– – – – गजल – – – – –
माँ आइ दिनभरि, तोरे याद केलियौ॥
बुझि पड़ल जिनगी कते संघर्षशील छै
तोहर आँचर सँ, जखने दूर गेलियौ॥
कपड़ा खिचैत काल, भन्सा करैत काल
नै पूछ आर कि काजमे ठेस खेलियौ॥
सच्चे तुँ तऽ भगवानो सँ ओइ पार छेँ,
ई जगमे तोरा सनक लोक नै पेलियौ॥
हे अपन गन्तव्य धरि पहुँचियेक’ रहब,
आशीष दिहँ, सप्पत हम खा’ लेलियौ॥
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© विद्यानन्द वेदर्दी
राजविराज,सप्तरी
हाल:विराटनगर,मोरङ्ग
अध्यन: Isc. 1st Year(शिक्षादीप कलेज,विराटनगर)
2072/06/18 (जितिया पर्वक उपलक्षयमे)