मैथिली साहित्य महासभा: दिल्ली चलू
२१ फरबरी, २०१५ – कन्स्टीच्युशन क्लब केर डेपुटी चेयरमैन हल मे स्थापना समारोह मनाओल जायत। दिनक महत्त्व अनुरूप मातृभाषा मैथिली मे दुइ अगाध योगदानकर्ता – डा जयकान्त मिश्र व भोलालाल दास केर स्मृति मे साहित्य सम्मान केर नव घोषणाक संग एक बेर फेर मैथिली साहित्यक स्वर्णकालीन युग १४म शताब्दी जेकाँ वर्तमान युगक युवा विद्यापति, ज्योतिरिश्वर सँ लैत निरन्तर २१म शताब्दी धरिक सृजनशील स्रष्टा-साहित्यकार केँ राष्ट्रीय स्तर पर जोड़ैत मिथिला संस्कार केँ पोषण देबाक ई नवयोजना अछि। आत्मालोचना सँ शुरु कैल गेल ई नव योजना कोनो नव नहि अछि, ई आत्मसात करैत अछि जे नव-नव खूब होइत छैक, मुदा कनिये दिन मे ओ सरा जाइत छैक, कहू जे सैड़ जाइत छैक, गन्हा जाइत छैक… लोक केँ दोबारा ओम्हर तकबाको इच्छा खत्म भऽ जाइत छैक…. मुदा जखन कोनो बात दोषपूर्ण प्रणाली केँ आत्मसात करैत एक सुनिश्चित मार्ग पर चलबाक प्रतिबद्धताक संग होइत छैक, एकटा कठोर समर्पण आ त्यागक तत्त्व पर निर्माण होइत छैक तऽ ओकर आयू चिरंजीव हेब्बे टा करतैक।
अश्वत्थामा यदि अपन चिरंजीविताक दुरुपयोग नहि करैत तऽ ओकर स्मृति अन्य चिरंजीवी हनुमान समान चीरकाल धरि स्मरणीय रहैत। कहबाक तात्पर्य जे कोनो नीक काजक आलोचना सेहो समाज मे होइत छैक, लेकिन जहिना मैथिली साहित्य बिना कोनो खास मदति केर सेहो एखनहु अपन चमक-दमक कोनो दृष्टिकोण सँ कम नहि केलक अछि तहिना कोनो अभियान केँ सदा जीवित रखबाक लेल सिद्धान्त सँ समझौता नहि करब आ सृजनशीलता केँ कहियो कम नहि करब, हमरा बुझने यैह हेतैक। मैथिली साहित्य महासभा – दिल्ली वास्तव मे भारतीय राजधानी केर धरातल पर पैर रोपय जा रहलैक अछि। जन-जन मे भाषाक मिठास सँ संस्कृति आ समाजिकताक समग्र हितपोषणक बात हेब्बे करतैक। दलीय भावना सँ इतर साहित्यिक संस्कार जखनहि जीवन्त हेतैक, आन बात स्वाभाविके रूप मे आगू बढतैक। आशा करैत छी जे युवा पीढी लेल ई डेग एकटा नव वरदान बनि पृथ्वी पर अवतरित हेतैक।
हम एब्बे टा करब, अहुँ सब मैथिलीप्रेमी सृजनशील लोक, जतय छी ओतहि सँ चलू! दिल्ली चलू!! २१ फरबरी – अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर दिल्ली मे एहि शुभ दिवस केँ एतेक मजबूती प्रदान करी जाहि सँ मैथिली पठन-संस्कृति, लेखन शक्ति आ समाचार-संप्रेषण सब प्रायोगिक विधा मे अपन अलग स्थान बनय।
जय मैथिली! जय मिथिला!!
हरि: हर:!!
मैथिली साहित्य महासभा – दिल्ली चलू! स्वेच्छा सँ जुड़ू!
विगत किछु वर्ष मे मैथिली भाषा आ साहित्य केर नव दिशा-दशा बनय लागल छैक। हेराइत विधा केँ पुन: उत्थान हेतु जाहि तरहें युवा आ सजग मैथिल स्रष्टा सब आगाँ अयला ताहि मे निस्सन्देह फेसबुक, ब्लाग-पेज, इन्टरनेट ग्रुप्स आ आरो कतेको तरहक बैसार, सामूहिक चर्चा, अध्ययन केन्द्र पर जुटान आदि समग्र रूप मे भूमिका निर्वाह कय रहलैक अछि।
चर्चाक क्रम मे एक टा खास बात ‘काफी रास गंभीर किस्मक स्रष्टा जिनक कतेको योगदान सँ मैथिली साहित्य कृत-कृत्य भेल छैक’ तिनकर सन्देश सँ देखय मे आबि रहलैक अछि जे ‘मैथिली भाषा आ साहित्य पर मठाधीशक एकाधिकार’ स्थापित भेला सँ बहुत रास नोक्सान होइत छैक। एक दोसर वर्ग छथिन जे मैथिली साहित्य केर मौलिकता स्थापित करबाक लेल समुचित मानदंड केँ अपनेबाक लेल जोर दैत छथिन। एहि मादे अभिजात्य आ पचपनिया – सोलकनिया कि कहाँ दैन सेहो सब गप होइते छैक।
धुआ धोती आ तै ऊपर सऽ नील-टिनोपाल, चमचम कुर्ता आ मखमली मुस्कान – दोसर दिशि हृदय मे सहेजल प्रेमक संग आ कपड़ा असल मैथिल किसान समान जेहेन-तेहेन, माथ पर गमछा आ देह उघार लंगोट मे सेहो मैथिली भाषा आ साहित्यक सेवक सब भेटैत छैक। केकरा अपन मायक भाषा सँ प्रेम नहि छैक! सबहक भाषा मैथिली! लेकिन जे कियो निरपेक्षसेवा केँ छोड़ि बस एक-दोसराक ‘मुह-कान, कपड़ा-लत्ता, भौतिक अवस्था, व्याकरण आ तकनिकी पक्ष’ बेसी देखबैक तऽ मैथिली कराहैत श्राप देती। हमरा बुझने पहिनहु जे किछु भेल होयत, तऽ श्राप जरुर पड़ल होयत। आब, सच कहू तऽ हम कनेक भावुक लोक जरुर छी, लेकिन हृदय केँ साफ राखि मैथिली लेल काज करबा मे रुचि लैत छी।
तऽ, आउ बंधुगण! जबाब भेटत दिल सँ – काज करब मिल कँ!
दिल्ली केर दिलवाली भूमि सँ होयत एक नव आगाज….
बनत फेर मिथिला के आवाज, साहित्य मे मैथिली लेल होयत काज!!
‘मैथिली साहित्य महासभा – स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह, नई दिल्ली केर कन्स्टीच्युशन क्लब केर डेपुटी चेयरमैन हल मे – तारीख २१ फरबरी, २०१५’
विशेष जानकारी लेल – संपर्क करू:
श्री संजीव सिन्हा, संयोजक – ९८६८९६४८०४
श्री अमरनाथ झा, सह-संयोजक – ८८००३३३३३९
श्री विजय जेट, सह-संयोजक – ९८१००९९४५१
https://www.facebook.com/events/1397732057195991/?ref=29&ref_notif_type=plan_user_joined&source=1
एहि लिंक पर आउ, अभियान केँ आगू बढाउ।
हरि: हर:!!
मैथिली महायात्रा अपडेट: दिल्ली मे ‘मैथिली साहित्य महासभा’ केर उद्घाटन समारोह मे सहभागी होयबाक लेल आमंत्रण-अनुरोध
प्रिय मित्र, बंधु, भाइ-भैयारी, बहिन-दैयारी! जतेक गोटे मैथिली साहित्य व भाषा केर संरक्षण संवर्धन लेल समर्पित छी, हुनका सब सँ निवेदन जे आगामी अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, यानि २१ फरबरी, २०१५ केँ दिल्ली मे भेट होयबाक प्रयास करी।
बहुत समय बीतल जे कुरूपता आ विभिन्न प्रकारक विभेद सँ मैथिली भाषा व साहित्य केर प्रसार कम – राजनीति आ षड्यन्त्रक शिकार बेसी बनायल गेल। कतहु एहि सुन्दर भाषाक लिखबा वा बजबाक शैली मे अन्तर आ विशाल परिवर्तन सँ नव भाषाक जन्म केर खोखला दाबी कैल गेल तऽ कतहु एकर विशुद्ध ब्राह्मी भाषिका (विशेषत: संस्कृत शब्दक प्रयोग, जेना मैथिल ब्राह्मण, कायस्थ सहित किछेक उच्च-वर्गीय मैथिल तथा सुशिक्षित-सुसंस्कृत मैथिल द्वारा बाजल जाइत अछि) तेकरा शुद्ध व मापदंड पर उचित मैथिली कहि अन्य केँ मैथिली सँ इतर मानि लेल गेल… एतबा नहि, साहित्य अकादमी व मैथिली अकादमी सहित अन्यान्य अकादमी द्वारा मैथिली क्षेत्रक विस्तारक जगह दिन-ब-दिन संकुचित करैत एकटा योजनाबद्ध तरीका सँ मैथिली केँ मानू जे मृत्युकेँ दान देबाक पूर्ण प्रयास कैल गेल… परिणामस्वरूप आइ खुद मैथिल मैथिली सँ घृणा करय लगलाह अछि, विद्वेषपूर्ण राजनीति केर शिकार होमय लगला अछि। तखन कल्याण केना हेतैक? किऐक न ‘स्वसंरक्षण आ स्वयंसेवा’ केर बाप-दादाक सिखाओल रास्ता पर हम सब अपनहि चलब शुरु करी… यैह सोचि ‘मैथिली साहित्य महासभा’ केर स्थापना लेल किछु युवा तथा उत्साही मैथिल डेग बढौलनि अछि। एहि उद्घाटन समारोह मे डा. बुद्धिनाथ मिश्र, डा. उदय नारायण सिंह नचिकेता, डा. महेन्द्र नारायण राम, श्रीमती शेफालिका वर्मा, पद्मश्री उषा किरण खान, श्री गंगेश गुंजन, श्री रविन्द्र नाथ ठाकुर, डा. देवशंकर नवीन सहित कतेको रास महान व्यक्तित्व लोकनिक उपस्थितिक संग एकटा महान आगाज करय लेल जा रहल अछि, एहि मे अपने लोकनिक गरिमामय उपस्थिति लेल हमरो दिशि सँ हार्दिक आमंत्रणा अछि।
आउ, भेटी २१ फरबरी, २०१५ – दिल्लीक कन्स्टीच्युशन क्लब, डेपुटी स्पीकर हल मे।
हरि: हर:!!
कहियो एहनो होइत छैक! लिखब नहि तऽ भोजनो नहि पचत…. मुदा आइ एहने दिन भेल जे एकोटा पोस्ट लिखबाक समय नहि भेटल। दिमाग उलझल आ फँसल…. शरीरो बहुत दम-दुस्सा सँ भरल नहि… कनेक रौतका भोजन अपच्च भेलाक कारणे अफरातफरी… भोरहरबे मे आखिर रद्द करय पड़ि गेल…. आब कनेक आफियत बुझा रहल अछि। एहि बीच बहुत रास गतिविधि सब खाली पढैत रहि गेलहुँ। आब, जखन किछु लिखिये रहल छी तऽ नव बात जे दिमाग मे अछि वैह लिखब। मैथिली साहित्य महासभा केर स्थापना समारोह कार्यक्रम अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस यानि २१ फरबरी केँ होमय जा रहल अछि दिल्ली मे। पिछला साल पटना मे अनुप चौधरी व मनोज झा केर अनशन खत्म भेल छल आर बी ब्लाक चौराहा पर। डा. ओंकार प्रसाद सिंह, सह-शिक्षा निदेशक, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय पटना द्वारा माननीय शिक्षामंत्री (तात्कालीन) श्री पी के शाही केर निर्देशानुसार अनशनकारी समूह सँ वार्ता करैत एक सुनिश्चित अवधि मे ‘मैथिली माध्यमे प्राथमिक शिक्षा’ देबाक माँग पर कार्रबाई करता आ निकट भविष्य मे एहि दिशा मे निर्णय जरुर कैल जायत, ई कहैत अनशन केँ समाप्त कैल गेल छल। एक वर्ष बीत गेल। पता नहि काज आगुओ बढल आ कि….. frown emoticon अहा! भऽ गेल बात। डा. ओंकार बाबु कहला जे ओ फाइल सेक्सन मे पठा देला। ओतय कि भेल से जानकारी हुनका लंग आइ धरि नहि छन्हि। वर्तमान समय बिहार मे पोलिटिकल टर्म्वाइलक छैक। स्थिति सामान्य भेला पर एकर छानबीन करब। किछु संभव तखनहि होयत। ई पूछला पर जे अपने वैह कार्यालय मे छी तऽ जबाब देलनि जे हँ, ओ आइयो ओतहि कार्यरत छथि। हम फेर सँ बात करब। नेपाल सँ बात केनाय आइएसडी कौल होइत छैक, आ सन्दर्भ सेहो गैर-सरोकारमूलक होइत छैक। नीक रहत जँ कियो गोटा भारतहि सँ एहि पाछू लागब। मिथिला राज्य निर्माण सेना केर स्थापना मे जाहि तत्त्वक प्रयोग छल से किछु आवारागर्दी सँ सचमुच आहत भेल। मिथिला माता केर समक्ष काफी शर्मिन्दा छी मुदा मजबूर, असहाय, निरीह सेहो छी। कि करी नहि करी!! frown emoticon अगबे नेतागिरी केकरो संभव भेलैक आइ धरि? एना तऽ बिहारियो राजनीति नहि चलत! मैथिली तऽ सृजनशीलताक निरंतर धारा पर चलैत छैक। खैर… frown emoticon २०१५ केर विधानसभा चुनाव सेहो क्रमश: नजदीक आबय लागल अछि। स्पष्ट छैक, एहि बेरुक मुद्दा मे उत्तरी बिहारक उपेक्षा आ तैँ अलग राज्यक मुद्दा सेहो जोर पकड़बे करत। २०११ सँ हम निरन्तर देखि रहल छी जे चुनावी मुद्दा बिन बनने विकासक मार्ग शायद नहि खुजय। अरविन्द केजरीवालक दिल्ली जीत पर भाइ पप्पू यादव जी केर विचार पढलहुँ। ओ जातिवादी राजनीति पर आंगूर उठेलनि से बहुत नीक लागल। ओ क्रान्तिकारी विचारक लोक छथि। स्पष्ट बजैत छथि। लेकिन अलग राज्यक मुद्दा पर हुनको मोन थीर नहि छन्हि। सांसद बनबा सँ पूर्व एक बेर लेल तऽ एना लागल छल जे ओ आब अपन मिथिला लेल जागि गेला अछि, लेकिन सांसद बनिते स्टैन्ड चेन्ज भऽ गेलनि। बिहारक विभाजन पर हुनको दहो-बहो नोर बहय लगलैन, कहि देला जे विभाजन नहि होमय देब। औ जी! विभाजन नहि होमय देब तऽ उपेक्षा केँ दूर कोना करब? ७ दशक केर चाप सँ आबो अपरिचित रहि गेल छी? जातिवादिता छोड़ि अहाँक बिहार मे राजनीति केर दशा दिशा कि बचल अछि? एक नितीश जी बेचारे नीक करय लगलाह आ कि हुनका पता नहि महात्त्वाकांक्षा जे प्रधानमंत्री बनि जायब से कीड़ा कटलक जे आइ बेचारे ‘पुनर्मुसिको भव’ लेल हैवा दिल्ली मे विधायक सबकेँ परेड करा रहला अछि आ हाइ-ड्रामा केर माध्यम सँ पुन: अपना केँ सुरखी मे रखबा लेल बाध्य छथि। उठा-पटक राजनीति केर धार मे बलजोरी राज्य केँ फँसा देला। एतय यैह सब होइत रहत! तैँ हम कहब जे पप्पू भाइ! आब अहाँ मिथिला राज्य लेल बागडोर सम्हारू। अहाँ सँ बहुत आशा छैक मिथिला केँ। चुनाव अहाँ केँ आर्थिक विकास आ सेहो उपेक्षित मिथिला क्षेत्र लेल विशेष रूप मे उठबैत लड़य पड़त। हमरा सबकेँ अहाँ समान मुख्यमंत्री चाही। दलीय भावना सँ ऊपर उठि हम ई आह्वान अहाँ सँ खास तौर पर करैत छी। ओना एहि बेर भाजपा, काँग्रेस आ आनो-आन दल एहि मुद्दा पर चुनाव लड़त आ मिथिलावादी दल सेहो जोर-शोर सँ लड़बाक तैयारी केने अछि। युद्ध जबरदस्त होयत से जानू। हरि: हर:!! |