मातृभाषा सँ प्रेमक मिसाल नेपाल केर मिथिला मे देखय लेल भेटैत अछि, भारतक मिथिला मे राजनीतिक चाइल चलिकय आर किछु भलमानुस मैथिल द्वारा मैथिली पर अजेगरक कुंडली मारि बैसि जेबाक कारण मैथिली पर सेहो उच्चवर्गक भाषा बनबाक आरोप लगैत अछि।
मैथिली भाषा मे सृजनशीलताक प्रकृति छैक आर एहि सँ कोनो कवि-मन तुरन्त प्रभावित होएत अछि। आउ, पढी किछु कृति ‘ऐजुब राइन’ केर मैथिली मे लिखलः
गीत
परदेश जायब पिया बैन परदेशिया !
देख्यौं स्वदेशमें पाइक गेलै अँमिया !!
अँमियाक डालीमें लालेलाल अँमिया !
मिठीमिठी रस टपकावैत अँमिया !!
लालेलाल अँमिया मनमोहैये !
लिचीयाके गछिया बाट जुहैये !! ……………………………….
पवन पुरबहिया चलैये चलैये !
देख्यौ कोइली गीत नाँचैये !!
स्वदेशक बगियामें पुष्प लहरावैये !
स्वदेशक नदीया खलखल बहैये !!
देख्यौं पिया अपन स्वदेश हो…..हो…..
अपन स्वदेश !!
परदेश जायब पिया बैन परदेशीया !
देख्यौं स्वदेशमें पाइक गेलै अँमिया !!
कविताः
सखी उठब्यौ नरीयक आवाज !
उठयौ जग्यौ नै करयौ आब लाज !!
दहेजक अग्नीमें जैल रहल छथी नारी !
सब दु:ख सहैये चुप रहैये दु:खयारी !!
नारी जग लोर सरोवर जगमें उदास !
नारी खुनक प्यासल बैरी बुझवैतये प्यास !! …………………………..
पुरुष जन्नी नारी होइथीन अपमान !
रथक पहिया नारी खेवैया किये छ्थी बिरान !!
घर अँग्नाक अाँगनबारी नारीये धनबान !
समाजक रीत हे सखिया पुरुष प्रधान !!
सखी उठब्यौ नारीयक आवाज !
उठयौ जग्यौ नै करयौ आब लाज !! ……..
कविताः
दहेज समाजक अपराध
कतेक घरक खुशी भेल बर्बाद !!कतेक फाँसी लगाउलक
कतेक देह जलाउलक !!
कतेक घर भेल अँन्हार
देखु अपराधक संसार !!
कतेक घरक खुशी भेल बर्बाद !!कतेक फाँसी लगाउलक
कतेक देह जलाउलक !!
कतेक घर भेल अँन्हार
देखु अपराधक संसार !!
नारी प हैछै बडी बिजोग
जग्यौ जग्यौ समाजक लोग !!
सभहक बेटी बनत पुतहू
बेटी पुतहूमें अन्तर नै कहू !!
समाजक बगियाक नारी फूल
नारीअनमोल रतन नारी अतूल !!
नारी घर अँगनाक बाहार
नारी खुशियक संसार !!
दहेज समाजक अपराध
कतेक घरक खुशी भेल बर्बाद !!