मिथिला केँ बाँटनिहार सावधान!!

के बांटि रहल मिथिलाके…….?
– कौशल कुमार, मिथिलावादी अभियानी
kaushal kumar
(अक्सर बिहारक नेता मिथिलाक्षेत्रक अखंडता पर करैत अछि वार, तेकर जरुरी अछि सीधा प्रतिकार, मिथिलाकेँ कियैक कियो बाँटत बीच मझधार!)
 
जतय देखू ततय लोक एकाकी बनय के फिराकमे अछि
देखू स्वयम् पूत मायके बँटै के जुगाड़ मे अछि
सीमांचल, अंग, बज्जी आब कॊसी क्षेत्र
कहू ककरा इशारा पर लोक नाचि रहल अछि?
भम्भोरि कय मायक छातीकेँ किए विखण्डित कय रहल अछि
ई कष्ट नहि क्लेशक परिणाम अछि
राजनीति केर ई बड़का दुकान अछि
जे चाहय अछि करबय अछि मिथिलाक लाल स’
केयो चाहय अथवा नहि चाहय नाचि सब रहल राज-नीतिक ताल स’
आइ हम अनबूझे बनल छी मिरजाफर
आइ सब अनबूझे काटि रहल अपनहि नाल अछि
तोड़ि रहल सब सीमा नेहक बन्हनकें
तकबय लेल अपना दिस देखू नेना मिथिलाक बेहाल अछि
की मुट्ठीक बात करब बड़्का जंजाल अछि?
जे हम गानि रहल आंगुर के आ कहि रहल यौ
प्रधानमंत्री जी कोसी बेहाल अछि कोसी बेहाल अछि।
बिन आंगुर नहि कहियो मुट्ठी बनि सकय अछि?
बिन नेना की कहियो मेया, मेया बनि सकय अछि?
ज’ मायिक अस्तित्वक बात करब त’ नेना बचबहि करत
ज’ नेनाक हक मांगब त’ घर रावन घुसबहि करत !
हम रही सुखमे वा दुःखमे सब संग रही इहे समय धर्म अछि
मायिक रक्षा करी इहे हमर कर्म अछि
एखनहुं जे नहि चेतब त’ नहि बांचब चेतय हेतु
कय देत माइये के ध्वस्त अहिना क’ आ क’ क कोनो ने कोनो ब्योंत!
उठू एखनहुं आ षड्यन्त्रके तारन करू
क’ल जोड़य छी ऐ षड्यन्त्री सबहक फेरमे नहि पडू
ज’ नहि पाबि सकब अप्पन पहिचान त’ ई जीवन बेकार अछि
ज’ नहि कय सकब ई काज त’ ई जीवन धिक्कार अछि
एखन धरि बाट धेने छी हम शान्तिके त’ केयो हमरा आकय नहि!
हमहूं उठा सकय छी शस्त्र आ बहा सकय छी शोणित
मचा सकय छी आतंक आन जकां हमहूं हमरो मोनमे हाहाकार अछि
ऐ दू मरजा सत्ताक प्रति पतचट्टा लोकक प्रति
खा क’ थारीमे छेद केनिहारक प्रति
हम चुप छी एखन धरि किए त’ हम आत्माआहुतदानी कुमारिलक संतान छी!
जे बाट देखौलक दुनियांके ओइ माटिक पहिचान छी
ककरो हो वा नहि हो हमरा ई गुमान रहल आ एखनहुं गुमान अछि
हम छी मिथिलाक, मैथिल हम्मर नाम अछि।
हम छी मिथिलाक, मैथिल हम्मर नाम अछि।