एकटा भजनक संग अपन किछु संस्मरण

pnc at yfb functionईश्वर भजन सँ बढिकय एहेन कोनो स्पर्श या स्पन्दन नहि जे हम मानव जाति केर हृदय केँ पवित्र कय सकैछ, ताहि हेतु ई हर हाल मे मानि लेब जे जखनहि अवसर भेटय, जतबे बेर इच्छा करय, बस प्रभुजी केर सुमिरन जरुर कय लेब।

आउ, आइ गूगल गुरुदेव हमरा ओहि भजन सँ भेंट करौलनि धर्म मार्ग पर जेकरा हमर सर्चक ‘किवर्ड’ – “हरिः हरः!!” सँ ताकल गेल अछि। ई ओ जमाना छल जहिया ओर्कुट केर हम दीवानगी पार कय गेल रही। पहिने तऽ अंग्रेजी सँ शुरु भेल छल यात्रा – फेर ओकरा हिन्दी मे अनलहुँ आ तेकर बाद मैथिली मे परिणति दैत आइ ईश्वरक प्रेरणा सँ अपन मातृभूमि मे वापसी कय सकलहुँ अछि। हमरा आइ जतेक आत्ममुग्धताक आनन्द भेटैत अछि ततेक पहिने नहि छल सच मे।

मैथिली जिन्दाबाद!!

मैं हूँ श्री भगवान्‌ का मेरे श्री भगवान्‌
अनुभव यह करते रहो साधन सुगम महान!!

प्रभु के चरणों में सदा पुनि पुनि करो प्रणाम
यही कहो भूलूँ नहीं मेरे प्रियतम श्याम!!

राम नाम का प्रथम लो पीछे लो मुख ग्रास
ग्रास ग्रास में राम कहो देखो प्रभु को पास!!

कामीहि नारी प्यार जिमि लोभी प्रिय जिमि दाम
तीनि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहि मोहि राम!!

अर्थ धर्म न काम रुचि गति ना चहौं निर्वाण
जन्म जन्म रत राम पद यह वरदान न आन!!

एक भरोसो एक बल एक आश विश्वास
एक राम घनश्याम हित जातक तुलसीदास!!

मो सम दीन ना दीन हित तुम समान रघुवीर
अस विचार रघुवंस मनी हरहु विषम भव भीर!!

बार बार वर मांगहु हरषि देहु श्रीरंग
पद सरोज अनपायनी भगति सदा सत्संग!!

बिगड़ी जनम अनेक की सुधरो अब ही आज!
होहि राम को नाम जपूँ तुलसी तज कुसमाज!!

तुलसी सीताराम कहो दृढ राखो विश्ववास
कबहू बिगड़े न सुनहि रामचंद्र के दास !!!

हरिः हरः!!