नेपाल मे राजनीतिक संघर्ष अन्त हेबाक नाम नहि लऽ रहल अछि। देश मे नया संविधान घोषणा कतेको दशक उपरान्त करलाक बादो एहि मे मधेस प्रति उदासीनता आ कुटिलतापूर्वक अनुदारता देखेबाक आरोप मधेसवादी आन्दोलनी मोर्चा द्वारा लगबैत करीब तीन महीना सँ आन्दोलन कैल जा रहल अछि।
हालहि घोषित नेपालक संविधान मे मधेसी समुदाय केँ पूर्व समझौता अनुरूप अधिकार नहि देबाक आर कुटिलतापूर्वक संविधान घोषणा करबाक जबरदस्तीक विरोध मे मधेसवादी दल तथा मोर्चा द्वारा आन्दोलन निरंतरता मे अछि।
सत्ता संचालनकर्ता आर प्रतिपक्ष मे रहल विभिन्न दलक बहुल्य सभासद सब बहुमत सँ जारी कैल गेल संविधान मे मधेसी सहित सब वर्ग केँ अधिकार संपन्न बनेबाक बात कहि रहल अछि।
एहि द्वंद्व मे मधेसवादी असन्तुष्ट पक्ष द्वारा विभिन्न माँग रखैत सरकार केँ संविधान मे संशोधन करैत संबोधन करबाक निरंतर अनुरोध कैल जा रहल अछि, लेकिन सरकार द्वारा केवल बोली सँ ‘जायज माँग केर संबोधन’ करबाक भरोस देलाक बादो व्यवहार मे एखन धरि कोनो उल्लेख्य प्रगति नहि हेबाक कारण स्थिति जस के तस बनल अछि।
विदित हो जे नेपाल मे विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रक आधार पर नागरिक केँ पहिचान करबाक परंपरा रहल। एहिठाम मूलतः हिमाल, पहाड़ आ मधेस तीन मुख्य क्षेत्र अछि। करीब २५० वर्ष सँ पहाड़ी मूल केर ब्राह्मण-क्षेत्री द्वारा सत्ता-संचालन करैत मधेस मे रहनिहार मधेसी प्रति विभेदपूर्ण नीति सँ सेना व सरकारी नौकरी आदि मे पहाड़ी जेकाँ अधिकार नहि देल जेबाक कारण, नागरिकता पर्यन्त नहि देबाक कारण सहित आरो विभिन्न कारण सँ मधेसी केँ उत्पीडित वर्ग मे मानल जाएछ।
मधेसी समुदाय द्वारा देश मे संघीयताक स्थापना सहित पहिचान सहित केर स्वायत्त प्रदेश पेबाक माँग संग पूर्व मे कैल गेल आन्दोलन आ तेकर परिणामस्वरूप तात्कालीन सरकार संग समझौता संग-संग अन्तरिम संविधान पर्यन्त मे देल गेल अधिकार केँ अन्तिम संविधान मे सेहो लिखबाक अनुरोध कैल गेल। परन्तु दोसर बेर संविधान सभा मे मधेसवादी दलक हारिकेँ मुद्दा बनबैत राष्ट्रीय दल द्वारा पुरान मांग केँ नकारैत राष्ट्रीय हित व अखण्डताक रक्षा लेल अलग तरहक सीमांकन आदि करैत नव संविधान जारी कैल गेल अछि। एकरे विरोध मे मधेसवादी दल केर अगुवाई मे मधेसी जनता द्वारा आन्दोलन कैल जा रहल अछि। मधेसीक संग थारू, मगर आदि सेहो वर्तमान संविधान द्वारा पहिचान आ सामर्थ्य सहित केर संघीयता नहि मानल जेबाक कारण विरोध कय रहल अछि।
अही बीच सत्तापक्ष द्वारा जबरदस्ती संविधान घोषणा करब आ आन्दोलनी केँ सुरक्षा बल द्वारा बलपूर्वक शान्त करबाक नीति केर चौतर्फा विरोध सेहो भेल। भारत सेहो एहि अवस्था केँ चिन्ताजनक मानैत नेपालक संविधान केँ अधूरा मानि स्वागत पर्यन्त नहि केलक आर नेपाल सरकार सँ देश मे सहज स्थिति बनेबाक लेल राजनीतिक समाधान तकबाक अनुरोध केलक। परन्तु नेपाली सत्ता संचालक विभिन्न राष्ट्रीय दल द्वारा भारत केर एहि सुझाव केँ नकारैत आन्तरिक मामिला मे हस्तक्षेप नहि करबाक चेतावनी देलक।
भारत लेल स्थिति अपमानजनक बनि गेला सँ आर विशिष्ट कूटनैतिक अनुरोध पर्यन्त केँ नकारल जेबाक कारण नेपाल प्रति रहल उदार नीति मे बदलाव अनैत मधेस मे व्याप्त अशान्तिक कारण आपूर्ति व्यवस्था मे अवरोध एबाक संभावना व्यक्त केलक। जेकरा नेपाली सत्ता केन्द्र व राजनीतिक शक्ति द्वारा ‘अघोषित नाकाबन्दी’ केर संज्ञा दैत समझौता भारतक शर्त पर करबाक आरोप लगबैत अपन राष्ट्रीयता संग जोड़िकय देखल गेल, भारतक विरुद्ध भरपूर प्रचार तक कैल गेल आ परिणामस्वरूप भारतक विकल्प चीन व तेसर मुलुक संग राष्ट्रसंघ तक केँ गोहारल गेल। भारत संग कूटनैतिक वार्ता करबाक प्रयास सेहो जारी रहल लेकिन भारत अपन एकमात्र स्टैन्ड जे नेपाल पहिने अपन आन्तरिक उद्वेलन केँ शान्त करय तखनहि टा भारतीय आपूर्ति व्यवस्था सहज भऽ सकैत छैक कहैत समाधानक जिम्मेवारी नेपालहि केर कान्ह पर छोड़ैत रहल।
एम्हर मधेसवादी आन्दोलनकारीक जिद्द, ओम्हर नेपाली सत्तापक्ष व बहुमतीय पहाड़िया मानसिकता सँ मधेस प्रति विभेदकारी नीतिक जिद्द – ताहि मे भारत द्वारा लेल गेल कड़ा डेग सँ आपूर्ति व्यवस्था अनियमित भेला सँ नेपाल मे मानवीय संकट केर अवस्था बनि गेल अछि। मधेसवादी आन्दोलनी सब राजमार्ग आ सीमा-नाका मे अवरोधस्वरूप धरना जमौने अछि। तथापि एकटा वीरगंज-रक्सौल छोड़ि बाकी अन्य नाका आंशिक रूप सँ असहजता देखितो सामान्य रहल छल आर अत्यावश्यक सामानक आपूर्तिक संग औद्योगिक-व्यवसायिक सामान सबहक आपूर्ति करीब-करीब सहजे छल, लेकिन मधेसवादी दल संग वार्ता सकारात्मक दिशा मे आगू बढितो नेपाल सरकार केर दमन-नीति सँ वीरगंजक मितेरी पूल पर धरना जमेनिहार पर सूतली भोरबे मे आक्रमण करैत हँटेबाक काज आ टेन्ट मे आगि लगेबाक काज सँ उग्र आन्दोलनकारी आ प्रहरीक झड़प मे एकटा भारतीय नागरिक आशीष कुमार राम केँ माथ मे गोली मारैत मारि देला सँ भारतीय पक्ष अत्यन्त कठोर बनैत अघोषित नाकाबन्दीक असल रूप करीब-करीब सब नाका मे देखौनाय शुरु कय देलक।
काल्हि नेपाल सरकार केर कैबिनेट द्वारा भारत सरकार सँ लिखित अनुरोध करबाक समाचार हल्ला मे अछि। हलांकि नेपाली मिडिया पूर्णरूपेण भारत-विरोधी समाचार प्रकाशित करैत देखल गेल अछि, कोनो समाचार विश्वसनीय अछि या नहि एहि पर संदेह बनले रहैत छैक। तथापि भारत केर ई तथाकथित अघोषित नाकाबन्दीक प्रभाव सँ आक्रान्त जनमानस मे भारत प्रति आक्रोश आ मधेसवादी प्रति क्रोधक सीमा नंघाइत स्पष्ट अछि। नेपाल सरकार वार्ताक नाम पर नाटक कय रहल अछि, मधेसवादी दल सड़क सँ आब संसद धरि अवरोध उत्पन्न कय चुकल अछि, लेकिन समाधान कतहु किछु स्पष्ट नहि देखाइत दैछ।
एहेन विकट परिस्थिति मे भारत अपन स्थिति केँ आरो स्पष्ट करबाक लेल नेपाली पक्ष आर आन्दोलनी पक्ष सहित समस्त सरोकारवाला पक्ष संग सहकार्य करैत समाधानक बाट खोलबाक लेल वृहत् वार्ताक बाट प्रशस्त करय तऽ स्थिति मे जरुर उल्लेखनीय सुधार होयत। संगहि भारत विरोधी वातावरण सेहो नियंत्रित होयत।