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प्रेम, विवाह आ दाम्पत्य जीवन

लेख-विचार

– प्रवीण नारायण चौधरी

प्रेम, विवाह आ दाम्पत्य जीवन
 
कनी विचारू त !
 
आइ-काल्हि युवातुर केँ ‘प्रेम-विवाह’ प्रति बहुत पैघ झुकाव देखल जाइछ । युवातुर केँ प्रभावित-प्रेरित करयवला कतेको तरहक सामग्री (कन्टेन्ट्स) प्रेमक पैकेज मे ततबे आकर्षक रूप मे बाँटल जा रहल छैक जे ‘विवाह’ जेहेन अति संवेदनशील विषय संग एकर जुड़ाव बढ़ब स्वाभाविक सत्य छैक । पहिने जेकाँ सीमित पहुँच आब नहि रहि गेल छैक, आ न स्त्री-पुरुष मे बेसी भेद रहि गेल छैक । कोनो सीमा कखनहुँ ध्वस्त भ’ सकैत छैक । स्वच्छन्दता सब पर हावी भ’ गेल एना बुझाइत छैक ।
 
फिल्म, धारावाहिक, पत्र-पत्रिका, अखबार, विज्ञापन, इन्टरनेट सुविधा सहितक मोबाइल पर उपलब्ध सामग्री, इत्यादि मे मात्र ‘लव, लव आ लव’ बँटा रहल बेर मे युवा त दूर किशोर वय सँ ‘लव’ होयबाक आ परिणामस्वरूप अनेकों ब्लाइन्ड स्टेप्स (अन्धा डेग) सब उठि रहल छैक आ फेर कनिकबे दिन मे लव (प्रेम) केर फितुर उतरिते जीवनक कठोर वास्तविकता सँ रुबरु होइत देरी लव, लवर आ लव मैरिज केर पोल खुलि जाइत छैक, दु गोट जीवन तनाव आ विवाद मे फँसि गेल करैत अछि । तेँ, एहि प्रेम (लव) केर यथार्थता आजुक पीढ़ी केँ बुझबाक आ तदनुसार डेग आगू बढ़ेबाक बहुत पैघ आवश्यकता देखा रहल अछि ।
 
सब सँ पहिने एहि विन्दु पर विचार करू – ‘प्रेम’ केर परिभाषा कि हेबाक चाही ? प्रेम केकरा कहल जाइत छैक ? एतेक प्रेम सँ कयल गेल ‘प्रेम विवाह’ आखिर टूटैत कियैक छैक, किंवा टूटबाक कगार पर केना पहुँचि गेल करैत छैक ?
 
फेर किछु निम्न पंक्ति सब पर खुब नीक सँ ध्यान दियौक –
 
सन्देह संग प्रेम नहि बढ़ि सकैत अछि ! जँ प्रेम भेल तँ सन्देह कियैक करब ? अपन जीवनसंगी पर सन्देह करब अहाँक लेल सबसँ बेसी खतरनाक साबित होइत अछि । प्रेम मे सन्देह के करैत अछि ? सन्देह करयवला दोस्त या सन्देहास्पद दिमाग वला लोक सच्चा प्रेमी साबित नहि भ’ सकैछ ।
 
जे अंग्रेजी मे बुझब से एना बुझू – Love Cannot Flourish With Doubts. Why Doubt If Love Is There ? Doubting Your Partners Prove Most Dangerous For Yourself. Who Doubts in Love ? Doubting Friends or Doubtful Minds Cannot Prove to be a True Lover.
 
तहिना हिन्दी मे बुझि सकैत होइ त एना बुझू – संदेह के साथ प्यार पनप नहीं सकता । अगर प्यार है तो संदेह क्यों करें ? अपने पार्टनर पर संदेह करना आपके लिए सबसे खतरनाक साबित होता है । प्यार में संदेह कौन करता है ? संदेह करने वाले दोस्त या संदेहास्पद दिमाग वाले लोग सच्चे प्रेमी साबित नहीं हो सकते ।
 
ई जे ३ भाषा मे ‘प्रेम आ सन्देह’ केर युगलबन्दी राखल अछि, यैह थिकैक सब बातक जड़ि । प्रेमी जोड़ा एखन बाल्यावस्था नाँघिकय बस कनेक विकसित मस्तिष्क सँ बस ‘स्त्री-पुरुष आ ताहि बीचक आकर्षण’ टा केँ थोड़-बहुत बुझनाय आरम्भ कएने रहैत छैक । बेसी प्रेम प्रकरण मे उपरोक्त वर्णित प्रेमक परिचायक कन्टेन्ट्स (सामग्री-स्रोत-साधन) मात्र प्रेरणा देलकैक – यैह कठोर सत्य थिकैक ।
 
महाकवि विद्यापति अपन आराध्य राधा आ कृष्णक बीच शैशवावस्था सँ युवावस्था मे प्रवेश करिते नायिका राधा द्वारा अपनहि उरोज वृद्धि देखि, अपन बाजब-हँसब आ सोचबाक अवस्था अबोध बालिका सँ किशोरी रूप मे परिवर्तित होइत देखि कृष्ण प्रति आकर्षित हेबाक जाहि प्रेम केँ वर्णन ‘वयःसन्धि’ मे करैत छथि – हुनका द्वारा वर्णित प्रेम-सामग्री ‘निर्दोष अलौकिक प्रेम’ केँ दर्शाबैत अछि । मुदा आजुक पैकेज्ड प्रेमालाप – मीटिंग, डेटिंग, सेटिंग, गेटिंग, हिटिंग, बिटिंग आ चिटिंग केर पैकेट्स सँ ओ वयःसन्धिक अवसर पर आरम्भ भेल स्वाभाविक प्रेम सँ भिन्न छैक ।
 
उच्च शिक्षा हासिल करब सभक लक्ष्य होइत छैक । एहि लेल घर छोड़ि दूर एकान्त जीवन जिबइये टा पड़ैत छैक । आर, पहिने जेकाँ साधल छात्र जीवन नहि छैक – आब त वार्डनरहित केर ‘पीजी होस्टल’ आ ‘गार्जियनरहित’ केर अनुशासित जीवनक माहौल छैक । तेहेन अवस्था मे अपन स्वतंत्रता केँ सैंतिकय राखयवला युवा-युवतीक मात्रा कतेक कम या बेसी हेतैक से स्वतः बुझि सकैत छी ।
 
हम एहि सँ कनिकबो सहमत नहि छी जे प्योरिटी (शुद्धता) साफ उठि गेल, मुदा पवित्रता अत्यन्त छहोंछित अवस्था मे पहुँचि गेल से एहि कारण जे आब लोक घर मे खाना कम आ बाहरक खाना बेसी खेनाय पसिन करैत अछि । शुद्ध पेयजल कम आ पैकेज्ड पेयजल – पैकिंग केर आवरण चढ़ायल प्रोडक्ट सँ बेसी सन्तुष्टि पबैत अछि । एहेन बदलल जीवनशैली मे मनुष्यक सदाचरण पर सेहो पैकिंग लगेबाक भूल कय बैसैत अछि बहुते लोक ।
 
त, स्मरण ई रखबाक अछि जे बदलल जीवनशैली मे विवाहित जीवन मे प्रेम केना बढ़त, प्रेमक वास्तविक अर्थ अपन पार्टनर प्रति कतेक महत्वपूर्ण छैक, जीवन मे शान्ति प्राप्त करबाक लेल परस्पर विश्वास आ सहयोगक केहेन सीमा आ बेसीमा छैक – से सब विन्दु पर नीक सँ मनन करय पड़त । अन्यथा जीवन मे शंका-दुविधाक कारण सदैव अशान्ति भेटब तय अछि । दाम्पत्य जीवन मे कहियो सुख नहि भेटबाक जोखिम तय अछि । एहि सम्पूर्ण अशान्ति, विवाद, तनाव आ कमजोरी सँ आगामी सृष्टि आ सन्ततिक मानसिकता केहेन होयत आ मानव संसार कतय जायत से मनन करय योग्य विषय अछि । समय दय पढ़ि लेबाक लेल आभार !!
 
हरिः हरः!!

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