नागरिक खबरदारी सभा मे धीरेन्द्र प्रेमर्षिः संस्मरण

संस्मरणः मुख्य अतिथि धीरेन्द्र प्रेमर्षि – काव्यात्मक नागरिक खबरदारी सभा – विराटनगर

– विद्यानन्द बेदर्दी

dhirendra premarshiमहावीर चौक, विराटनगरमे आयोजित नागरिक खबरदारी सभा – संध्याकालिन कार्यक्रम ”संवेदनाक स्वर” क’ प्रमुख अतिथि (महान् स्रष्टा, विलक्षण प्रतिभाक धनी) साहित्यकार, संगितकार, गीतकार, गायक एवंम् रेडियोकर्मी श्रद्धेय धीरेन्द्र प्रेमर्षी जी – रसगर गीत, चहटगर कविता, चोटगर व्यंग्य, जोशगर विचार आ अदभुत रचना सब सँ विराटनगरक भूमी पर चहुँदिस जागृतिक शोर मचि गेल छल.. दर्शक लोकनि आ मञ्च पर आसीन सबहक देह तऽ सिहरिये उठल, हृदय मे संवेदनाक लहर जागि पड़ल।

स्वयं हमहुँ भावनाक सागर मे बहि गेल रही। वाह रे मिथिलाक सपुत!! अहाँ पर सौंसे मिथिला केँ अभिमान अछि। एहि क्षेत्र मे हमरो जन्म हुनके कार्यक्रम ‘हेल्लो मिथिला’ सँ भेल। हमरे टा नइ, अधिकांश भाषा अभियानीक जन्म हिनकहि द्वारा संचालित गरिमामयी रेडियो कार्यक्रम सँ भेल कहि सकैत छी। हम बेर-बेर सैल्यूट करैत छी हुनकर एक-एक शब्द केँ। बड्ड सौभाग्यशाली रही जे हुनकर संगे एहि कार्यक्रम मे जिनगीक दोसर यादगार भेट भेल। हुनकर समीप मे संगति पाबिकय हमरा एकटा अलगे अनुभूति भेल।

कार्यक्रममे_हुनकर_प्रस्तुति_एना_रहल‬… «हमराद्वारा टिपल»

01)

बमकैत बछा जकाँ

नाँगरि ठाढ कऽ आयल

गोली सँ हम पुछलियै,

‘आइ रे तु ऐजऽ कइ लऽ?’

गोली बाजल, ‘तोरा अधिकार दैलऽ!’

02)

नियत मे पानि ढारि निती ओ बरकाबैए
अहाँके नै बुझइ यऽ, किदैन ओ झरकाबैए॥
(गजल)

03)

हमर सरकारक महा साफ नीयत छै
झुठ नै बजैत अछि, साँचक कब्जियत छै॥
(गजल)

04)

सरकार द्वारा वर्तमान मधेस आन्दोलन प्रति कैल जा रहल व्यवहार आर नाकाबंदीक समस्या पर अलापल जा रहल राग प्रति लक्षित व्यङ्यात्मक गीत –

‘क’ पढाउंदा ‘न’ बुझिने, कस्तो राम्रो सर?
रूख पढाउंदा मुख बुझिने, कस्ती राम्री मिस?
भन भन दैट, दैट, दैट!
भन भन दिस, दिस, दिस!

हैन्डसम सर, सर, सर…. ब्युटी मिस… मिस.. मिस!!

उपरोक्त रचना अर्जुन पराजुली द्वारा कैल गेल अछि जाहि मे संगीत तथा धून आदिक संग गायन स्वयं प्रेमर्षिजी कएने छथि।

05)

कस्तो हुन्थयो, एक धरो सबैलाई पुगे
मेरो दिल दुख्छ हजुर भाइको दिल दुखे॥

राष्ट्रकवि माधव प्रसाद घिमीरेक कविता सेहो प्रेमर्षिजी द्वारा प्रस्तुत कैल गेल – सब संग समान व्यवहार करैत संविधान बनेबाक नियति होइतय तऽ आइ समस्या एहेन नहि होएत।

06)

तहिना राष्ट्रकवि दिनकर केँ याद करैत हुनकर प्रसिद्ध पाँति नेहरू जी केँ कहल गेल सेहो प्रेमर्षि जी द्वारा एना राखल गेल छल…

राजनिती जब जब विगडती है, तो देशको
साहित्य ही समहालता है!

07)

अरूको छोरो खै के छोरो
छोरा भन्नु एउटा मेरै छ
अराएको न टेरेर के भो,
नअराएको टेरेको टेरै छ॥
(अर्जुन पराजुलीक गीत पङ्क्ति)

08)

सबलाई सबैको धन्दा
घर ज्वाँइलाई खानैको धन्दा (नेपाली कहबी)

09)

एतबे दुआ मङ्गैछी अल्ला,
एकरा कबुल कइए लिहऽ ॥
जनम जनम धरि हमरो मौला,
मिथिले मे तों जनम दिहऽ ॥

जाईत-जाईत ई गीतक सङ्ग अन्तमे जय मथिला, जय मधेश कहि विदा लेलनि।

दर्शक सब ऊ भाव-विभोर भ’ विदाईक हाथ देखौलक..! वास्तवमे निके यादगार आ प्रशंसनिय रहल। आर सुनऽ के मोन लागले रहि गेल!