गीत
– प्रवीण नारायण चौधरी ‘किशोर’
(जनवरी १०, २०१२ केर रचना – फेसबुक पर किशोर एनसी द्वारा प्रकाशित, अन्तिम २ पाराग्राफ आइये जोड़ल गेल)
सासुर हमर जनकपुरमे,
मधुबनी के ननिया सौस!
गाम अपन दरभंगा अछि,
पुर्णियाक मौसिया सौस!
पीसी हमर बरौनीमे छै,
चलै अछि सगरो धौंस!
जेम्हरे देखु अपनहि लोक,
हम मिथिलाके बौस!
खगड़ियामे हमर जेठकी दीदी,
मुंगेर मे दोसर पीसी!
मुजफ्फरपुरमे छथि एगो ओझा,
सीतामढी मे साढू!
शायदे कोनो जिला छूटल छै… होऽऽऽ – २
चलै अछि सगरो धौंस!
जेम्हरे देखु अपनहि लोक,
हम मिथिलाके बौस!
भागलपुर के सरहोजिनी हमर,
सहरसा के छली बाबी,
मधेपुरा-सुपौल-अररिया के,
अयली एक-एक चाची,
कटिहारो मे दूरका रिलेशन… होऽऽ – २
चलै अछि सगरो धौंस!
जेम्हरे देखु अपनहि लोक,
हम मिथिलाके बौस!
मिथिला आब तऽ फेसबुक पर,
ओतहु सबटा दोस्त!
मुम्बइ-दिल्ली पैन्जाब-भदोही,
सौंसे मैथिल भैया!!
सरकारो मे मंत्री अपन… होऽऽ – २
चलै अछि सगरो धौंस!
जेम्हरे देखु अपनहि लोक,
हम मिथिलाके बौस!
एहि बेर अपन पार्टी लड़तय,
विधानसभा मे जेतय,
पटना केँ छक्का छोड़ेतय,
राजनीति सिखेतय,
मिथिला राज्य बनबे करतय…. होऽऽ – २
चलतय सबहक धौंस!
जेम्हरे देखु अपनहि लोक,
हम मिथिलाके बौस!