– अजित आजाद
कियो बचाबय चाहैत छथि पाग
कियो ताग
कियो साग
कियो बचाबय चाहैत छथि फाग
कियो दाग
कियो भाग
कियो बचाबय चाहैत छथि काग
कियो छाग
कियो नाग
हम बचाबय चाहैत छी राग
कियो जँ बचाबय चाहैत छथि किछु
बचबय दियनु हुनका
जुनि दियनु उपराग
अपनाकेँ बचबय लेल
बचबय पड़तनि सभकेँ
किछु ने किछु
तखन एहि मे
उपरौंझ कियैक
कुकरौंझ कियैक।
संपादकीय नोटः
वर्तमान परिदृश्य एहेन अछि जे दिल्ली देशक राजधानी मे किछु इनोवेटिव पर्सनालिटीज (अभिनव व्यक्तित्व) मैथिल बंधु द्वारा ‘पाग बचाउ’ – सेव द पाग – अभियान केर परिचालन आरम्भ कैल गेल अछि। जेना सदिखन होएत रहल अछि अपन मिथिला मे, अपने कियो तेहने इनोवेटिव एफर्ट्स (अभिनव प्रयास) करी वा नहि करी, मुदा दोसर केलक तऽ ओहि पर टीका-टिप्पणी करब बिना कोनो देरी केने आ अपन-अपन बौद्धिक क्षमताक जोतनाइ आरम्भ कय देब… कतेको प्रकार तर्क, कूतर्क, वितर्क आदि होयब हमरा लोकनिक विद्वत् समाजक प्रापर्टीज (गुणधर्म) रहल अछि। तहिना दिल्ली मे ‘पाग बचाउ’ अभियान केर परिणाम अत्यन्त शुभकारी भेल अछि जे लगभग हर जुबान पर एक्कहि टा चर्चा होमय लागल अछि।
किछु लोक पाग केर वृहत् अर्थ सँ नगण्य परिचित एकरा मुरेट्ठा सँ अलग मानि एकर राजनीतिक प्रभाव आ मिथिला निर्माण मे सहायक नहि होयबाक कारण आदि सेहो देखि रहला अछि। हुनकर मानब छन्हि जे पाग भेल उच्चवर्चक सिरस्त्राण आ मुरेट्ठा भेल पिछड़लवर्गक माथक शोभा… यानि वैह पुरान बात एत्तहु आबि गेल। बाभन आ सोल्हकन! तऽ तर्क दैत छथिन, बाभन व अन्य समकक्षी उच्चवर्ग जेना कायस्थ वा राजपुत आदि जे संख्याबल मे न्यून आर मात्र कलमजीवी छथि तिनका सब सँ मिथिला निर्माण कार्य नहि भऽ सकल करीब सात दसक मे, तऽ कियैक न आब मुरेट्ठाधारी केर मुरेट्ठा बचाउ अभियान चलय जाहि सँ हुनका सब मे अपन मिथिला प्रति सजगता बढत। भाइ! बात बेजा तऽ नहि कहि रहला अछि। मिथिला निर्माण मे पाग हो वा मुरेट्ठा… निर्माणकार्य संपन्न हो, यैह लक्ष्य छैक। मुदा एना पाग आ मुरेट्ठा मे कटौझ-कुकरौंझ हो तखन फेर एकटा कवि मन शान्त कोना रहत। तऽ देख लेल जाउ! आदरणीय अजित आजाद केर कलम सँ जे निकलल अछि, ओ बड संछेप मे बहुत पैघ संदेश दय रहल अछि। बुझनिहार लेल इशारा काफी!!
हरिः हरः!!