विवाह में अपन जमाई केर फोर व्हीलर देथुन या हीरो-हौंडा इ तs आशीर्वाद रूपी भेलैक ने यौ आ तकरा अहाँ दहेज कहैत छियैक। यौ जी महाराज भगवान बटुकबाबुये जेना धन-संपत्ति सबकेर देथुन जे सबकियो अपन बेटी केर विदाई धन-धान्य संग अहिना खुशी-खुशी विदा करथि। जे कुनो वर पक्ष कुनो कन्यागत लन माँगक दबाव तs दूर एकबेर बजबाक कोशिशो नहि करताह। आय जांय बटुकबाबु के मैया जानकी भरल-पुरल रखने छन्हि तैं ने अतेक स्नेहरूपी सम्पति आशीर्वादक मदे अपन बेटी केर खुशी-खुशी देबाक सामर्थ्य केलनि।

भैरव तामश सँ पिताइल मोतीबाबू पर बरैस रहल छल आ मोतीबाबू मुँह उठाकए एक्कहु बेर तकबाक प्रयतन्नो नहि कए पाबि रहल छलाह।

निवेदन सूचनार्थ :- उपरोक्त लेख मात्र एकटा दहेज सँ परिचित करेबाक कोशिश अछि। अहि लेख में उपयोग कएल गेल नामक संज्ञा किनको ऊपर कटाक्ष नहि मानल जाय।