दहेज प्रथा नीक आ कि बेजाय – स्वयं मनन करूः प्रकाश कमतीक आलेख

बेटी दिवस आ दहेज प्रथा
 
– प्रकाश कमती, तरौणी, दरभंगा
 
dmm posterदहेज प्रथा मिथिले टा नहि बल्कि सम्पूर्ण भारतीय समाजक हेतु एक अभिशाप थिक। दहेज प्रथा कारणे समाज में कतेक रास दुर्गुण आबि गेल अछि। वर्तमान समय में इ लाईलाज रोग भयंकर महामारीक समान बढ़ल चलि जा रहल अछि। समाज में कन्याक जन्म अभिशाप भए गेल अछि। कन्याक पिता होएब एखन बुझि पड़ैछ जेना पूर्व जन्मक कोनो संचित पापक प्रतिफल होए।
किछु लोकक कहब अछि जे दहेज प्रथाक प्रचलन पुरातन काल सँ चलि आबि रहल अछि। पुत्रीक पर्याय ‘दूहिता’ शब्दक अर्थ सँ ज्ञात होईत अछि जे वैदिक काल में पिता अपन पुत्री के विवाहक अवसर पर प्रचुर धन दैत छलाह। पार्वती केर विवाह भेला पर हिमवान हुनका सुवर्ण आदि दहेज देलनि। मिथिलाक नरेश राजा जनक सेहो अपन कन्या सीता केर विदाइक अवसर पर सम्पति दहेज देलनि। स्वर्ण, वस्त्र, मणि आदि रथ में भरि-भरि कs अयोध्या पठाओल गेल छल। सम्पन्न माय-बाप विवाहक पश्चात विदाइक समय स्वेच्छा सँ प्रचुर दहेज दैत छलखिन जखन कि आजुक समय में कन्या पक्षक दिश सँ वर पक्ष के मुँह माँगल दहेज देने बिनु कन्याक विवाह नै भs सकैत अछि। तैं ओहि समयक दहेजक तुलना आजुक परिस्थितिक संग समानता करब अज्ञानता थिक।
 
आय उच्चवर्गक कोन कथा साधारण आ मध्यम वर्गक सेहो अहि कुप्रथाक शिकार भs रहल अछि। विवाह सँ पूर्वहिं द्रव्य आदि लs लेल जाइछ। आय बेटा के मनुष्य नहि बल्कि बरद जकाँ मोल-जोल होईत अछि। विवाह पूर्वहिं टीवी, फ्रीज, गोदरेजक आलमारी तक केर शर्त मंजूर करबा लेल जाईत अछि। कन्याक पिताक जीवन जीवते नारकीय भs जाईत अछि। कन्या अपन भाग्य के कोसैत रहैत अछि। कन्या भले रूप-गुण, कला-कौशल सम्पन्न रहैत छथि मुदा जौं हुनक पिताक अर्थ नहि छैक तs हुनका देखै वला कियो नै अछि। अंततोगत्वा कतेको रास कन्या आत्महत्या एहन कदम उठौबैत छथि। अपन परिवारिक स्थिति केर अनुभवक सहनशक्ति हुनका में छिन्न भs जाईत छन्हि आ यैह कारण ओ अपन देह त्याग करब उचित बुझैत छथि। दहेजक डरसँ कन्याकेँ जन्म लैतहि नोन चटाकए दिवंगत कs देलि जाइछ। बाल विवाह, अनमेल विवाह सभ एकरहि परिणाम थिक।
 
एहि सामाजिक कुरीति के दूर करबाक दिशा में पहिलहुँ पर्याप्त प्रयास कएल गेल अछि। सरकार दहेज के अवैध घोषित कयलक अछि। दहेज लेनिहार दण्डित होयताह, दहेज देनिहार के नौकरी वा अन्य सरकारी सुविधा सँ वंचित कैल जाय जकरा हेतु जनसहयोग अपेक्षित अछि। कन्या के धनोपार्जन योग्य बनाओल जाए। प्रेम विवाह एवं अंतर्जातीय विवाह के प्रोत्साहन कैल जाय, उपहार व लेनदेन के समाप्त कैल जाय। अनेको साहित्यकार एवं कवि लोकैन अपन कथा, लेख व कविताक माध्यम सँ दहेजक विरोध आ अहि केर बुराई कयलनि अछि मुदा तैयो परिस्थिति जस के तस बुझना जाइछ। हाँ किछु वर्ष सँ विभिन्न जागरूकता अभियान एवं अपील केर माध्यम सँ अहि में महामारीक वृद्धि में लगाम जरूर लागल अछि। तैयो जाबत युवा वर्ग अहि प्रथाक विरोध में आगाँ नै औताह ताबत दहेज पर पूर्ण विराम लगौनाय कठिन अछि।
dmm appealअतः हे मैथिल समाजक कर्णधार सपूत आ कन्या सब अपनेक सबगोटेक सँ यैह अपील अछि जे सब कियो एक संग एक्कहि स्वर में दहेजक प्रतिकार करैक लेल संकल्पित होऊ। नारी शिक्षा पर विशेष ध्यानाकर्षण होई संगहि बेटीक रक्षाक जिम्मेदारी के निभाऊ।
 
(लेखक दहेज मुक्त मिथिला अभियान केर महाराष्ट्र युनिट केर प्रवक्ता सेहो छथि)