विधा : मैथिली आ हिन्दीक साहित्यकार आ समालोचक
जन्म : अपन मातृक बिहार प्रांतक बेगूसराय जिलाक मालीपुर गाँव मे ११ दिसंबर १९७३ केँ भेल.
पिता :स्वर्गीय काली कान्त झा बूच ( मैथिली साहित्यक चर्चित गीतकार )
पैतृक गाँव : बिहार प्रान्तक समस्तीपुर जिलाक रोसड़ा अनुमंडल अवस्थित प्रसिद्ध गाँव करियन ( दार्शनिक उदयनाचार्यक जन्म भूमि ) .
शिक्षा : स्नातक प्रतिष्ठा, स्नातकोत्तर, सूचना- प्राद्यौगिकी :
साहित्यिक परिचय : सदस्य, “साहित्य प्रकोष्ठ” मिथिला सांस्कृतिक परिषद जमशेदपुर, पूर्व सहायक संपादक विदेह मैथिली पत्रिका (अवैतनिक ) : सम्प्रति कार्यकारी संपादक, अप्पन मिथिला ( मुंबई से प्रकाशित मैथिली मासिक पत्रिका ) मे अवैतनिक कार्यकारी संपादक. हिन्दीक चर्चित अंतर्जाल न्यूज़ पोर्टल ” इंटरनेशनल न्यूज़ आ व्यूज कॉरपोरेशन” केर सलाहकार . साहित्य अकादेमी भारत सरकार केर बाल साहित्य विषयक संगोष्ठी मे सहभागिता .
पुरस्कार / सम्मान :
मिथिला विभूति सम्मान ( मिथिला सांस्कृतिक परिषद् , जमशेदपुर २०१५ )
साहित्यिक उपलब्धि :
प्रकाशित कृति
१ अंशु : मैथिली समालोचना ( 2013 AD श्रुति प्रकाशन नई दिल्ली
२ क्षणप्रभा : मैथिली काव्य संकलन (2013 AD श्रुति प्रकाशन नई दिल्ली )
अप्रकाशित कृति :
१ सुधि प्रभंजन : मैथिली काव्य संग्रह
२ दृष्टि : मैथिली आलोचना और आलेख
३ आत्म उच्छ्वास : हिन्दी काव्य संकलन
सम्प्रति :जमशेदपुर मे टाटा मोटर्स केर अधिशासी संस्था जे एम . ए. स्टोर्स लिमिटेड मे महाप्रबंधक पद पर कार्यरत .
स्थायी पता : ग्राम + पोस्ट : करियन
प्रखंड : शिवाजी नगर
भाया : इल्मासनगर
जिला : समस्तीपुर : ८४८११७ ( बिहार )
अधिवास : कलाकुंज, रोड नंबर , ०३, आदर्श नगर , समस्तीपुर : ८४८१०१
वर्तमान पता :
शिव कुमार झा
जे. एम . ए. स्टोर्स लिमिटेड
मैन रोड बिस्टुपुर
जमशेदपुर : ८३१००१
# ०९२०४०५८४०३
इ-मेल : [email protected]
अपन निरंतर लेखनी आर साहित्यिक-सामाजिक अभियान सँ मैथिली-मिथिलाक उद्देश्य प्रति चिन्तन-मननक संग स्वयंसेवा मे लागल स्रष्टा – सामाजिक संजाल पर अपन सक्रिय उपस्थिति सँ वर्तमान मैथिली डिजिटल युग केर बड पैघ योगदानकर्ता शिव कुमार झा टिल्लू केर कतेको रचना पर एल्बम सेहो प्रकाशन कैल जा चुकल अछि।
मैथिली महायात्रा – जमशेदपुर – ठीक औझके दिन २०१५ मे अपन सुमधुर भैरवि वंदनाक गान संग अपन सारगर्वित विचार रखने छलाह। मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरी संग चीर-परिचित रहबाक संग सदैव सहयोग लेल तत्पर स्रष्टा शिव कुमार भाइ केर किछु रचना ‘मिथिला गाबय गीत’ शीर्षक सँ एतय प्रकाशित कैल जा रहल अछि। आशा करैत छी जे मैथिली साहित्य जगत् मे आदरणीय शिव कुमार भाइ केर योगदान सतति बनल रहत आर जगज्जननी सियाक दहिन दृष्टि हिनका सहित सब स्रष्टा पर बनल रहत।
(१)
धनुष भङ्ग ( गीत )
बहल विदेह भाव नोर कि धनुखा टूटल हे
सखि हे तड़ित सनक सुनि शोर जागल जग सूतल हे
ठोर ठोर उपटल रागिनी संगत कुंतल हे
सखि हे सिया हाथ अड़हुल माल पिरीत रस गूथल हे
भेल मायमोन विभोर कि रीति जल छलकल हे
सखि हे महमह जनकक धाम ई मिथिला कलकल हे
भेल अछि शिव परिहास ककर अंत आयल हे
सखि हे क्षणहि स्वयंवर शांत परशु तमसायल हे
चीन्हि रघुनन्दन रूप भेलथि ऋषि गदगद हे
सखि हे अद्भुत पालक रूप परशु हाथ हरिपद हे
मैथिली उर चित विस्मित अतुलित सहचर हे
सखि हे उमा माय देलनि नाथ जनिक नहि परतर हे
(२)
जनकक राज महान !
जत’ कविकोकिल गीतक सदिखन तान
ओ अछि मिथिला जनकक राज महान !
जत’ पाहुन पाबथि हियसँ सम्मान
ओ अछि मिथिला जनकक राज महान !
जकर माटिकेँ माँथ लगाक’ रघुवर कयलनि जतरा
औ रघुवर कयलनि जतरा
कीर मधुर देवबोल बँचै छै डाकक वचने पतरा
औ डाकक वचने पतरा
भोरुक सगुनक लेल पराती गान
ओ अछि मिथिला जनकक राज महान !
ढोल तासा शहनाई खुरदक सुनि लागैछ महीस
औ सुनि लागैछ महीस
मातृदेवीके साधक हम सभ गाय चरण लग शीश
औ गाय चरण लग शीश
लक्ष्मी बिहुँसलि मुख वागीशा पान
ओ अछि मिथिला जनकक राज महान !
दाबि रहल एहि मधुर भासकेँ तंत्री धरतीक त’र
औ तंत्री धरतीक त’र
कोनो नहि परवाहि किए की वेअह मैथिली के घ’र
औ वेअह मैथिली के घ’र
दिव्य तरेगनसँ सुरभित एक चान
ओ अछि मिथिला जनकक राज महान !
जातिक अगिलगुआकेँ पारत सलहेसक एक लाठी
औ सलहेसक एक लाठी
पंथ विभेदी दूर रहय अछि हमरो पूत उकाठी
औ हमरो पूत उकाठी
सहि-सहि अमर महेश बनल संतान
ओ अछि मिथिला जनकक राज महान !
(३)
कोना कटतै आब वसंत ! ( गीत )
क’हू औ प्रियतम कोना कटतै आब वसंत !
एहन सोहनगर दिव्य मासमे दूर बसै छी कंत
भरल माघसँ हेरै छी पतरा
जड़ल फाग नहि गुनलक जतरा
हम्मर जीवन जियान भेल अहाँ बनि गेलहुँए संत
क’हू औ प्रियतम कोना कटतै आब वसंत !
सभ सखी सहचर संग रहै छै
की की खगता सोझाँ कहै छै
हमर भाग कोन विधना लिखलक दुःखक आदि ने अंत
क’हू औ प्रियतम कोना कटतै आब वसंत !
भरि दिन काजक त’रमे बीतय
रातिमे नोरसँ आँचर तीतय
ल’गमे कोइली पुक्की पाड़य प्रियतम तान दिगंत
क’हू औ प्रियतम कोना कटतै आब वसंत !
रंग वसंती आहि जगाबय
दबल दुःखक सभ टाहि सुनाबय
एत’ भगजोगिनी बिनबिन करय ओत’ अहाँ भलमंत
क’हू औ प्रियतम कोना कटतै आब वसंत !
(४)
शुभय हो शुभय
(संस्कृति गीत )
सिया बापक नगरिया शुभय हो शुभय
अयली भैया दुअरिया शुभय हो शुभय
शुभय कातिक महिना
भरदुतियामे बहिना शुभय हो शुभय
बीतय सभ साल अहिना शुभय हो शुभय
शुभय मीठ बतासा
सोहर आ चौमासा शुभय हो शुभय
मात्र आशीषक आशा शुभय हो शुभय
शुभय फ’ल मेवा
सामा आ चकेवा शुभय हो शुभय
मात्र क्षणुकालक सेवा शुभय हो शुभय
शुभय साग तोड़ी
मलपूआ संग होरी शुभय हो शुभय
नहि रंगक बलजोरी शुभय हो शुभय
शुभय आम सिनुरिया
विजुवनमे बिजुरिया शुभय हो शुभय
शुभ म’हु बरहर बुढ़िया शुभय हो शुभय
शुभय पथ डगरिया
नेनपनके’ बजरिया शुभय हो शुभय
भाव नोरक कहरिया शुभय हो शुभय
(५)
मिथिला मे अन्हेर
झाँपि झाँपि आँखि कानथि वैदेही
मिथिला मे अन्हेर
देखू गहगह काटर फेर !
नोर सानि माय ब’ड़ी खोंटथि
नहि बेसन के टेर
पांच वसन नहि पुरल सगुन लेल
निर्धन बाप बहेर
देखू गहगह काटर फेर !
भरल चास खेत बन्हक रखलनि
सेठ चुआबथि लेर
वरन लगिच अछि सोचि सोचि क’
काल रहल छनि घेर
देखू गहगह काटर फेर !
सीता छलि सामर्थ्य सरोवरि
स्वयंबरमे वीरक ढ़ेर
साध्य भंवर किल्होर करै छथि
साधनहीन कछेर
देखू गहगह काटर फेर !
तिलकक सगरो अहोराति अछि
आशने होयत सबेर
आबहु जागथु मैथिल यौवन
भेलै बहुत अबेर
देखू गहगह काटर फेर !