बेचन महतोक मैथिली कविता – सीधे कतार सँ लिखि पठौला

नै स्वागत नै बिदाई (कविता)

bechan mahtoपरम्परा केर अकास मे नियति के
सुशासनक चक्की मे पिसबैत
आँटा ब्यस्त समय के बेलना स’
बेला रहल ई मनक रोटी
मानव धर्म के ताबा मे सेका रहल ई तन
बोली के नमक पसिना के तेल
पित्तक मिरचाई नियतिक शिलापर
रगड़ा रहल बिचारक चटनी केर
स्वाद अनुपम लाइग रहल अछि
एहि मरुभूमि मे!

ओमहर देश मे 13सौ rpm के
मशीन बनल अछि राजनीति
हमरा आ हमर समपुर्ण परिबार के
दु पुल्ली बना क’ समस्या के बेल्ट सँ
चला रहल अछि हौलर
रेमिटान्सक धान के चाबल
बना क’ खा रहल अछि
गुन्डा सब गुन्डाराज चला रहल अय!

एतय जबानी के दिनक समय
करबट बदैल-बदैल क’ जन्मबैत
रहय मारैत रहय सचियाबैत
रहय संरचना मे छूटल आकार सबके
बंधन के मुक्ती के निखार स’
अनिच्छा मे भागि नै सकै छी
अपना स’ बनाक’ किछु राखि नै सकै छी
नै स्वागत मे उगि रहल छी
नै बिदाई मे डुबि रहल छी ।

– बेचन महतो